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कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधान सभा (West Bengal Assembly) में बुधवार को शोरगुल दिखा क्योंकि जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banarjee) सदन में राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रही थीं तब भाजपा सदस्यों ने ‘मोदी मोदी’ के नारे लगाकर उन्हें बार-बार बाधित किया.
मुख्यमंत्री ने इसके जवाब में ‘जय बांग्ला’ के नारे के साथ पलटवार किया और भाजपा सदस्यों को ‘जय श्रीराम’ के बजाय ‘जय सिया राम’ कहने की सलाह दी. राज्यपाल जगदीप धनखड़ के सोमवार को अभिभाषण के दौरान सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए भाजपा के 2 विधायकों सुदीप मुखोपाध्याय और मिहिर गोस्वामी को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाने को लेकर सदन में विपक्षी सदस्यों की ओर से नारेबाजी की गई.
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा सदन में एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए भाजपा विधायकों को निलंबित करने की मांग की गई. प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया. दोनों विधायकों के निलंबन के लिए विधान सभा में प्रस्ताव पेश करते हुए, चटर्जी ने कहा कि नताबारी का प्रतिनिधित्व करने वाले गोस्वामी और पुरुलिया के विधायक मुखोपाध्याय ने 7 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान नारेबाजी की और तख्तियां दिखाते हुए सदन की कार्रवाई में व्यवधान डाला.
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गौरतलब है कि राज्यपाल ने 7 मार्च को विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हंगामे के बीच अपने भाषण की पहली और आखिरी पंक्तियों को पढ़कर अपना अभिभाषण सम्पन्न किया था. पश्चिम बंगाल विधान सभा के बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को शोर-शराबा हुआ क्योंकि भाजपा विधायकों ने राज्य में हाल में संपन्न निकाय चुनावों में कथित हिंसा को लेकर विरोध किया जिसके चलते धनखड़ को अपना अभिभाषण छोटा करना पड़ा.
वहीं तृणमूल की महिला विधायकों ने राज्यपाल से अभिभाषण देने का अनुरोध किया. बनर्जी ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया भाजपा विधायकों ने ‘मोदी, मोदी’, ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम’ जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए और वे तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख बनर्जी के पूरे 40 मिनट के भाषण तक ये नारे लगाते रहे.
इससे नाराज बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा राज्य में शांति भंग करना चाहती है जबकि तृणमूल शांति के लिए लड़ रही है. बनर्जी ने सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान भाजपा विधायकों द्वारा विधान सभा में किए गए हंगामे का जिक्र करते हुए कहा, ‘भाजपा सदस्यों ने कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश की, लेकिन उनकी साजिश सफल नहीं हुई, राज्यपाल को धन्यवाद.’
बनर्जी ने कहा, ‘वे (भाजपा विधायक) चुनाव (विधानसभा चुनाव और हाल ही में हुए नगरपालिका चुनाव) हारने के बाद भी विधान सभा में उपद्रव कर रहे हैं. वे बेशर्म हैं.’ उन्होंने कहा कि तृणमूल ने हाल के निकाय चुनावों में 109 में से 105 सीटें जीती हैं. उन्होंने अपनी पार्टी की राज्य सभा सांसद डोला सेन और एस. छेत्री के निलंबन का उल्लेख करते हुए कहा, ‘उन्होंने हमारे सांसदों को राज्य सभा से निलंबित कर दिया.
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वहां एक वोट भी मायने रखता है... बंगाल (विधान सभा) में अलग स्थिति क्यों होगी?’ बनर्जी का परोक्ष तौर पर इशारा आज सुबह राज्य विधान सभा से भाजपा के दो विधायकों के निलंबन की ओर था. उन्होंने कहा, ‘देश को बचाने के लिए भाजपा को जाना होगा.’ बाद में पत्रकारों से बात करते हुए, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने उस 'अलोकतांत्रिक प्रक्रिया' के लिए तृणमूल की आलोचना की, जिसके माध्यम से भाजपा के दो विधायकों को निलंबित कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘यह अब तक की सबसे अलोकतांत्रिक सरकारों में से एक है. जिस प्रक्रिया के माध्यम से भाजपा के दो विधायकों को निलंबित किया गया वह अनैतिक है और संसदीय लोकतंत्र के मानदंडों के खिलाफ है. उस दिन (सोमवार) तृणमूल विधायकों ने राज्यपाल का घेराव किया लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.’
इस बीच राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने बजट सत्र के पहले दिन विधान सभा में उत्पन्न हुई अव्यवस्था की प्रशंसा की, जबकि उन्हें संबोधन को बीच में ही खत्म करना पड़ा और अपने अभिभाषण को सदन के पटल पर रखना पड़ा. धनखड़ ने कहा कि सोमवार को विधान सभा में उन्हें वस्तुत: मंत्रियों और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायकों के ‘घेराव’ का सामना करना पड़ा.
धनखड़ की यह टिप्पणी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस की महिला विधायकों की इसके लिए प्रशंसा करने के बाद आई कि उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे भाजपा विधायकों विरोध के बीच सदन में अपना अभिभाषण पढ़ें. धनखड़ के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, तृणमूल के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘राज्यपाल को विधान सभा के पहले दिन भाजपा विधायकों के अनियंत्रित व्यवहार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने तृणमूल पर दोष मढ़ने के लिए इसे नजरअंदाज करने का चयन किया. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस केवल इस बात से चिंतित थी कि वह अपने अभिभाषण को पूरा कर सकें और उन्हें किसी भी दुर्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़े.
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