चुनाव बाद गठबंधन कर शिवसेना के सरकार बनाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
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चुनाव बाद गठबंधन कर शिवसेना के सरकार बनाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने व्‍यवस्‍था देते हुए कहा कि लोकतंत्र में हम किसी राजनीतिक दल को गठबंधन बनाने से नहीं रोक सकते.

चुनाव बाद गठबंधन कर शिवसेना के सरकार बनाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

नई दिल्‍ली: महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में चुनाव बाद एनसीपी और कांग्रेस के साथ शिवसेना के गठबंधन कर सरकार बनाने के खिलाफ दायर की गई याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने व्‍यवस्‍था देते हुए कहा कि लोकतंत्र में हम किसी राजनीतिक दल को गठबंधन बनाने से नहीं रोक सकते. इससे पहले जस्टिस अशोक भूषण ने वकील से पूछा कि क्‍या कोर्ट को चुनाव पूर्व और चुनाव बाद गठबंधन में दखल देना चाहिए? इसके साथ ही जस्टिस रमना ने कहा कि आपकी इस याचिका का अब कोई मतलब नहीं रह गया है कि गठबंधन को सरकार बनाने से रोका जाय.

दरअसल यह याचिका अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेता प्रमोद पंडित जोशी ने दायर की थी. इसमें कहा गया था कि चुनाव बाद के पार्टी गठबंधन के आधार पर बन रही सरकार को असंवैधानिक करार दिया जाए. शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन सरकार दूसरे दल के साथ बना रही है जो कि वोटरों के साथ धोखा है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की इसी बेंच ने महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करें. बुधवार शाम 5 बजे तक विधायकों की शपथ हो. इसके तुरंत बाद बहुमत परीक्षण हो. गुप्त मतदान न हो और कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी हो. हालांकि अजित पवार और उसके बाद देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद फ्लोर टेस्ट की जरूरत नहीं थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संसदीय परंपराओं में कोर्ट का दखल नहीं लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आदेश दे रहे हैं. जस्टिस रमना ने कहा था कि कोर्ट और विधायिका के अधिकार पर लंबे समय से बहस चली आ रही है. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए और लोगों को अच्छे शासन का अधिकार है. इस मामले ने राज्यपाल की शक्तियों को लेकर बहुत अहम संवैधानिक मुद्दे को उठाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक और उत्तराखंड के मामलों का भी जिक्र किया था.

 

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