Sanjeev Jeeva Killing: संजीव जीवा (Sanjeev Jeeva) की पत्नी पायल के खिलाफ भी कई आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. संजीव की पत्नी को डर है कि गिरफ्तारी होने की सूरत में उसकी भी हत्या हो सकती है. शामली में उसके गांव आदमपुर में संजीव की सास ने भी यही अपील की है.
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Sanjeev Jeeva Case Latest Update: उत्तर प्रदेश (UP) में लखनऊ (Lucknow) की सेशंस कोर्ट में जज के कमरे के पास गैंगस्टर संजीव जीवा (Sanjeev Jeeva) की हत्या और प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और अशरफ की हत्या का पैटर्न एक-सा दिखाई देता है क्योंकि जिस तरह अतीक अहमद के हत्यारों ने महंगी विदेशी पिस्टल से दोनों भाइयों की पुलिस की सुरक्षा के बीच बेखौफ होकर हत्या की. ठीक उसी तरह विजय यादव ने भी महंगी विदेशी पिस्टल से जीवा की हत्या की. यही वो रिवॉल्वर है जिससे विजय ने संजीव जीवा पर गोलियां चलाईं ये कोई मामूली पिस्टल नहीं है. ये 357 मैगनम अल्फा अमेरिकन रिवॉल्वर है, वो चेक रिपब्लिक में बनी हुई है. ये किसी को आसानी ने नहीं मिल जाती. इसकी कीमत 5 से 6 लाख रुपये है. इस रिवॉल्वर के एक कारतूस की कीमत 1.5 से 2 हजार रुपये के बीच है. अतीक की तरह ही संजीव जीवा भी पुलिस की सुरक्षा में कोर्ट पहुंचा था और मारा गया.
विजय को किसने बनाया मोहरा?
संजीव जीवा की हत्या को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि विजय को पता था कि संजीव की बुधवार को कोर्ट में पेशी है. उसे ये भी पता था कि ये पेशी किस जज की कोर्ट में है. वकील जैसा दिखने के लिए उसने बाकायदा वकील की यूनिफॉर्म तैयार कराई. इन सबसे साफ है कि जीवा मर्डर के पीछे कोई है जिसने विजय को मोहरा बनाकर संजीव का कत्ल कराया. सूत्रों के मुताबिक, विजय पहले भी एक बार रेकी कर विजय की हत्या की कोशिश की थी लेकिन तब वह नाकाम रहा था.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
इस बीच संजीव जीवा के हत्यारे विजय यादव का एक नया वीडियो सामने आया है. गुरुवार को जब पुलिस उसे गिरफ्तार कर कोर्ट से बाहर ले जा रही थी तब कोर्ट परिसर में मौजूद वकीलों ने उसी पिटाई कर दी. पुलिस आरोपी विजय यादव को चारों तरफ से घेर कर ले जा रही थी तभी वकीलों ने उस पर हमला कर दिया था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गोली मारते ही जीवा की मौत हो गई थी.
शरीर को चीरते हुए निकल गईं 8 गोलियां
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर्स के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया. उसके मुताबिक, गैंगस्टर संजीव जीवा को 8 गोलियां मारी गई थीं, जिसमें से 6 गोलियां उसके सीने और पेट में लगीं. बाकी 2 गोलियां बाएं हाथ में लगी थीं. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, जीवा के शरीर पर गोलियों के 16 एंट्री और एग्जिट पॉइंट हैं. इसका मतलब ये हुआ कि जीवा को 8 गोलियां लगीं जो उसके शरीर को चीरते हुए बाहर निकल गईं.
आरोपी विजय यादव की क्राइम कुंडली
संजीव का हत्यारा विजय यादव उर्फ आनंद की उम्र सिर्फ 25 साल है. वो पढ़ा-लिखा है. उसने बी-कॉम तक पढ़ाई की है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उसने भरी कोर्ट में उम्र कैद काट रहे संजीव की हत्या कर दी क्योंकि उसके मां-बाप के मुताबिक वो काफी सीधा-साधा लड़का है. उसका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है. एक लड़की को भगाने के आरोप में वो आजमगढ़ जेल में बंद रहा है. वो केस भी अब खत्म हो चुका है. जौनपुर में उसके गांव सुल्तानपुर में मिठाई की दुकान चलाने वाले उसके पिता को इस घटना पर यकीन नहीं हो रहा है.
जान लें कि विजय अपने 4 भाइयों में दूसरे नंबर का है. विजय फरवरी तक नौकरी के नाम पर मुंबई में था. ढाई महीने पहले ही वो लखनऊ वापस आया था. घरवालों के मुताबिक, लखनऊ में वो किसी पाइप बनाने वाली कंपनी में काम करता था. बीते 10 मई को वो अपने मामा की लड़की की शादी में आया था. 11 मई को वो लखनऊ वापस चला गया तब से उसकी घर वालो से कोई बात नहीं हुई. जीवा की हत्या की खबर सुनकर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी दहशत में है. कल लखनऊ के सेशन कोर्ट के अंदर गोलियां चलीं. लेकिन इसकी गूंज 200 किलोमीटर दूर बांदा जेल में सुनाई दी.
जहां मुख्तार अंसारी बंद है. सूत्रों के मुताबिक, संजीव जीवा की हत्या की खबर सुनकर जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने आपा खो दिया. जीवा की हत्या से मुख्तार अंसारी टेंशन में है. मुख्तार को ये खबर उस वक्त लगी जब उसके वकील उससे मिलने पहुंचे. जीवा की हत्या की खबर सुनकर मुख्तार बांदा जेल में बदहवास हो गया. वो सिर पर हाथ रखकर बैठ गया. संजीव जीवा की हत्या के बाद से ही मुख्तार सदमे में है.
साल 2000 में मुख्तार अंसारी और संजीव जीवा की मुलाकात तब हुई जब जीवा को उन्नाव जेल ट्रांसफर किया गया. उन्नाव जेल में बंद अभय सिंह के गुर्गों के जरिए संजीव जीवा मुख्तार के करीब पहुंचा. मुख्तार अंसारी ने पहली बार में ही संजीव जीवा को अपने गिरोह में शामिल कर लिया. मुन्ना बजरंगी के जरिए मुख्तार ने संजीव जीवा से कई बड़ी घटनाएं कराई. संजीव जीवा मुख्तार के लिए बालू और कोयला खदान के ठेकेदारों से वसूली करता था. मुन्ना बजरंगी के बाद मुख्तार अंसारी संजीव जीवा को ही अपना भरोसेमंद मानता था. बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या में भी ये शामिल था.
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