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नई दिल्ली: इस बार दिवाली के मौके पर चीन में बने सामान की बिक्री में 50 हजार करोड़ रुपये की कमी आई है. इसका मतलब ये है कि इस बार दिवाली पर भारत के लोगों ने चाइनीज लड़ियां नहीं बल्कि मेड इन इंडिया (Made In India) लड़ियां खरीदीं, इस बार लोगों ने चीन में बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां नहीं बल्कि भारत में बनी मूर्तियां खरीदी और इस बार लोगों ने अपने घर Chinese दीयों से नहीं बल्कि मेड इन इंडिया और मिट्टी से बने दीयों से रोशन किए हैं. आपको बता दें कि पिछले साल ही Zee News ने ये अपील की थी कि गलवान के हादसे के बाद भारत के लोगों कों चाइनीज सामान का बहिष्कार करना चाहिए. उस समय करीब 2 करोड़ लोगों ने हमें Missed Call देकर ये प्रण लिया था कि वो चीन में बना सामान नहीं खरीदेंगे और आज जमीनी स्तर पर हमें इसका असर दिखाई दे रहा है.
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders) ने बताया है कि इस साल दिवाली के त्योहार पर भारत में मेड इन चाइना सामानों की बिक्री पहले की तुलना में काफी कम हुई है, जिससे चीन को इस साल 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ये स्थिति भी तब है कि जब इस संस्था का अनुमान है कि इस बार भारत में लोगों ने दिवाली की शॉपिंग पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए. आपको बता दें कि पूरी दुनिया में 90 देश ऐसे हैं, जिनकी कुल GDP भी 2 लाख करोड़ रुपये नहीं है. इससे आप भारत के लोगों की खरीदने की क्षमता का भी अन्दाजा लगा सकते हैं, जो 90 देशों पर भी भारी है.
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गौरतलब है कि Made in China सामान को लेकर देश के लोगों की सोच एक दिन में नहीं बदली है. अगर आप पिछले 5 महीनों के आंकड़ें देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत के जो त्योहार पहले चीन के लिए पैसा छापने की मशीन बने हुए थे, अब उन मशीनों में जंग लगने लगा है. उदाहरण के लिए इस साल केवल राखी के त्योहार पर ही चीन को 5 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. क्योंकि तब लोगों ने Made in China की जगह भारत में बनी राखियों की ज्यादा खरीदारी की थी. इसी तरह गणेश चतुर्थी के मौके पर भी चीन में बनी मूर्तियों को भारत में ज्यादा ग्राहक नहीं मिले. इससे तब चीन को लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और इस बार दिवाली पर भी लोग भारत में बना ज्यादा सामान खरीद रहे हैं.
पिछले साल 30 जून को Zee News ने मेड इन इंडिया नाम से एक मुहिम शुरू की थी, जिसका उद्देश्य था कि Made In China सामानों को कड़ा जवाब देना. उस समय भारत के लगभग 2 करोड़ लोगों ने Zee News के नंबर पर Missed Call देकर Made In India मुहिम के पक्ष में अपना समर्थन जताया था और ये दुनिया का उस समय का शायद सबसे बड़ा Digital जनमत संग्रह था. क्योंकि भारत में औसतन एक परिवार में 5 से 6 लोग होते हैं. यानी जिन 2 करोड़ लोगों ने हमारे नंबर पर Missed Calls दी थी, वो किसी ना किसी मायने में देश के 10 से 12 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. यानी आप समझ सकते हैं कि भारत में टेलीविजन पर न्यूज चैनल देखने वालों में से 100% लोग इस मुहिम में तब Zee News के साथ जुड़ गए थे. क्योंकि भारत में न्यूज़ चैनलों के नियमित दर्शकों की संख्या 12 करोड़ 49 लाख ही है. यह एक खुशी का मौका है क्योंकि जिस मुहिम की शुरुआत Zee News ने पिछले साल की थी, वो सिर्फ एक टीवी प्रोग्राम तक सीमित नहीं रही. बल्कि इस मुहिम ने सामाजिक बदलाव की एक ऐसी नींव रखी, जिसे चीन चाहकर भी अब शायद हिला नहीं पाएगा.
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उल्लेखनीय है कि Zee News ने ही सबसे पहले राष्ट्रवाद का विचार लोगों के सामने रखा था. वर्ष 2016 में जब दिल्ली के JNU में राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए, तब भी हमने टुकड़े-टुकड़े गैंग को एक्सपोज किया था और निर्भया मामले में भी हमने दोषियों को फांसी की सजा दिलाने की मुहिम चलाई थी, जिसमें हमें लाखों लोगों का समर्थन मिला था और इसी कड़ी में हमने नागरिकता संसोधन कानून (CAA) और किसान आन्दोलन (Farmer Protest) के सच को भी सबके सामने रखा. ये सारी मुहिम एक समय के बाद रंग लाईं और आज जब भारत के लोग चीन में बने सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं, तब हमें ये बताते हुए और भी खुशी हो रही है. इसलिए आज से अगर आपसे कोई ये पूछे कि भारत में क्या चल रहा है तो आपका जवाब यही होना चाहिए कि भारत में अब Made in India सामान चल रहा है.