योगी कैबिनेट ने 16 नवंबर को कई अहम फैसले लिए हैं. सौर ऊर्जा नीति 2022 को मंजूरी देने के साथ यूपी के 18 मंडलों में बनेगा आईटी पार्क.
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अजीत सिंह/लखनऊ: योगी कैबिनेट ने बुधवार को 24 बड़े फैसलों पर मुहर लगाई है. मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके अतिरिक्त, मंत्रिपरिषद ने निजी आवासों पर नेट मीटरिंग व्यवस्था के साथ ग्रिड संयोजित सोलर सिस्टम की स्थापना पर केन्द्रीय वित्तीय सहायता के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 15,000 रुपये प्रति किलोवॉट, अधिकतम 30,000 रुपये प्रति उपभोक्ता सब्सिडी को भी मंजूरी दी. नीति काल अवधि में हर साल 800 करोड़ रुपये सब्सिडी तथा पांच साल में 4,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी मंजूर की है. सरकारी संस्थानों एवं प्रदेश के समस्त शिक्षण संस्थानों के भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सोलर रूफटॉप अनुमन्य किया गया है.
‘उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022’ के तहत उत्तर प्रदेश में आगामी पांच साल में सौर ऊर्जा परियोजनाओं से 22,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है. इसमें सोलर पार्क की स्थापना से 14,000 मेगावॉट, सोलर रूफटॉप (आवासीय क्षेत्र) से 4,500 मेगावॉट, सोलर रूफटॉप (गैर-आवासीय संस्थान) से 1,500 मेगावॉट तथा पीएम कुसुम योजना घटक सी-1 एवं सी-2 से 2,000 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य सम्मिलित है. नीति के क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है.
गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत से विद्युत उत्पादन आज की आवश्यकता है. पर्यावरण में कार्बन इमीशन को कम करने के उद्देश्य से गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 प्रख्यापित की गयी है. 5 मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित सोलर पार्कों को 2.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की दर पूँजीगत सहयोग मुहैया कराया जाएगा. इससे सौर ऊर्जा को स्टोर करके पीक लोड के समय विद्युत आपूर्ति की जा सकेगी. स्टोरेज सिस्टम के साथ सोलर पार्कों की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाला उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य बनेगा.
सोलर रूफटॉप अनावासीय
प्रदेश में अनावासीय भवनों जैसे कि सरकारी भवन तथा सभी प्रकार के सरकारी अथवा गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों की छतों पर सोलर रूफटॉप सिस्टम की स्थापना करके 1500 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.
इस श्रेणी के अनावासीय भवनों की छतों पर स्थापित सोलर रूफटॉप सिस्टम पर भी नेटमीटरिंग की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.
अन्य श्रेणी के अनावासीय भवनों की छतों पर स्थापित सोलर रूफटॉप सिस्टम पर भी उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों के अधीन नेट बिलिंग की सुविधा भी शीघ्र अनुमन्य होगी. पीएम कुसुम योजना घटक सी-1 में किसानों को उनके अपने स्थापित नलकूपों पर सोलर ऊर्जीकरण करने पर केन्द्र सरकार द्वारा 30 प्रतिशत सब्सिडी दिया जाता है. इस स्कीम को प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश में आवासित मुसहर, वनटांगिया तथा अनुसूचित जनजाति के कृषकों को केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त 70 प्रतिशत और अनुदान दिया जाएगा. इस प्रकार इस श्रेणी के किसानों के नलकूपों को निःशुल्क सौर ऊर्जीकृत किया जायेगा.
अन्य कृषकों को केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त 60 प्रतिशत और अनुदान दिया जायेगा. इस प्रकार अन्य श्रेणी के किसानों के नलकूपों को सौर ऊर्जीकृत करने के लिए 90 प्रतिशत राजकीय अनुदान प्राप्त हो जायेगा. उन्हें केवल मात्र 10 प्रतिशत अंशदान देना होगा जो कि अनुमानतः अधिकतम लगभग 55,000 रुपये होगा.
पीएम कुसुम योजना
पावर कारपोरेशन द्वारा एग्रीकल्चर फीडर अलग चिन्हिंत कर लिए हैं. इन फीडरों के सौर ऊर्जीकरण की यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा संचालित हैं. केन्द्र सरकार द्वारा 1.05 करोड़ प्रति मेगावॉट की दर से सब्सिडी दी जाती है. इस योजना को वाणिज्यिक रूप से सफल बनाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अनुमन्य सब्सिडी के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा 50 लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से वायबिलिटी गैप फन्डिंग के लिए अतिरिक्त सब्सिडी की व्यवस्था की गयी है.
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सोलर सिटी का विकास
अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा. प्रदेश के 16 नगर निगमों तथा नोएडा को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा. सोलर सिटी के रूप में विकसित किये जाने का आशय यह होगा कि शहर की पारम्परिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग की न्यूनतम 10 प्रतिशत ऊर्जा शहर क्षेत्र में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों से पूरी की जाए. इसके लिए नीति के अन्तर्गत वर्ष 2011 की नगर निगम क्षेत्र की जनगणना के अनुसार 100 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों/नोएडा सिटी को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. सौर ऊर्जा संयंत्रों की रख-रखाव के लिए अतिरिक्त जनशक्ति का सृजन किया जाएगा. इसके लिए 30,000 युवकों को सौर ऊर्जा संयंत्रों के अनुरक्षण की ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्हें ‘सूर्य मित्र’ का नाम दिया जाएगा. इस तरह इन ‘सूर्य मित्रों’ के लिए रोजगार पैदा होगा.