शिक्षक संघ ने कहा सरकार को लिखे पत्र में वो सूची संलग्न है जिसके तहत आजमगढ़ में सबसे ज्यादा 68 मौत हुई. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Paradesh) के कई शिक्षक संगठनों (Teacher's Association) ने राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव (Panchayat Election) में ड्यूटी करने वाले 1621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मौत का दावा करते हुए सभी के परिजन को एक-एक करोड़ का मुआवजा और आश्रितों को नौकरी (Government job on compassionate grounds) देने की मांग की है.
योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) को लिखे पत्र में दावा किया गया है कि 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से ज्याजा शिक्षकों और कर्मियों की कोरोना (Coronavirus) संक्रमण से मौत हुई है.
यूपी प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 1621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है.
उन्होंने बताया कि पत्र के साथ एक सूची भी संलग्न की गई है जिसके मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है.
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उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप जान गंवाने वाले सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाए.
इस बीच, उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले कम से कम 200 शिक्षामित्रों की कोविड-19 के कारण मृत्यु हुई है. इसके अलावा 107 अनुदेशकों और 100 से ज्यादा रसोइयों की भी इस संक्रमण के कारण मौत हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर कायदे से पड़ताल कराएगी तो यह संख्या काफी ज्यादा हो सकती है.
यादव ने भी मांग की कि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के दौरान या उसके कुछ दिनों बाद जान गंवाने वाले इन शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों और अन्य कर्मचारियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए, वहीं इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है, उसे TET से छूट देते हुए शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जाए. अन्य योग्यता रखने वाले आश्रित को क्लर्क के पद पर नौकरी दी जाए.
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प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के कुछ ही दिनों बाद जान गंवाने वाले शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों को मुआवजा देने में दांवपेच कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के शासनादेश की भाषा इस तरह लिखी गई है जिससे बहुत बड़ी संख्या में पात्र परिजन इस मुआवजे से वंचित रह जाएंगे. क्योंकि सरकारी आदेश में लिखा है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के 24 घंटे के अंदर जिन कर्मचारियों की मृत्यु होगी उनके परिजन को ही मुआवजा दिया जाएगा. ये सरासर अन्याय है.
इस बारे में प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की कोशिश की गई लेकिन सभी ने बैठक में व्यस्त होने का हवाला देकर तत्काल बात करने से मना कर दिया.
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