UP Drought: भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के मुताबिक जून के पहले सप्ताह से 28 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 40 में औसत से कम बारिश हुई है.
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लखनऊ : जुलाई महीने की शुरुआत में कई दिन तक हुई बारिश के बाद लगा इस साल मॉनसून ठीक रहेगा. लेकिन यूपी के 41 जिलों में जरूरत से बहुत कम हुई बारिश ने अब किसानों के साथ सरकार को भी टेंशन दे दिया है. 41 जिलों में सूखे का खतरा मंडरा रहा है. किसी तरह किसानों ने धान की रोपाई का काम किया तो अब वह सूखने को है.
भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के मुताबिक जून के पहले सप्ताह से 28 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 40 में औसत से कम बारिश हुई है. इन जिलों में से ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य और बुंदेलखंड के हैं. कम बारिश की वजह से जहां सूखा पड़ने का खतरा है. इसे देखते हुए राज्य का कृषि विभाग एक्शन में आ गया है.
कृषि विभाग किसानों को ज्वार और बाजरा के बीज अनुदान मुहैया करने की तैयारी में है. पूर्वी, मध्य, बुंदेलखंड अंचलों में सूखे के सम्भावित खतरे को देखते हुए कृषि विभाग ने यह कदम बढ़ाया है. इसके लिए सूखे से निपटने और किसानों को मदद देने के लिए स्टॉल लगाए जाने की तैयारी है. कौशांबी, कुशीनगर और देवरिया में लंबी अवधि के औसत की तुलना में लगभग 70 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है.
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धान की खेती के लिए पहचाने जाने वाले रूहेलखंड के पीलीभीत समेत पूर्वांचल के सात जिलों में सामान्य से 99 फीसदी तक कम बारिश हुई है. वहीं 33 जिलों में 59 फीसदी तक कम वर्षा दर्ज की गई है. 28 जुलाई तक 281.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है, जो कि सामान्य वर्षा 333.5 मिलीमीटर की 84.3 फीसदी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश हालात और खराब हैं. यहां सामान्य से 64.8 फीसदी बारिश ही हुई है. वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह 118.3 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई है. खरीफ में 96.20 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के मुकाबले 78.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई हो सकी है. हालांकि यह बुआई पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 5.52 फीसदी अधिक है. धान का रकबा 58.50 लाख हेक्टेयर रखने का लक्ष्य था, जो 27 जुलाई तक 50.35 लाख हेक्टेयर ही हासिल किया जा सका.
सीएम ने दिए ये निर्देश
सूखे की आहट को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि ''किसान इस समस्या को लेकर घबराएं नहीं. सरकार हर कदम पर उनके साथ है. इसके साथ ही सीएम ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सूखा मैनुअल के मुताबिक अगस्त में सूखा का आकलन किया जाए. प्रत्येक 15 दिन पर स्थिति की समीक्षा की जाए.
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