छात्रों की आपबीती; कहा हमारे सामने गिरे बम, बताया यूक्रेन का आंखों देखा हाल
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छात्रों की आपबीती; कहा हमारे सामने गिरे बम, बताया यूक्रेन का आंखों देखा हाल

यूक्रेन (Ukraine) से भारत लौटे छात्रों (Indian Students) ने आपबीती सुनाते हुए ऐसी बातें बताईं जिन्हें जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. छात्रों ने बताया कि उनके सामने ही बम गिर रहे थे.

छात्रों की आपबीती; कहा हमारे सामने गिरे बम, बताया यूक्रेन का आंखों देखा हाल

नई दिल्ली: ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत पोलैंड से करीब 210 छात्रों को लेकर C17 ग्लोबमास्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचा. इस विमान में राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (Minister of State General VK Singh) भी मौजूद थे, जिनके ऊपर यूक्रेन (Ukraine) से पोलैंड पहुंचे छात्रों को भारत (India) लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वीके सिंह ने बताया कि पोलैंड से आने वाला एयरफोर्स का ये आखिरी विमान था. उन्होंने कहा कि जितने भी छात्र वहां यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पहुंचे थे, उन सबको हम रेस्क्यू (Rescue) कर ला चुके हैं. 

  1. छात्रों ने सुनाई आपबीती
  2. कहा हमारी आंखों के सामने गिरे बम
  3. रोंगटे खड़े कर देने वाले सुनाए किस्से

ऑपरेशन गंगा अभी नहीं हुआ वाइंडअप 

वीके सिंह ने बताया कि अगर अब भी कोई छात्र वहां आएगा तो उसको लाया जाएगा. बता दें कि घायल छात्र हरजोत अब ठीक है. सिंह ने कहा कि रविवार को उसे लाने में देर हो गई थी लेकिन हमने काफी मशक्कत के बाद उसे निकाला क्योंकि वहां ब्लास्ट हो गया था. अभी उसको दिल्ली के RR अस्पताल में भर्ती करवाया गया. 3 हजार से ज्यादा बच्चों को पोलैंड (Poland) से निकाला गया है. ऑपरेशन अभी वाइंडअप नहीं हुआ है.

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छात्रों ने सुनाई आपबीती

हरियाणा की रहने वाली मानसी जांगड़, जो यूक्रेन (Ukraine) के खारकीव शहर में फंसी हुई थी, ने कहा कि उसने होप छोड़ दी थी. उसे लग नहीं रहा था कि वो पहुंच पाएगी. मानसी मेडिकल की सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही थी. उसने बताया कि उसके करीब 50 मीटर के पास बम गिरे जिसके टुकड़े उनके ऊपर गिरे. उसने खुद अपनी आंखों से देखा कि बार-बार शेलिंग हो रही थी. 

'100 मीटर दूर फटा था बम'

जसप्रीत जो खारकीव (Kharkiv) में ही था, 8-9 दिन तक वहां बंकर में रहा. उसने कहा कि उसे नहीं लगा था कि वो पहुंच पाएगा. लेकिन उसने खुद हिम्मत की और जबरन ट्रेन में घुस गया. उसने बताया कि जब हम बग्जाल में थे तब हमने देखा कि 100 मीटर दूर बम फटा था. पंजाब की रहने वाली अस्मिता ने कहा कि हमें नहीं पता था कि हालात इतने बेकार हो जाएंगे. पहले तो हमें बंकर (Bunker) में खाना मिला, फिर उसके बाद वो भी नहीं मिला और हम कई किलोमीटर दूर पैदल गए.

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'बमबारी को कभी नहीं भूल पाएंगे'

बिहार की रहने वाली छात्रा काजल ने बताया कि वो समय बहुत मुश्किल था. बमबारी को हम कभी नहीं भूल पाएंगे. उसे लग रहा था कि अब बचना मुश्किल है. दिल्ली के छात्र अनिमेश मिश्रा ने कहा कि हम खारकीव से 28 को निकले थे और अब भारत (India) पहुंचे हैं. कुछ ने बताया कि अब सबके दोस्त आ गए हैं और वो सरकार (Government) को धन्यवाद करते हैं. गुजरात की रहने वाली छात्रा जिनल ने बताया कि वो 4-5 दिन से अब तक भूखे हैं. 

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