Talaq-e-Hasan Muslim Law: तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) में पुरुषों को मिलने वाले तलाक के एकाधिकार पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है. याचिकाकर्ता को पति की तरफ से तलाक के तीन नोटिस मिल चुके हैं.
Trending Photos
Talaq-e-Hasan Supreme Court: मुस्लिम समुदाय में मर्दों को तलाक का एकाधिकार देने वाले तलाक-ए-हसन के मामले में आज (सोमवार को) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दो अलग-अलग पीड़ित महिलाओं की याचिका पर दोनों के पति को पक्षकार बनाया है. दोनों पीड़ित महिलाओं के पति को नोटिस जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता पर विचार करने से पहले याचिकाकर्ताओं को निजी तौर पर राहत देने पर विचार करेंगे. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 11 अक्टूबर को होगी.
तलाक-ए-हसन क्या है?
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन पर अहम टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में तलाक-ए-हसन गलत नहीं लगता है. मुस्लिम समुदाय में महिलाओं के पास भी इसका अधिकार है. मुस्लिम महिलाएं 'खुला' के जरिए तलाक ले सकती हैं. यह किसी और तरह का एजेंडा बने हम नहीं चाहते. बता दें कि तलाक-ए-हसन के तहत पति 1-1 महीने के अंतराल पर तीन बार मौखिक रूप से या लिखित रूप से तलाक बोलकर निकाह को रद्द कर सकता है.
तलाक-ए-हसन में पति को तलाक का एकाधिकार
जान लें कि तलाक-ए-हसन से पीड़ित बेनजीर हिना ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है. बेनजीर हिना का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तलाक-ए-हसन संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन है. तलाक-ए-हसन में पति एकतरफा तलाक देता है. इसमें महिला की सहमति-असहमति की जरूरत नहीं होती है. तलाक-ए-हसन के तहत केवल पति को ही तलाक देने का अधिकार होता है.
पीड़िता को मिल चुके हैं तलाक के तीन नोटिस
गौरतलब है कि पीड़िता बेनजीर ने जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, तब उन्हें तलाक का पहला नोटिस ही मिला था. फिर उनकी तरफ ओर से कई बार केस की जल्द सुनवाई की मांग की गई, लेकिन केस सुनवाई के लिए नहीं लग पाया. इस बीच, बेनजीर को स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक के दो और नोटिस मिल गए.
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर