Ayurveda Mahakumbh: संसद में हंगामे से दुखी हुए उपराष्ट्रपति, आयुर्वेदाचार्यों से कर डाली ये मांग
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Ayurveda Mahakumbh: संसद में हंगामे से दुखी हुए उपराष्ट्रपति, आयुर्वेदाचार्यों से कर डाली ये मांग

Rajya Sabha Chairman On Ayurveda Mahakumbh: संसद में हंगामे से दुखी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को आयुर्वेदाचार्यों से एक ऐसी औषधि बनाने की अपील कर डाली जिससे संसद की गरिमा ठीक रहे.

फाइल फोटो

Vice President Jagdeep Dhankhar Statement: उत्तर प्रदेश के मेरठ में आयोजित प्रादेशिक आयुर्वेदिक सम्मेलन में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी संविधान सभा ने 3 वर्षों तक अनेक जटिल और विभाजनकारी मुद्दों पर बहस की है और उनको सुलझाया है लेकिन 3 वर्ष के लंबे समय में कोई व्यवधान नहीं हुआ, कोई वेल में नहीं आया, कोई प्लेकार्ड नहीं दिखाए गए. हमारा आचरण आज उसके विपरीत है. हम लोकतंत्र के मंदिरों का इस तरह अनादर होते हुए नहीं देख सकते.

ऐसी औषधि बनाएं ताकि संसद की गरिमा बनी रहे

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम न केवल सबसे बड़े प्रजातंत्र हैं बल्कि हम लोकतंत्र की जननी भी हैं. संसद की गरिमा को बनाए रखने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि आज यहां आचार्य बालकृष्ण और प्रसिद्ध आयुवेर्दाचार्य मौजूद हैं. राज्य सभा का सभापति होने के नाते मैं कुछ कहना चाहता हूं कि आप कोई ऐसी औषधि बनाएं ताकि संसद की गरिमा ठीक रहे.

महान देश की उपलब्धियों का निरादर न करें

राज्य सभा सभापति ने संसद की गरिमा बनाए रखने के लिए जनांदोलन करने की वकालत करते हुए आगे कहा कि एक वातावरण तैयार कीजिए और संसद-विधान सभाओं में आचारण अनुकरणीय होना चाहिए. वहां व्यवधान नहीं होना चाहिए पर ये कैसे होगा! इसके लिए आप सभी को जनांदोलन करना होगा. उन लोगों को जवाबदेह बनाना होगा जो इस महान देश की उपलब्धियों का निरादर करते हैं.

राहुल गांधी के बयान की आलोचना

धनखड़ ने एक बार फिर विदेश में दिए गए राहुल गांधी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि आज देश की सोच और धारा में बदलाव आ गया है जिसकी कल्पना नहीं थी वो सब आज भारत में हो रहा है. भारत आज पंचायत और म्युनिसिपलिटी से लेकर राज्य और केंद्र स्तर तक दुनिया का सबसे ज्यादा कार्यात्मक प्रजातंत्र है लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग नैरेटिव सेट करने के लिए आरोप लगाते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में माइक बंद कर दिया जाता है. इससे बड़ा असत्य और कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने आपातकाल की याद दिलाते हुए आगे कहा कि राज्य सभा के सभापति होने के नाते मजबूरन उन्हें यह कहना पड़ रहा है कि भारत की संसद में माइक बंद नहीं होता. हां एक समय था, एक काला अध्याय था, वो आपतकाल का समय था.

(इनपुट: एजेंसी)

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