Gyanvapi Masjid: HC के 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने दी चुनौती, कल सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
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Gyanvapi Masjid: HC के 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने दी चुनौती, कल सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

Shivling in Gyanvapi Masjid: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी की दलीलों पर संज्ञान लिया. कोर्ट ने याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए लिस्टेड कर दिया.

Gyanvapi Masjid: HC के 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग के आदेश को मुस्लिम पक्ष ने दी चुनौती, कल सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

Supreme Court Kashi Vishwanath-Gyanvapi Masjid: सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को राजी हो गया, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले 'शिवलिंग' का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस सर्वे में 'शिवलिंग' की उम्र बताने वाली कार्बन डेटिंग टेक्नोलॉजी भी शामिल है.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी की दलीलों पर संज्ञान लिया. कोर्ट ने याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए लिस्टेड कर दिया. अहमदी ने कहा, 'इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील लंबित है.'

हाई कोर्ट ने दिया था ये आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित 'शिवलिंग' की उम्र बताने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिले 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग समेत बाकी वैज्ञानिक परीक्षण कराने की अपील वाली याचिका खारिज कर दी गई थी.

हाई कोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी की एक स्थानीय अदालत 16 मई को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कराने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई को राजी हो गई.

22 मई को होगी सुनवाई

हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका को स्वीकार करते हुए जिला अदालत के जस्टिस ए के विश्वेष ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति से 19 मई तक इस पर जवाब दाखिल करने को कहा था. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की थी.

इससे पहले, हाई कोर्ट ने 12 मई को वाराणसी के जिला जज को ‘शिवलिंग’ का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने के हिंदू पक्ष के अनुरोध पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वैज्ञानिक सर्वे की प्रक्रिया में उस संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, जिसके बारे में हिंदुओं का दावा है कि वह एक 'शिवलिंग' है. हालांकि, मस्जिद समिति का कहना है कि यह 'वजू खाना' के फव्वारे का हिस्सा है, जहां नमाज अदा करने से पहले लोग हाथ, पैर और मुंह धोते हैं.

हाई कोर्ट ने वाराणसी की अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली लक्ष्मी देवी सहित तीन अन्य लोगों की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया था. 

मांगी गई थी कई बड़े संस्थानों से रिपोर्ट

कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच का आदेश देने से पहले हाई कोर्ट ने कानपुर, आईआईटी रुड़की और लखनऊ के बीरबल साहनी संस्थान समेत कई संस्थानों से रिपोर्ट मांगी थी.

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस संरचना की सीधे तौर पर कार्बन डेटिंग मुमकिन नहीं है और इसकी उम्र तय करने के लिए तत्वों की ‘प्रॉक्सी कार्बन डेटिंग’ की जा सकती है, जिसके लिए ‘शिवलिंग’ के आसपास मौजूद सामग्री का गहन अध्ययन करना होगा.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि सतह के नीचे मौजूद कुछ जैविक तत्वों की कार्बन डेटिंग से भी 'शिवलिंग' की उम्र का पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह स्थापित करने की जरूरत है कि ये तत्व उस शिवलिंग से जुड़े हुए हैं.

(इनपुट-पीटीआई)

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