यूपी कांग्रेस के एक वर्ग को लगता है वरुण के आने से होगा फायदा
इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस (UP Congress) के कुछ नेताओं का कहना है कि वरुण गांधी (Varun Gandhi) कांग्रेस में आते हैं तो राज्य में पार्टी को फायदा होगा. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, वरुण जैसे 'फायरब्रांड नेता' के आने से यूपी में कांग्रेस के पुनरुद्धार के प्रयासों को फायदा होगा. एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल होने से यूपी में पार्टी और वरुण दोनों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के पास राष्ट्रीय स्तर पर अन्य जिम्मेदारियां भी हैं और हमें एक ऐसे नेता की जरूरत है, जो जमीनी स्तर के मुद्दों को लगातार उठाकर भाजपा का मुकाबला कर सके.'
वरुण के कांग्रेस में आने से पार्टी को होंगे ये 2 बड़े फायदे
1. कद्दावर नेता की कमी होगी पूरी
वरुण गांधी (Varun Gandhi) अगर कांग्रेस (Congress) पार्टी जॉइन करते हैं तो इससे उत्तर प्रदेश में पार्टी को एक कद्दावर नेता की कमी पूरी होगी. क्योंकि, जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) और आरपीएन सिंह (RPN Singh) के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जाने से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. वरुण गांधी की पहचान एक 'फायरब्रांड नेता' के रूप में रही है और वो पीलीभीत के अलावा सुल्तानपुर से भी सांसद रह चुके हैं. वरुण का लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सुल्तानपुर और कुशीनगर समेत कई जिलों में उनका अच्छा प्रभाव है.
2. युवाओं और किसानों के बीच बढ़ेगी लोकप्रियता
बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) कई मौकों पर बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों को उठाते हुए अपनी ही पार्टी के सरकार पर सवाल उठा चुके हैं. वरुण किसानों और युवाओं के बीच काफी पॉपुलर हैं. अगर वह कांग्रेस (Congress) पार्टी जॉइन करते हैं तो उत्तर प्रदेश में पार्टी की लोकप्रियता युवाओं और किसानों के बीच बढ़ेगी. वरुण तेजतर्रार भाषण देने के लिए भी जाने जाते हैं और कांग्रेस में आने पार्टी वरुण का उपयोग स्टार प्रचारक के रूप मे भी कर सकती है.
वरुण के कांग्रेस जॉइन करने से इनकी बढ़ेगी परेशानी?
वरुण गांधी (Varun Gandhi) का कद एक राष्ट्रीय नेता की है और उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी उनकी पकड़ काफी अच्छी है, ऐसे में अगर वो कांग्रेस (Congress) जॉइन करते हैं तो पार्टी के स्थानीय नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि उनके लिए अपने जोन में राजनीतिक फैसला करना आसान नहीं होगा. इसके अलावा पार्टी आलाकामान की भी मुश्किलें बढ़ सकती है, क्योंकि वरुण के लिए पार्टी में जिम्मेदारी तय करना होगा.
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