Pushpendra Yadav Fake Encounter Case: बहुचर्चित पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फर्जी मुठभेड़ मामले में आदेश देते हुए कहा कि आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए.
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मो.गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झांसी के बहुचर्चित पुष्पेंद्र सिंह यादव कथित एनकाउंटर में बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने पुष्पेंद्र सिंह यादव कथित एनकाउंटर में शामिल झांसी के दो थानों के पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. मृतक पुष्पेंद्र के परिजनों ने फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए इसमें शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस वाइज मियां की डिविजन बेंच ने मृतक की पत्नी शिवांगी यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है. मामले में अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी.
याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्ला और विनीत विक्रम सिंह ने पक्ष रखते हुए कहा कि झांसी के मोंठ थाने के एसएचओ धर्मेंद्र सिंह चौहान ने पुष्पेंद्र यादव की हत्या की. बाद में झूठी कहानी के आधार पर मुठभेड़ में पुष्पेंद्र यादव का एनकाउंटर दिखाया गया. कोर्ट ने याची अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद कथित एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 9 अक्टूबर 2019 को झांसी के खनन व्यापारी पुष्पेंद्र सिंह यादव का पुलिस द्वारा मुठभेड़ में एनकाउंटर दिखाया गया था. पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि रात को मोंठ थाने के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान पर फायरिंग कर कार लूटकर भाग रहे पुष्पेंद्र को एनकाउंटर में मार गिराया गया था. दूसरी ओर परिवार के लोगों ने आरोप लगाया था कि पुष्पेंद्र बालू खनन और उसके ट्रांसपोर्ट का काम करता था. पुलिस से रुपये के लेनदेन से जुड़ा एक वीडियो पुष्पेंद्र के पास था और विवाद बढ़ने पर तत्कालीन इंस्पेक्टर और अन्य पुलिसकर्मियों ने उसकी हत्या कर घटना को एनकाउंटर का रूप दे दिया था. परिजनों ने एनकाउंटर पर शुरू से ही सवाल खड़ा किया था. पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए अंतिम संस्कार से भी इंकार कर दिया था.
अखिलेश यादव ने उठाए थे सवाल
इस घटना को लेकर यूपी की सियासत में पुलिस एनकाउंटर को लेकर सवाल भी खड़े हुए थे. पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मृतक पुष्पेंद्र यादव के घर पहुंचकर पुलिसकर्मियों पर उसी दौरान हत्या का आरोप लगाया था. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस पार्टी ने भी इस कथित एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए थे.
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तहरीर देने के बाद भी नहीं हुई थी कोई कार्रवाई
इस मामले में मृतक की पत्नी की तरफ से पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग को लेकर तहरीर दी गई. मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर शिवांगी की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई. इलाहाबाद हाईकोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने करीब ढाई साल बाद एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है.
मामले की जांच सीबीआई को रेफर करने की मांग की
याची अधिवक्ता इमरान उल्ला ने बताया कि कोर्ट का विस्तृत ऑर्डर अभी नहीं आया है. कोर्ट का विस्तृत ऑर्डर आने के बाद याची की तरफ से संबंधित थाने में कथित एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ तहरीर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से मामले की जांच सीबीआई को रेफर किए जाने की मांग की गई है. हालांकि अगली सुनवाई पर यह तय होगा कि कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है. वहीं, मामले में ढाई साल बाद आरोपी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश के बाद मृतक की पत्नी ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट पर पूरा यकीन था. कोर्ट के आदेश से आज उन्हें न्याय की उम्मीद जगी है.
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