सुषमा स्वराज ने दक्षिण सूडान में छिड़े गृह युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी में बड़ी भूमिका निभाई. 'ऑपरेशन संकटमोचन' के जरिए सूडान से 150 भारतीयों को निकाला.
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मुंबई: सुषमा स्वराज जी को आज हर कोई श्रद्धांजलि दे रहा है लेकिन ऑपरेशन संकटमोचन गवाह सुषमा और उनके द्वारा पहुंचाई गई मदद को शायद ही कभी भूल पाएंगे. ऑपरेशन संकटमोचन के कई पीड़ितों में से एक पीड़ित परिवार है मुंबई का देढिया परिवार. मुंबई की रहने वाली नेहा देढिया ने जुलाई 2016 में सोशल मीडिया पर ट्विटर के जरिए सुषमा स्वराज जी से अपने पति के लिए मदद मांगी थी. नेहा के पति हिमेश अपने व्यापार के सिलसिले में साउथ सूडान गए थे और वहां जंग के हालात में दूसरे भारतीयों के साथ फंस चुके थे.
हिमेश एक डायबिटिक मरीज हैं और उनके पास इंसुलिन खत्म हो गई थी. वक्त रहते उन्हें दवाई नहीं मिलती तो शायद उनकी जान भी जा सकती थी. यहां मुंबई से नेहा ने सुषमा जी को ट्वीट किया और महज 6 मिनट के भीतर ही सुषमा जी ने नेहा को जवाब देकर मदद भिजवाने का आश्वासन दिया. इसके बाद ना सिर्फ हिमेश तक दवाई पहुंचाई गई बल्कि केंद्र सरकार ने सूडान में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए ऑपरेशन संकटमोचन भी लांच किया.
इस ऑपरेशन के तहत जनरल वीके सिंह दो विमान लेकर सूडान पहुंचे थे और तकरीबन 150 भारतीयों को एयर लिफ्ट कर सुरक्षित वापस भारत लाया गया था. आज सुषमा जी के निधन पर नेहा उमेश उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं. उनका मानना है कि उन्होंने मानों अपने किसी परिवार के सदस्य को खो दिया हो. सुषमा जी उनकी यादों में हमेशा जीवित रहेंगी.
सुषमा स्वराज ने दक्षिण सूडान में छिड़े गृह युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी में बड़ी भूमिका निभाई. 'ऑपरेशन संकटमोचन' के जरिए सूडान से 150 भारतीयों को निकाला. इसमें 56 लोग केरल के रहने वाले थे. इसके बाद लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग के दौरान 29 भारतीयों को वहां से सुरक्षित भारत लेकर आईं.