ट्रांसजेंडर गर्ल ने इंस्टाग्राम पर शेयर कर दी बिकिनी फोटो, स्कूल ने दिखाया बाहर का रास्ता
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ट्रांसजेंडर गर्ल ने इंस्टाग्राम पर शेयर कर दी बिकिनी फोटो, स्कूल ने दिखाया बाहर का रास्ता

Uproar over Instagram Post: असम के गुवाहाटी के साउथ पॉइंट स्कूल में पढ़ने वाली 17 साल की एक ट्रांसजेंडर लड़की को सिर्फ इस वजह से स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्विमिंग सूट में अपनी तस्वीरें पोस्ट की थी.

ट्रांसजेंडर गर्ल ने इंस्टाग्राम पर शेयर कर दी बिकिनी फोटो, स्कूल ने दिखाया बाहर का रास्ता

Transgender girl asked to leave School: कौन क्या पहने और कौन कैसे रहे? इसको लेकर हमेशा से बहस होती रही है, लेकिन शायद लोगों को अब भी इसकी आजादी नहीं मिल पाई है. असम के गुवाहाटी के साउथ पॉइंट स्कूल में पढ़ने वाली 17 साल की एक ट्रांसजेंडर लड़की को सिर्फ इस वजह से स्कूल से निकाल दिया गया, क्योंकि उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्विमिंग सूट में अपनी तस्वीरें पोस्ट की थी. स्कूल के प्रिंसिपल ने लड़की की बिकिनी फोटोज पर आपत्ति जताई थी. अब लड़की की मां ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को चिट्ठी लिखकर अपना दर्द बयां किया है और है कि उनकी ट्रांसजेंडर बेटी की बिकनी पहने स्विमिंग पूल में ली गई तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद पिछले महीने स्कूल छोड़ना पड़ा था.

महिला ने बयां किया दर्द

महिला ने लिखा, 'मेरी बच्ची, जो एक पुरुष शरीर में पैदा हुई. उसने संघर्ष का यह जीवन नहीं चुना, जहां उसे उसके वास्तविक स्वरूप के कारण परेशान किया जा रहा है  और उससे नफरत की जा रही है. असम में उसके स्कूल में हुई हाल की घटना ने उन संस्थाओं में हमारे विश्वास की जड़ को हिला दिया है, जिनका उद्देश्य हमारे बच्चों की रक्षा और पोषण करना है. स्कूल, जिसे सीखने का जगह होना चाहिए, निर्णय का क्षेत्र बन गया है. यह मेरी बेटी की दुर्दशा है, ऐसी दुर्दशा जिससे कई लोगों को जूझना पड़ा है, जिसे अक्सर अज्ञानता की छाया द्वारा चुप करा दिया जाता है.'

मां का आरोप और स्कूल की सफाई

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, 11वीं में पढ़ने वाली लड़की की मां ने गुवाहाटी के प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल पर अपनी बेटी को 'बदनाम करने', 'कमतर आंकने' और 'मजाक उड़ाने' के अलावा उसकी सच्चाई और उसके अस्तित्व को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. वहीं, इस पर स्कूल के अधिकारियों ने कहा कि तस्वीरों में 'अश्लीलता' झलकती है और उन्होंने केवल इतना कहा है कि पोस्ट को सोशल मीडिया से हटा दिया जाए. बता दें कि 9 जून को फैमिली हॉलिडे के दौरान बिकनी पहने खींची गई तस्वीरें लड़की ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की. इन तस्वीरों ने न केवल स्कूल और उसके परिवार के बीच विवाद पैदा किया, बल्कि भारत में शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक समावेशिता के मुद्दे पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया.

लड़की की मां ने उस दिन को याद करते हुए बताया कि 10 जून को मेरी बेटी ने तस्वीरें पोस्ट की थी, जिसके एक दिन बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने रात 9 बजे हमें बुलाया और कहा आपकी बेटी घिनौनी और शर्मनाक है, कल आकर उसे मेरे स्कूल से निकाल लें. लड़की के परिवार ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से स्कूलों में लिंग-समावेशी यूनिफॉर्म के साथ विविधता को अपनाने से लेकर बदमाशी और उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने तक कई बदलावों की मांग की है.

इसके अलावा, राज्य के ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड ने असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (ASCPCR) से संपर्क कर कहा है कि कोई भी बच्चे के शरीर और उसकी तस्वीरों को यौन रूप से नहीं दिखा सकता है. 26 जून को ASCPCR ने मामले में सुनवाई शुरू की, जिसमें ट्रांसजेंडर लड़की के परिवार ने घटना के बारे में बताया. आयोग के अध्यक्ष श्यामल प्रसाद सैकिया ने कहा कि हमने शिकायतकर्ता की बात सुनी और अब स्कूल अधिकारियों को बुलाएंगे. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद हम एक निश्चित तिथि पर बैठक करेंगे. इसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.

स्कूल प्रबंधन ने कहा कि उन्होंने 17 वर्षीय छात्रा की देखभाल की है और उसे कुछ छात्रों द्वारा की जाने वाली बदमाशी से बचाने के अलावा उसकी काउंसलिंग भी की है. प्रिंसिपल ने कहा कि जब उसने स्विमसूट में तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें 'अश्लीलता' दिख रही है तो शिक्षा जगत में स्कूल का नाम खराब हुआ और स्कूल इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि स्कूल का कभी भी उसे निशाना बनाने का इरादा नहीं था और उसे केवल पोस्ट हटाने के लिए कहा गया था.

लड़की की मां ने चिट्ठी में संघर्षों का किया जिक्र

लड़की के परिवार ने स्कूल पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिकनी फोटो का मुद्दा उसे स्कूल से निकालने का बहाना था. उन्होंने आरोप लगाया कि वह अपने लिंग के कारण निशाना बनी. लड़की की मां ने कहा कि स्कूल को लड़कों द्वारा पोस्ट की गई ऐसी ही तस्वीरें घृणित या शर्मनाक नहीं लगतीं. यह उनकी बीमार मानसिकता को दर्शाता है. असम के सीएम को लिखे पत्र में छात्रा की मां ने कहा, 'ब्रह्मपुत्र जितने विशाल सपनों वाली मेरी बेटी ने भेदभाव और पूर्वाग्रह की पराकाष्ठा का सामना किया है. फिर भी, वह अडिग है और समाज में योगदान देने की आकांक्षा रखती है.'

पत्र में लड़की की मां ने कहा, 'रात में प्रिंसिपल का फोन कॉल उन संघर्षों की याद दिलाता है, जिनका हम अभी भी सामना कर रहे हैं. सोशल मीडिया, जो व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का एक स्थान है, उसकी छानबीन की गई और उस पर लांछन लगाया गया. एक फैमिली पूल आउटिंग और खुशी के एक पल को सिर्फ इसलिए शर्म के हथियार में बदल दिया गया, क्योंकि मेरी बेटी ने बिकिनी पहनी थी. हमने स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट मांगा, क्योंकि उसे शर्मिंदा किया गया और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. हमने उसे ऐसे जहरीले माहौल से दूर रखने का फैसला किया. हमारा परिवार स्कूल से सार्वजनिक माफी चाहता है. मेरी बेटी को पूरा एक एकेडमिक सेशन गंवाना पड़ सकता है, क्योंकि उसे चल रहे सत्र के बीच ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी किया गया.'

कौन सही-कौन गलत?

राज्य ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रितुपर्णा नियोग ने कहा, 'हमें दिए गए स्पष्टीकरण में स्कूल का मानना ​​है कि तस्वीरें यौन रूप से स्पष्ट थीं. मैंने इसे ASCPCR को भेज दिया है. इस बात के साथ कि कोई भी बच्चे के शरीर और तस्वीरों को यौन रूप से नहीं दिखा सकता है.' रितुपर्णा नियोग नेशनल काउंसिल फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन्स की सदस्य भी हैं. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि परिवार को संदेश स्पष्ट रूप से बता दिया गया था. उन्होंने कहा, 'बॉडी पियर्सिंग और टैटू बनवाना हमारे नियमों के खिलाफ है. सोशल मीडिया पर अश्लील तस्वीरें पोस्ट करना उचित नहीं है. हमने उनसे कहा कि वे तस्वीरें हटा सकते हैं और ठीक से व्यवहार करना शुरू कर सकते हैं या छात्रा को स्कूल से निकाल सकते हैं.'

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