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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने डीजे पर पूर्ण रोक (DJ Ban) लगाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है. इससे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को बड़ी राहत मिली है. अदालत ने कहा कि, 'प्रभावित पक्षों को सुने बिना हाई कोर्ट को निर्देश जारी नहीं करने चाहिए थे.'
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा रिट याचिका के दायरे को इस तरह विस्तारित नहीं किया जा सकता. सुनवाई के दौरान, पक्षों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस.आर. सिंह ने कहा कि हाई कोर्ट ने व्यक्तिगत रिट याचिका पर आदेश पारित किया जिसे जनहित याचिका में तब्दील नहीं किया जा सकता था. ध्यान देने वाली बात है कि रिट याचिका में पूरे राज्य के लिए राहत का कोई आग्रह नहीं किया गया था. लेकिन हाई कोर्ट ने दायरे को विस्तारित कर दिया और कुछ दिशा-निर्देश जारी करने के साथ ही पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया.
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पीठ ने कहा कि दो पक्ष असंतुष्ट थे, और हाई कोर्ट ने दायर याचिका को जनहित याचिका तक विस्तारित कर दिया. वहीं डीजे एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पराशर ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध का आदेश संविधान के अनुच्छेद-16 और अनुच्छेद-19(1)(जी) का उल्लंघन है. पराशर ने कहा कि सामान्य निर्देश अनुच्छेद 19(1)(जी) और अनुच्छेद-16 में प्रदत्त संवैधानिक अधिकार को छीनता है.
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गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने ने अगस्त 2019 में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे, और डीजे सेवाओं के संचालन पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. इतना ही नहीं, कोर्ट ने इनसे उत्पन्न शोर को अप्रिय और आपत्तिजनक स्तर का करार दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी थी, और कहा था कि डीजे संचालकों के आवेदनों पर संबंधित अधिकारियों द्वारा विचार किया जाएगा. इस दौरान यदि वे कानून के अनुरूप हैं तो अनुमति दी जा सकती है.
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