जानिए, President of India के पास ऐसे कौन से अधिकार और पावर हैं जो उन्हें बनाते हैं बाकियों से अलग
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जानिए, President of India के पास ऐसे कौन से अधिकार और पावर हैं जो उन्हें बनाते हैं बाकियों से अलग

देश के संवैधानिक मुखिया होने के नाते इस स्तर की सेक्योरिटी रामनाथ कोविंद के लिए जरूरी है. इसी के साथ हम आपको बताते हैं कि प्रेसिडेंट के पास और कौन-कौन से स्पेशल अधिकार और पावर होती हैं... 

जानिए, President of India के पास ऐसे कौन से अधिकार और पावर हैं जो उन्हें बनाते हैं बाकियों से अलग

नई दिल्ली: आज, 25 जून 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) कानपुर दौरे के लिए उत्तर प्रदेश आ रहे हैं. देर शाम करीब 7.30 बजे वे प्रेसिडेंशियल ट्रेन से अपने पैतृक गांव परौंख आएंगे. बता दें, राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद पहली बार अपने गांव आ रहे हैं. साथ ही, उनके साथ आएगी चार स्तरीय सुरक्षा, स्पेशल कमांडो, 10 जिलों की पुलिस फोर्स, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) और गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (GRP). 

देश के संवैधानिक मुखिया होने के नाते इस स्तर की सेक्योरिटी रामनाथ कोविंद के लिए जरूरी है. इसी के साथ हम आपको बताते हैं कि प्रेसिडेंट के पास और कौन-कौन से स्पेशल अधिकार और पावर होती हैं... 

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राष्ट्रपति हैं सर्वोच्च सेनापति
संविधान के मुताबिक, संघ की कार्यपालिका शक्ति (Executive Power) राष्ट्रपति में निहित है. वे अपनी इस पावर का इस्तेमाल केंद्रीय मंत्रिमण्डल (Union Ministry) के जरिये कर सकते हैं. देश की जल (Indian Navy), थल (Indian Army) और वायु सेना(Indian Air Force) के सर्वोच्च सेनापति राष्ट्रपति ही होते हैं. 

इमरजेंसी डिक्लेयर करने की पावर
मालूम हो, देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही होता है. 1962 (Indo-China War), 1971 (Indo-Pakistan War), 1975 (Internal Aggression) के दौरान देश में इमरजेंसी लगाई गई हैं. 

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इसमें 3 तरह की इमरजेंसी शामिल होती हैं-
(संविधान के अनुच्छेद 352-362)
1. युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (emergency imposed due to war, external aggression or armed rebellion)
2. राज्यों के संविधानिक तंत्र की विफलता (due to failure of constitutional machinery of states)
3. वित्‍तीय आपात (Financial Emergency)

कानून बनाने की पावर 
राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता. धन विधेयक, राज्य का निर्माण, नाम या सीमा बदलना या भूमि अधिग्रहण के संबंध में विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बगैर संसद में प्रेसेंट नहीं किए जा सकते. राष्ट्रपति ही मंत्रिपरिषद का गठन करते हैं.

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होती है Veto Power
राष्ट्रपति वीटो के माध्यम से संसद से पारित किसी विधेयक को कुछ समय के लिए (या हमेशा के लिए) अपने पास रख सकते हैं. इनमें 3 तरह के वीटो शामिल हैं-

1. पूर्ण वीटो (Full Veto)
जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को अनुमति नहीं देते, तो कहा जाता है कि उन्होंने पूर्ण वीटो पावर का प्रयोग किया है.|

2. निलम्बनकारी वीटो (Suspension Veto)
जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को संसद के पास पुनर्विचार के लिए भेजते हैं, तो वे निलम्बनकारी वीटो का प्रयोग करते हैं.

3. जेबी वीटो (Pocket Veto)
जब राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित विधेयक को न तो अनुमति देते हैं और न ही उसे पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं, तो वे जेबी या पॉकेट वीटो का प्रयोग करते हैं.

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जानें भारत के राष्ट्रपति के अधिकार:
बता दें, देश के प्रेसिडेंट के पास इन पदों पर नियुक्ति करने का अधिकार है-
1. भारत के प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार (PM And Advisor)
2. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice)
3. राज्‍यों के गवर्नर (Governers)
4. सभी चुनाव आयुक्‍त (Election Commissioner)
5. भारत के नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (Control and Auditor General of India)

संसद में इन सदस्यों को कर सकते हैं नॉमिनेट
राष्‍ट्रपति लोकसभा में Anglo Indian समुदाय के दो व्‍यक्तियों को और राज्‍यसभा में 12 व्‍यक्तियों को (जो कला, साहित्‍य, पत्रकारिता, विज्ञान, आदि में पर्याप्‍त अनुभव रखतें हो) नॉमिनेट कर सकते हैं.

अध्‍यादेश जारी करने का अधिकार
बता दें, जब संसद के दोनों सदन सत्र में नहीं होते, उस समय संविधान के अनुच्‍छेद 123 के हिसाब से राष्‍ट्रपति अध्‍यादेश जारी कर सकते हैं. इसका प्रभाव संसद सत्र के शुरू होने के 6 हफ्ते तक रहता है.

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राजनैतिक शक्‍ति (Political Power)
गौरतलब है कि दूसरे देशों के साथ भी अगर कोई समझौता किया जा रहा है तो संधि (Treaty) राष्‍ट्रपति के नाम ही साइन की जाती है. इसके अलावा, प्रेसिडेंट के पास विदेशों के लिए भारतीय राजदूतों की भी नियुक्ति का भी अधिकार है.

क्षमादान की शक्ति (Power of Pardon)
बता दें, संविधान के अनुच्‍छेद 72 के अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी व्‍यक्ति को क्षमा कर उसे दंड मिलने से बचा सकते हैं. या फिर उसकी सजा कम कर सकते हैं. लेकिन अगर राष्‍ट्रपति ने एक बार क्षमा याचिका रद्द कर दी, तो फिर याचिका दायर नहीं की जा सकती.

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