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नई दिल्ली: राजस्थान के सरिस्का (Sariska) टाइगर रिजर्व मे लगी आग में कई जानवरों के मारे जाने की आशंका है. इसी तरह की आग छत्तीसगढ़ के जंगलों में भी लगी हुई है. इस आग के लगने के बाद छत्तीसगढ़ के वन विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं.
वहीं सरिस्का (Sariska) में तैनात वन विभाग के बड़े बड़े अधिकारी भी जानवरों को बचाने के बजाय, सचिन तेंदुलकर की पत्नी अजंलि तेंदुलकर को जंगल की सैर करा रहे थे और Tigers के साथ उनके वीडियो बना रहे थे. राजस्थान का सरिस्का Tiger Reserve अलवर जिले में स्थित है. ये Tiger Reserve लगभग 1200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है.
इस आग को बुझाने के लिए वायु सेना के दो हेलिकॉप्टर की मदद ली गई है. ये आग 15 से 20 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है. ये आग कितनी गम्भीर है, इसका अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात कर इस घटना के बारे में जानकारी ली.
इस आग की वजह से अब तक चार गांवों को खाली कराया जा चुका है. अनुमान है कि जंगल का 1500 हेक्टेयर का एरिया इस आग में नष्ट हो जाएगा. इसके अलावा इस आग से सैकड़ों जानवर भी प्रभावित होंगे. इस जंगल में कुल 27 बाघ-बाघिन, 200 तेंदुए और 10 हजार से ज्यादा दूसरे जानवर मौजूद हैं. इनमें नीलगाय और चीतल जैसे जानवर भी हैं.
यहां आग लगने की पहली घटना 27 मार्च को सामने आई थी. ये बात उसी दिन की है, जब सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि तेंदुलकर अपने दो दोस्तों के साथ इस Tiger Reserve में घूमने के लिए आई हुई थीं. आरोप है कि 27 मार्च को शाम करीब चार बजे एक रेंजर ने वन विभाग को ये सूचना दी कि जंगल में आग तेजी से फैल रही है लेकिन इस सूचना को नजरअन्दाज कर दिया गया क्योंकि वन विभाग के बड़े-बड़े अधिकारी अंजलि तेंदुलकर की आवभगत में लगे हुए थे.
रविवार को जिस वक्त जंगल जल रहे थे, उस समय वन विभाग में Chief Conservator of Forests यानी CCF के पद पर तैनात आर.एन. मीणा, अंजलि तेंदुलकर को अपने दफ्तर के बाहर के परिसर में चाय पिला रहे थे. इसके बाद आर.एन. मीणा और वन विभाग के Divisional forest officer ने तय किया कि अंजलि तेंदुलकर और उनके दोस्त अकेले सफारी पर नहीं जाएंगे बल्कि वो खुद उन्हें जंगल दिखाने का काम करेंगे.
हैरानी की बात ये है कि, अंजलि तेंदुलकर वन विभाग की जिस गाड़ी से जंगल की सफारी पर गई थीं, उसे वन विभाग के अधिकारी आर.एन.मीणा ही चला रहे थे. यानी वन क्षेत्र में किसी रेंज का जो सबसे बड़ा अधिकारी होता है, उसे जंगल में लगी आग को बुझाने की चिंता नहीं थी बल्कि वो गाड़ी चला कर अंजलि तेंदुलकर और उनके दोस्तों को सरिस्का के जंगल और जानवर दिखा रहे थे. वे यह देख रहे थे कि उन्हें कोई तकलीफ नहीं हो. इसी दौरान जंगल में आग की वजह से कई जानवरों ने पलायन किया.
उस दिन का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें अंजलि तेंदुलकर एक बाघ और एक बाघिन के साथ दिख रही हैं. इस बाघ को ST-7 और बाघिन को ST-21 के नाम से जाना जाता है. ये वन विभाग के अधिकारियों ने ही बनाया है. यानी वन विभाग के अधिकारी ना सिर्फ अंजलि तेंदुलकर को जंगल में घुमा रहे थे बल्कि उनके वीडियो भी शूट कर रहे थे.
इसके अलावा हमें ये भी पता चला है कि उस दिन वन विभाग के अधिकारी अंजलि तेंदुलकर को जंगल के कोर एरिया, हरिपुरा तक लेकर गए थे. ये इलाका, उस जगह से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है, जहां आग लगी हुई है.
यानी आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी अंजलि तेंदुलकर को जंगल के उसी क्षेत्र में लेकर गए, जहां आग नही थी. आप कह सकते हैं कि वो नहीं चाहते थे कि इस आग की वजह से अंजलि तेंदुलकर को वहां से बिना सैर किए ही लौटना पड़े.
अगर वन विभाग के अधिकारियों ने अंजलि तेंदुलकर को जंगल दिखाने के बजाय, जंगल में लगी आग को बुझाने का काम उसी दिन शुरू कर दिया होता तो शायद सरिस्का के जंगल जल नहीं रहे होते और वहां जानवरों को अपनी जान बचाने के लिए गांवों की तरफ नहीं जाना पड़ता.
सरिस्का (Sariska) में जब लगी, तब इस क्षेत्र में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस था और हवा भी तेज चल रही थी. जिससे आग फैलती चली गई. इस मामले में राजस्थान सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. सरिस्का में वन विभाग के CCF, आर.एन. मीणा को भी उनके पद से हटा दिया है.
हमारे देश में मानव अधिकारों की तरह जानवरों के अधिकारों की बात करना भी फैशन बन गया है. बड़े बड़े Celebrities जानवरों के अधिकारों की बात करते हैं और इस मुद्दे को अलग अलग मंच से उठाते हैं. इसके लिए इनकी एक Marketing टीम काम करती है. ये टीम इन्हें बताती हैं कि किस मुद्दे पर बात करने से लोगों के बीच उनकी पहुंच बढ़ेगी और उनकी एक अच्छी छवि उभर कर सामने आएगी.
यानी ये लोग किसी मुद्दे की समझ ना होते हुए भी उस पर अपने विचार रखते हैं और बड़ी बड़ी बातें करते हैं. हालांकि जब समय इनकी परीक्षा लेता है तो ये फेल हो जाते हैं और पता चल जाता है कि इनके Social Messages, असल में Scripted होते हैं.
अब आप ये जानिए कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में जब आग लगी तो वहां वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने क्या किया. इस समय छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों में सात हजार से ज्यादा जगहों पर आग लगी हुई है.
सोचिए, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जंगलों में सात हजार जगहें इस समय आग में धधक रही हैं. इस समय इन जंगलों को वन विभाग के कर्मचारियों की सबसे ज़्यादा जरूरत है. लेकिन आपको पता है ये कर्मचारी इस समय क्या कर रहे हैं. ये सारे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. इनकी तरफ से ये ऐलान किया गया है कि जब तक वन विभाग के अस्थाई कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जाता और उनकी बेसिक सैलरी नहीं बढ़ाई जाती. तब तक वो जंगलों में लगी आग बुझाने का काम नहीं करेंगे.
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यानी वन विभाग के 10 हजार कर्मचारी, जंगलों में लगी आग बुझाने की बजाय, हड़ताल कर रहे हैं. इस हडताल में कुछ जगहों पर जुआ भी खेला जा रहा है. छत्तीसगढ़ में अकेले इस साल जंगलों में आग लगने की 9 हज़ार घटनाएं सामने आ चुकी हैं. राज्य में तापमान बढ़ने के बाद से ये घटनाएं और भी तेज़ी से बढ़ रही हैं. उदाहरण के लिए, पिछले 24 घंटे में 238 और जगहों पर आग लग चुकी है और छत्तीसगढ़ के जंगल इस समय आग में धधक रहे हैं. यानी जिस समय इन जंगलों को वन विभाग के कर्मचारियों की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, तभी ये हड़ताल पर चले गए. इन्हें लगा कि यही सही समय है, जब ये अपनी मांगें मनवा सकते हैं. लेकिन हमें लगता है कि ये काफी असंवेदनशील है.
ये कर्मचारी जिन जंगलों और जानवरों के लिए काम करते हैं, उन्हें इन्होंने अपनी मांगों के लिए मरने के लिए छोड़ दिया है. इस समय ये आग वन विभाग के अधिकारी स्थानीय लोगों की मदद से बुझा रहे हैं. इसके अलावा अनुमान है कि कई जगहों से इससे जानवरों को भी नुकसान पहुंचा है. कई जिलों से ऐसी खबरें आई हैं, जहां आग की वजह से जंगली हाथी गांवों में पहुंच गए हैं और पेंद्रा में तो हाथियों के हमले में दो महिलाओं की मौत हो गई है.