पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के दो सांसदों ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है. विधायकी से इस्तीफा देने के बाद भी दोनों नेता सांसद बने रहेंगे.
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी के दो सांसदों ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है. दोनों सांसद जगन्नाथ सरकार (Jagannath Sarkar) और निशीथ प्रामाणिक (Nishith Pramanik) बुधवार को असेंबली भवन पहुंचे और स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
बंगाल विधान सभा में MLA पद से इस्तीफा देने के बाद सांसद निशीथ प्रामाणिक (Nishith Pramanik) ने कहा कि उन्होंने केवल पार्टी नेतृत्व के आदेशों का पालन किया है. पार्टी ने ही यह फैसला किया कि वे विधायक पद से इस्तीफा दें तो उन्होंने आज स्पीकर को अपना त्यागपत्र सौंप दिया.
उधर बीजेपी सांसदों के विधायक पद से इस्तीफे के बाद बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने चुटकी ली है. टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'बीजेपी ने बंगाल चुनाव में अपने 4 लोक सभा सांसद और एक राज्य सभा सांसद को मैदान में उतारा था. उनमें से 3 चुनाव हार गए और 2 जीते. इन जीते हुए सांसदों ने भी आज रिजाइन कर दिया. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी ने चुनाव में शून्य हासिल करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.'
#BJP fielded 4 sitting LS MPs, incl a Union Min & 1 RS MP for #BengalPolls. 3 lost. 2 won. Now these 2 to quit as MLAsThey were elected last week! World’s largest (sic) party have set a world record for electoral egg on face.
One Nation One Election! What say Narendra, Amit
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) May 11, 2021
बताते चलें कि निशीथ प्रामाणिक (Nishith Pramanik) वर्ष 2019 में बंगाल की कूच बिहार सीट से एमपी चुने गए थे. बीजेपी ने उन्हें सांसद रहते हुए इस बार बंगाल की दिनहाता (Dinhata) सीट से चुनाव लड़ाया था. वहीं जगन्नाथ सरकार (Jagannath Sarkar) बंगाल की रानाघाट सीट से सांसद बने थे. उन्हें बीजेपी ने इस बार सांतिपुर सीट से विधायक के चुनाव में उतारा था. जिसमें दोनों ने जीत हासिल की थी.
इन दोनों के अलावा बीजेपी ने बंगाल विधान सभा चुनाव में सांसद लॉकेट चटर्जी (Locket Chatterjee), केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) और राज्य सभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता को चुनावी मैदान में उतारा थे लेकिन तीनों चुनाव में हार गए. इन तीनों सांसदों ने संसद से इस्तीफा नहीं दिया था. इसलिए एमएलए का चुनाव हार जाने के बावजूद वे सांसद बने रहेंगे.
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