New Year Resolution: कहां से आया न्यू ईयर पर नया वादा करने का विचार, 4000 साल पहले हुई थी शुरुआत
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New Year Resolution: कहां से आया न्यू ईयर पर नया वादा करने का विचार, 4000 साल पहले हुई थी शुरुआत

Origin of New Year Resolution: क्या आपको पता है कि नए साल पर संकल्प लेने या वादा करने का सिलसिला कब से शुरू हुआ. इसका उत्तर जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, वादा करने का ये सिलसिला 4000 सालों से चला आ रहा है.

New Year Resolution: कहां से आया न्यू ईयर पर नया वादा करने का विचार, 4000 साल पहले हुई थी शुरुआत

नया साल यानी नई शुरुआत के लिए एक बेहतरीन मौका. ये वो दिन होता है जब लोग कुछ अच्छा करने के लिए संकल्प लेते हैं या प्रतिज्ञा करते हैं. वो पूरे साल के लिए खुद से या किसी अपने से भी वादे करते हैं. इसके अलावा वो अपने जीवन के लक्ष्यों को भी निर्धारित करते हैं, नए साल में पूरे किए जाने वाले अलग-अलग कामों के लिए कसमें खाते हैं. 

क्या आपको पता है कि नए साल पर संकल्प लेने या वादा करने का सिलसिला कब से शुरू हुआ. इसका उत्तर जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल, वादा करने का ये सिलसिला 4000 सालों से चला आ रहा है. ज्यादातर प्राचीन काल की संस्कृतियों को देखें तो उनमें भी नए साल के मौके पर त्योहार मनाने या धार्मिक अनुष्ठान करने की परंपरा रही है.

4000 साल पुराने रिकॉर्ड मौजूद

नए साल की शुरुआत के दौरान प्रतिज्ञा लेने की परंपरा 4000 पुरानी है जिसे प्राचीन बेबीलोनियाई लोगों ने शुरू किया था. इसके रिकॉर्ड आज भी मौजूद हैं. न्यू ईयर के मौके पर कार्यक्रम करने वाली पहली सभ्यता बेबीलोनियाई ही है. वो बात अलग है कि बेबीलोनियों के लिए नए साल की शुरुआत जनवरी में न होकर मार्च के बीच में होती थी. ये वो समय होता था जब फसलें उग चुकी होती थीं. 

इस मौके पर बेबीलोनियाई लोग धर्म, परंपरा और सामाजिक आर्थिक मूल्यों से जुड़ी चीजों के लिए प्रतिज्ञा करते थे. उन्होंने 12 दिनों तक चलने वाले अकीतु त्योहार की शुरुआत की थी. इस त्योहार के मौके पर देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ यात्रा निकलती थी. धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे. लोग राजा के प्रति अपने सम्मान को दर्शाने के लिए प्रतिज्ञा करते थे. अपने कर्ज को चुकाने का वादा करते थे. लोगों का मानना था कि अगर वो नए साल के मौके पर किए गए वादों को पूरा करते हैं तो भगवान उन पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखेंगे.

प्राचीन रोम

नए साल के मौके पर जश्न मनाने की परंपरा प्राचीन रोम में भी रही है. इस समय में भी समारोह आयोजित करने और कसम खाने की परंपरा थी. रोमन नववर्ष की शुरुआत भी 15 मार्च से ही माना जाता है, इसके पीछे की वजह ये थी कि इसी समय अधिकारी अपना कार्यभार संभालते थे. 

जूलियन कैलेंडर

सम्राट जूलियस सीजर ने 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर बनाया था. इस कैलेंडर में एक जनवरी को नए साल की शुरुआत माना गया. एक जनवरी की तारीख को नए साल की शुरुआत के रूप में रोमन देवता जानूस के सम्मान में तय की गई थी. इस दिन रोमन जानूस के सम्मान में बलि दी जाती थी. राज्य के लोग प्रतिज्ञा लेते थे. एक दूसरे को फल देते थे. साथ ही सम्राट के प्रति सम्मान में कसमे खाते थे.

वीरता का युग

मध्य काल (लगभग 500 से 1500 A.D) में, योद्धा इस दिन अपनी निष्ठा की प्रतिज्ञा लेते थे, जिसे वो हर वर्ष दोहराते थे. मध्य काल में अलग-अलग समाजों ने अलग-अलग समय पर नए साल का जश्न मनाया, इसलिए समय की गिनती गलत हो गई और जूलियन कैलेंडर में वर्ष 1000 तक 7 दिन एक्सट्रा हो गए थे.

इस समस्या को ठीक करने के लिए 1582 में पोप ग्रेगरी 13वें ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को जारी किया, जिसमें 1 जनवरी को ही नए साल की शुरुआत के रूप में माना गया. हालांकि, 1800 के दशक में नए साल पर लिए जाने वाले संकल्पों पर व्यंग्य होने लगा. इसके बाद संकल्प लेने के बाद उन्हें तोड़ने का सिलसिला भी शुरू हो गया, जो कि आज तक चला आ रहा है.

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