Karni Sena And Rajput Karni Sena Differences: राजस्थान में जयपुर पुलिस ने राष्ट्रीय करणी सेना और राजपूत करणी सेना के बीच मारपीट और फायरिंग की वारदात की जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सबूत के तौर पर कुछ कारतूस के खोखे बरामद किए हैं. वहीं, लोग हैरान हैं कि एक जैसे दिखने वाले दोनों संगठनों में क्या फर्क है और लगातार रार की वजह क्या है?
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Karni Sena VS Rajput Karni Sena: राजस्थान में जयपुर के चित्रकूट इलाके में राष्ट्रीय करणी सेना के ऑफिस में फायरिंग के बाद उसके समर्थकों ने राजपूत करणी सेना के प्रमुख महिपाल सिंह मकराना से मारपीट की. करणी सेना के दोनों धड़ों ने एक-दूसरे पर फायरिंग और मारपीट का आरोप लगाया है. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने कारतूस के कुछ खोखे भी बरामद किए हैं.
करणी सेना के दो धड़ों के प्रमुखों के बीच बहस, मारपीट और फायरिंग
जयपुर पुलिस के मुताबिक, करणी सेना के दो धड़ों राष्ट्रीय करणी सेना के प्रमुख शिव सिंह शेखावत और राजपूत करणी सेना के प्रमुख महिपाल सिंह मकराना के बीच मामूली बहस बढ़कर मारपीट और फायरिंग की घटना में बदल गई. घायल महिपाल सिंह मकराना को इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया है. फायरिंग में किसी को गोली नहीं लगी है. चार आरोपियों को हिरासत में लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है.
फिर सुर्खियों में शामिल हुई करणी सेना, लोगों के मन में उठे कई सवाल
जयपुर की इस मारपीट और फायरिंग की घटना के बाद करणी सेना फिर से देशभर में चर्चा में शामिल हो गई है. साथ ही एक सवाल भी खड़ा हो गया है कि आखिर ये करणी सेना कैसा संगठन है? इसका मकसद क्या है? करणी सेना क्या करती है? इसके धड़े राष्ट्रीय करणी सेना और राजपूत करणी सेना में क्या अंतर है? दोनों के बीच आखिर किस बात की लड़ाई है? ताजा हंगामे के बाद दोनों ओर से एक-दूसरे पर क्या आरोप लगाया गया है?
करणी सेना कैसा संगठन है, इसका मकसद क्या है, ये सेना क्या करती है?
जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के प्रमुख शहरों समेत देश के कई राज्यों और विदेशों में भी राजपूत सभा लंबे समय से काम करती आ रही है. कई दशकों से युवाओं के बीच क्षत्रिय युवक संघ भी संगठन का काम कर रहा है. इसके बावजूद साल 2006 में लोकेंद्र सिंह कालवी ने करणी सेना की स्थापना की. संगठन का नाम करणी माता के नाम पर रखा. करणी माता के अनुयायी उन्हें देवी हिंगलाज का रूप मानते हैं. करणी सेना का मकसद संस्कृति की रक्षा है.
सुर्खियों में आने में करणी सेना को लगे 11 साल, मिला विवादों का सहारा
साल 2017 में 'पद्मावत' फिल्म का उग्र विरोध करने, दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकियां देने और संजय लीला भंसाली थप्पड़ कांड के बाद करणी सेना अचानक चर्चा में आ गई थी. राजस्थान पुलिस से मुठभेड़ में कुख्यात गैगस्टर आनंदपाल सिंह के मारे जाने पर सवाल उठाने को लेकर भी यह संगठन सुर्खियों में रहा था. मार्च 2023 में लोकेंद्र सिंह कालवी के निधन हो गया और करणी सेना तीन धड़ों में बंट गया.
करणी सेना के तीन धड़े, तीनों का ऑरिजिनल होने का दावा और दलीलें
इन तीनों संगठनों में एक धड़ा श्री राजपूत करणी सेना है. लोकेंद्र सिंह कालवी के बाद उनका बेटा इसका प्रमुख है. दूसरा धड़ा श्री राजपूत करणी सेवा समिति है. अजीत सिंह मामडोली इसके नेता हैं. तीसरा गुट श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना है. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी इसी के प्रदेश अध्यक्ष थे. करणी सेना से जुड़े महिपाल सिंह मकराना का दावा है कि लोकेंद्र सिंह कालवी ने इस संगठन को खड़ा किया है. इसलिए श्री राजपूत करणी सेना ही असली संगठन है.
श्री करणी सेना सेवा समिति के मामडोली का दावा है कि उनका संगठन ही मूल संगठन है. जिसने अपनी स्थापना के 11 साल पूरे कर लिए हैं. अपने दावे के साथ वह कोर्ट तक गए हैं. वहीं, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के सुखदेव सिंह गोगामेड़ी जातीय अस्मिता के साथ हिंदुत्व की बात भी करते रहते थे. उनकी हत्या के बाद शिव सिंह शेखावत इस संगठन की अगुवाई कर रहे हैं.
किन मुद्दों पर बंटी और कहां साथ खड़े दिखे करणी सेना की तीनों धड़े
करणी सेना के नाम से चर्चित तीनों धड़ों में पद्मावत और जोधा अकबर समेत बॉलीवुड की कई फिल्मों के उग्र विरोध पर राय बंटती दिखी. इनके बीच जातीय आरक्षण को लेकर भी आपसी विरोध सामने आया. राजपूत समाज के बेरोजगार युवकों के हितों के संरक्षण को लेकर भी इनकी राय अलग थी. हालांकि, राजपूत समाज के इतिहास, गौरव, किलों और महलों के संरक्षण, राजस्थान से बाहर संगठन के विस्तार, हिंदुत्व के मुद्दे, युवाओं को जोड़ने पर फोकस और राजपूत जाति से जुड़े राजनीतिक मुद्दे पर तीनों धड़े एक साथ खड़े हो जाते हैं.
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करणी सेना के दो धड़ों में किस बात पर भिड़ंत? दोनों पक्षों ने क्या कहा
करणी सेना के इन्हीं तीन धड़े में से दो के प्रमुखों के बीच मारपीट और फायरिंग की घटना सामने आई है. चर्चा है कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की मौत के बाद राष्ट्रीय करणी सेना पर वर्चस्व को लेकर शिव सिंह शेखावत और महिपाल मकराना के बीच विवाद हुई है. वहीं, दोनों के बीच लड़ाई के पीछे उनकी अलग-अलग राजनीतिक प्रतिबद्धता की बात भी कही जा रही है. शेखावत की कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में रणनीति बनाने की मीटिंग में आकर कुछ लोगों ने मारपीट की.
वहीं, महिपाल की पत्नी वर्षा ने कहा कि उनके पति को धोखे से बुलाकर मारपीट को अंजाम दिया गया. हमलावरों को मालूम था ये आदमी अकेला आएगा. उन्होंने पहले से 40 लोग इकट्ठा कर रखे थे. इसलिए बुरी तरह से चोट पहुंची है. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को भी इसी तरह धोखाधड़ी से मारा गया था.
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