राजनीतिक जानकारों की मानें तो ओपी राजभर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. उन्हें जहां फायदा होगा, वहां जाने से गुरेज नहीं करेंगे. अगर आगामी दिनों में वह एक बार फिर एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन जाएं तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं.
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लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष व योगी सरकार में पूर्व मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर ने मंगलवार सुबह यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात की. उनके साथ प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह भी मौजूद थे. यह मुलाकात करीब 1 घंटे चली. सूत्र बताते हैं कि दो दिन पहले ओपी राजभर ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी.
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि राजनीति में कुछ भी संभव है
इस मुलाकात को लेकर जब एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने ओपी राजभर से सवाल किया तो उन्होंने हंसते हुए इसे शिष्टाचार भेंट बताया. लेकिन यह जोड़ना नहीं भूले कि राजनीति में कौन-कौन क्या कर रहा है, इसकी थाह समय-समय पर लेते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि दो बड़े नेता व्यक्तिगत मुलाकात भी कर सकते हैं. जब ममता बनर्जी और सोनिया गांधी मिल सकती हैं, जब मायावती और अखिलेश मिल सकते हैं तो राजनीति में कुछ भी संभव है.
भाजपा 2017 के अपने फॉमूले को 2022 में दोहराना चाहती है
यूपी चुनाव में अब 6 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में स्वतंत्र देव सिंह से ओपी राजभर की मुलाकात सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी यह मानना भ्रम होगा. इस मुलाकात के पीछे राजनीतिक एजेंडा होना सच के बहुत ज्यादा करीब है. भाजपा ने जिस फॉर्मूले को अपनाकर 2017 फतह किया था, उसी को 2022 में भी दोहराने की कोशिश है. पिछड़ों व अति पिछड़ों को अपने पाले में खींचने की रणनीति के तहत ओम प्रकाश राजभर को भाजपा फिर से अपने पाले में लाना चाहती है.
राजग में शामिल होकर योगी सरकार में मंत्री रहे, फिर बगावत
साल 2017 में भाजपा गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़े, मंत्री भी बने. लेकिन कुछ महीनों बाद ही शिकवा-शिकायतों का दौर शुरू हो गया. अंतत: ओपी राजभार ने एनडीए और योगी सरकार का साथ छोड़कर अलग राह चुन ली. उन्होंने उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ मिलकर जन भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है. वह भाजपा की राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर बयानबाजी करते रहे हैं.
अखिलेश, शिवपाल और संजय सिंह से भी मिल चुके हैं राजभर
ओम प्रकाश राजभर ने कांग्रेस के सवाल पर कहा, ''कांग्रेस की चाय लल्लू जी (अजय कुमार लल्लू) के साथ अभी बाकी है. जल्द ही उनकी भी चाय पीएंगे.'' इस बीच वह समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, उनके चाचा और प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव से भी लगातार संपर्क में हैं. इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह से भी मुलाकातों का दौर चला चुके हैं. और तो और एनडीए गठबंधन में शामिल निषाद पार्टी और अपना दल एस को जन भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ आने का न्योता भी दे चुके हैं.
ओपी राजभर को जहां फायदा होगा वहां जाने से गुरेज नहीं करेंगे
ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि हम सभी छोटे दलों को एक साथ मिलाकर मोर्चा तैयार किए हैं, जो चुनावी मैदान में उतरेगा. यूपी की सभी 403 सीटों पर उनका मोर्चा उम्मीदवार उतारेगा. सरकार बनी तो पांच साल में 5 सीएम (मुस्लिम, राजभर, कुशवाहा, चौहान व पटेल समुदाय से) और हर साल 4 डिप्टी सीएम बनेंगे. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ओपी राजभर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. उन्हें जहां फायदा होगा, वहां जाने से गुरेज नहीं करेंगे. अगर आगामी दिनों में वह एक बार फिर एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन जाएं तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं.
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