डीएम ने इस मामले को लेकर सीएमओ समेत दो लोगों को जांच अधिकारी बनाकर उनसे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने की बात कही है. इसी संबंध में शनिवार को ही जांच अधिकारी सीएमओ और एडीएम ने जिला अस्पताल सेक्टर-30 का दौरा किया और अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ सीएमएस को अव्यवस्था को लेकर फटकार भी लगाई.
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गौतमबुद्ध नगर: गर्भवती महिला की मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस घटना का संज्ञान लिया है. उन्होंने अधिकारियों को तुरंत जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. सीएम के इस निर्देश से गौतमबुद्ध नगर के स्वास्थ विभाग में हड़कम्प मच गया है.
डीएम ने इस मामले को लेकर सीएमओ समेत दो लोगों को जांच अधिकारी बनाकर उनसे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने की बात कही है. इसी संबंध में शनिवार को ही जांच अधिकारी सीएमओ और एडीएम ने जिला अस्पताल सेक्टर-30 का दौरा किया और अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ सीएमएस को अव्यवस्था को लेकर फटकार भी लगाई.
एडीएम ने सीएमएस और डॉक्टरों का बयान लिया
मामले की जांच के लिए शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे जांच अधिकारी व एडीएम मुनींद्र नाथ उपाध्याय जिले के मुख्य चिकित्सा डॉ. दीपक के साथ जिला अस्पताल पहुंचे. अस्पताल में दो घंटे तक रुककर लापरवाही बरतने के मामले में सीएमएस व डॉक्टरों का बयान दर्ज किया. एडीएम ने मौके पर ही ओपीडी रजिस्टर मंगवाकर गर्भवती की डिटेल चेक की. इस दौरान ओपीडी रजिस्टर में महिला की एंट्री नहीं मिली. इस बात से नाराज एडीएम ने सीएमएस को मौके पर ही फटकार लगाई. लापरवाही के दौरान ड्यूटी पर मौजूद रहे चिकित्सकों को मौके पर बुलाने के निर्देश भी दिए.
सीसीटीवी भी किए चेक
एडीएम वार्ड 107 व 151 के बाद इमरजेंसी में भी गए और बारी-बारी से यहां मौजूद चिकित्सकों से गर्भवती महिला के बारे में जानकारी जुटाई. एडीएम ने सीएमएस से कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं घटना का संज्ञान लेते हुए आरोपितों के खिलाफ जांच के बाद FIR के निर्देश दिए हैं. इसलिए दोषियों को बचाने की कोई भी हिमाकत न करें. उन्होंने अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले.
महिला को भर्ती नहीं करने पर फटकार
जांच के दौरान एडीएम ने सीएमएस से पूछा कि जब अस्पताल में 30 बिस्तरों के क्वारंटाइन बेड की सुविधा उपलब्ध है, तो महिला को जिम्स क्यों रेफर किया गया? जबकि कोरोना संदिग्ध महिलाओं का अस्पताल में सैंपल लेकर जांच लैब भेजा जाता है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाती है, लेकिन गर्भवती के मामले में ऐसा कुछ क्यों नहीं किया गया. जिम्स रेफर करने के दौरान डॉक्टरों ने महिला को न तो एंबुलेंस दी न ही रेफरल कागज.
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महिला को सीवियर निमोनिया की शिकायत
सेक्टर-24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक महिला 8 माह की गर्भवती थी. सीवियर निमोनिया होने से उसके फेफड़ों में बलगम जम गया था. कोरोना के लक्षण भी थे. गंभीर होने पर उसे एंबुलेंस के जरिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था. इस मामले में प्राइवेट अस्पताल शिवालिक, फोर्टिस, जेपी के खिलाफ भी जांच करने की बात की गयी है.