बकरीद से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका, 'रोकी जाए भेड़-बकरों की बिक्री'
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बकरीद से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर हुई याचिका, 'रोकी जाए भेड़-बकरों की बिक्री'

इस्लाम का पवित्र त्योहार बकरीद जिसे ईद-उल-अज़हा और ईद-उल-ज़ुहा भी कहा जाता है, इसी महीने में मनाया जाने वाला है.

फाइल फोटो

मुंबई: इस्लाम का पवित्र त्योहार बकरीद जिसे ईद-उल-अज़हा और ईद-उल-ज़ुहा भी कहा जाता है, इसी महीने में मनाया जाने वाला है. माना जा रहा है कि इस बार बकरीद 21 या 22 अगस्त की तारीखों में से एक दिन हो सकती है. वहीं, इन सबके बीच बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी को रोकने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट से मांग की गई है कि बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी को रोकने के लिए देवनार पशुवधगृह (वधशाला) में भेड़ और बकरियों की खरीद-फरोख्त को तत्काल रोकने की दिशा में कदम उठाया जाए. प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभी इस याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है. 

 

केंद्र सरकार ने पशुधन निर्यात पर लगा दी है रोक
हाल ही में केंद्र सरकार ने देश के सभी सी पोर्ट्स (बंदरगाहों) से बकरियों और भेड़ों के निर्यात पर रोक लगा दी है. देश के सभी बंदरगाहों से फिलहाल पशुधन निर्यात पर अनिश्चितकालीन रोक लग गई है. केंद्र सरकार ने यह निर्णय जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मांग को देखते हुए लिया है. जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था PETA ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर मांग की है कि बकरीद के अवसर पर होने वाले पशुओं की अवैध तरीके से कुर्बानी पर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जाए. 

निर्यातकों को हो सकता है करोड़ों का नुकसान
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पेटा का कहना है कि पशुओं का वध वैध बूचड़खानों में ही होना चाहिए. खबर के अनुसार, केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि हमें गुजरात के डीपीटी के टूना पोर्ट (दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट, कच्छ) से भेड़ों और बकरियों का निर्यात होने की जानकारी मिली थी. पशुधन की यह खेप कथित रूप से दुबई जा रही थी. इसका सीधा मतलब है कि उन्हें वध के लिए निर्यात किया जा रहा था.' गौरतलब है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से निर्यातकों को करोड़ों का नुकसान हो सकता है. 

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