वॉट्सऐप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर ये मैसेज फैलाया जा रहा है कि आज के दिन लोग शहीद भगत सिंह को याद करने की बजाय वेलेंटाइन डे मना रहे हैं. लेकिन सच कुछ और ही है.
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नई दिल्ली: प्यार के प्रतीक वेलेंटाइन डे (Valentine's Day) पर सोशल मीडिया (Social Media) पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि आज के दिन शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) को फांसी दी गई थी. वॉट्सऐप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर ये मैसेज फैलाया जा रहा है कि आज के दिन लोग शहीद भगत सिंह को याद करने की बजाय वेलेंटाइन डे मना रहे हैं. लेकिन जब हमने इस बात की पड़ताल की तो सच कुछ और ही निकला.
दरअसल, 14 फरवरी के दिन न तो भगत सिंह को फांसी दी गई थी और न ही आज के दिन उन्हें कोई सजा सुनाई गई थी. बल्कि 14 तारीख और भगत सिंह का नाता सिर्फ इतना है कि आज के दिन प्रिविसी काउंसिल द्वारा अपील खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malviya) ने 14 फरवरी 1931 को लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया था. विष्णु शर्मा की किताब 'इतिहास के 50 वायरल सच' में भी इसका जिक्र है.
हर वायरल खबर सच नहीं होती इसलिए इसे शेयर करने से पहले इसकी सत्यता जांच लेना जरूरी होता है. क्योंकि ऐसा देखा गया है कि इतिहास से छेड़-छाड़ करने वाले लोग महत्वपूर्ण तारीखों को बदलकर सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं.
ये है सच
ऐतिहासिक तथ्यों की बात करें तो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर षढ़यंत्र मामले में ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 7 अक्टूबर 1930 को 300 पेज के जजमेंट पर आधारित तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी. तीन शहीदों के अलावा उनके 12 साथियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी. उसके बाद 24 मार्च 1931 को फांसी दी जानी थी, लेकिन विशेष आदेश के अंतर्गत उन्हें 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 बजे फांसी दे दी गई.
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