राजधानी में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा हवा में खतरे के स्तर को पार कर चुकी है. प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई रोड मैप बनाए, लेकिन उनके कुछ खास नतीजें सामने नहीं आए हैं.
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नई दिल्ली : दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. जहरीली हवा के कारण लोगों को न केवल सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि कई तरह के स्वास्थ्य विकारों का भी सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली में प्रदूषण का मुद्दा कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केजरीवाल सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदूषण कम करने पर बेहद जोर भी दिया था, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के हालात गंभीर बने हुए हैं.
इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक तो लगाई, लेकिन राजधानी से सटे राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के इलाकों में पुआल (फसल के अवशेष) जलाने का काम जारी है. इसके चलते बीते 18 अक्टूबर को दिल्ली दुनिया की सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाली राजधानी बन गई. नतीजतन राजधानी में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा हवा में खतरे के स्तर को पार कर चुकी है. प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई रोड मैप बनाए, लेकिन उनके कुछ खास नतीजें सामने नहीं आए हैं.
सर्दियों में राजधानी में निर्माण कार्य पर निगरानी रखने के लिए सरकार भरसक प्रयास करती रही है. क्योंकि दिल्ली व आसपास के इलाकों में हर साल सर्दियों के समय दिसंबर व जनवरी में प्रदूषण जहरीले स्तर तक पहुंचता है. इस पर नियंत्रण रखना सरकार के लिए बड़ी समस्या है. ऐसे में सरकार ने आबोहवा की निगरानी के लिए अगले दो महीने में 20 नए वायु प्रदूषण निगरानी केंद्र लगाने की जिम्मेदारी पर्यावरण विभाग ने आस्ट्रेलिया की कंपनी इकोटेल को दिया गया. इस कंपनी को ठेका देने से लेकर निर्माण कार्य पर निगरानी के लिए दिल्ली सरकार ने एनटीपीसी को सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया है. हालांकि दिल्ली में नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य तेजी से हो रहे हैं और निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल वायु प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक ले जा रही है.
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अब प्रदूषण से लड़ने के लिए केजरीवाल सरकार एक अनूठा प्रयोग करने की तैयारी कर रही है. इसके तहत सरकार दिल्ली में एरियल वाटर स्प्रिंकलिंग तकनीक का इस्तेमाल करना चाहती है, जिसके लिए वह राजधानी में हेलिकॉप्टर और निजी छोटे एयरक्राफ्ट के जरिए कृत्रिम रूप से जल छिड़काव करने की योजना बना रही है. दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को बकायदा चिट्ठी भी लिखी है और दिल्ली सरकार इस पूरी तकनीक से प्रदूषण कम करने के लिए होने वाले पूरे खर्च का वाहन करने के लिए तैयार है. वैसे दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा खतरनाक स्तर पर है, ऐसे में हवाई जल छिड़काव के जरिये खतरनाक घटकों को खत्म करने का दावा कितना कारगर होगा, यह भी देखना होगा.
एनवायर्मेंट पॉल्यूशन बोर्ड ने दिल्ली के बदरपुर पावर प्लांट को मार्च तक बंद करने का फैसला किया है. कोयले से चलने वाले इस पावर प्लांट से 700 मेगावाट बिजली मिलती है, लेकिन प्रदूषण को काबू में करने के लिए इसे बंद कर दिया गया है. प्रदूषण बोर्ड ने डीजल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी है. इसके अलावा आनंद विहार में प्रदूषण को कम करने के लिए सुझाव दिए गए, जिसके तहत आनंद विहार बस डिपो पूरी तरह धूल रहित बनाना और गाजीपुर लैड फिल में आग को काबू करना शामिल है. हालांकि गाजीपुर लैंड फिल साइट पर लगातार लगती और क्षेत्र में प्रदूषण के हमेशा खतरनाक स्तर पर रहता है.
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अब दिल्ली सरकार राजधानी में दोबारा ऑड-ईवन स्कीम को लागू करने जा रही है, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके. वाहनों की पंजीकरण संख्या के आखिरी अंक पर आधारित यह योजना वर्ष 2016 में दो बार- 1 जनवरी से 15 जनवरी और फिर 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक लागू की गई थी. इस योजना के तहत सम और विषम संख्या वाले वाहन सम विषम तारीखों वाले दिनों में सड़कों पर चलते हैं. वायु प्रदूषण स्तर के 48 घंटे या इससे अधिक समय के लिए 'आपात' श्रेणी में रहने पर इसे लागू किया जा सकता है. पिछले वर्ष ऑड-ईवन योजना लागू किए जाने के दौरान प्रदूषण का स्तर कम करने के बहुत सार्थक परिणाम देखने को नहीं मिले थे, साथ ही लोगों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था.
दिल्ली में सड़कों पर प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए मैकैनिकल रोड स्वीपिंग मशीन के आदेश दिए गए थे. हाल ही में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की तरफ से उप राज्यपाल को बताया गया कि उसके पास 10 मशीनें आ गई हैं. उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी बताया था कि अगस्त के अंत तक उसके पास 4 मैकैनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें आ जाएंगी और 1 मशीन के जरिये काम चालू है और सितम्बर के अंत तक 7 मशीनें आ जाएंगी. हालांकि इन सरकारी दावों के बावजूद दिल्ली के तीनों निगमों में सड़कों पर रोड स्वीपिंग मशीनें न के बराबर ही दिखती हैं.
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31 अक्टूबर को राजधानी में वायु प्रदूषण का हाल
31 अक्टूबर को भी राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रहा. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक, धीरपुर में पीएम 10 का स्तर 199, पीएम 2.5 का स्तर 313 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा. पीतमपुर में पीएम 10 का स्तर 255, पीएम 2.5 का स्तर 352 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा. दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएम 10 का स्तर 237, पीएम 2.5 का स्तर 350 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा. पूसा में पीएम 10 का स्तर 212 , पीएम 2.5 का स्तर 317 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर, जबकि लोधी रोड में पीएम 10 का स्तर 292, पीएम 2.5 का स्तर 391 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा.
जानिए क्या हैं पीएम 10 और पीएम 2.5...
पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं. इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है. इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है. यह कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं. इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं.