भारत के खिलाफ हो रहा धर्म और मीडिया का इस्तेमाल? अंदर के दुश्मनों से सतर्कता जरूरी
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भारत के खिलाफ हो रहा धर्म और मीडिया का इस्तेमाल? अंदर के दुश्मनों से सतर्कता जरूरी

तीन घटनाएं ये बताती हैं कि हमारे देश को कमजोर करने के लिए धर्म और मीडिया का सहारा लिया जा रहा है और अगर यूक्रेन की जगह आज भारत होता तो हमारे देश को विदेशी सेना से पहले अपने ही देश के अंदर मीडिया और देश विरोधी ताकतों से लड़ना पड़ता. 

भारत के खिलाफ हो रहा धर्म और मीडिया का इस्तेमाल? अंदर के दुश्मनों से सतर्कता जरूरी

नई दिल्ली: अपने देश में तीन चीजों पर सबका ध्यान है. पहला- कश्मीर के सोपोर इलाके में मंगलवार को जिस महिला ने CRPF के बंकर पर पेट्रोल बम से हमला किया, उस महिला ने बुर्का पहना हुआ था. दूसरा- श्रीनगर में कल सुरक्षाबल ने लश्कर-ए-तैयबा के जिन दो आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया, उनमें से एक आंतकवादी कश्मीर के ही एक स्थानीय न्यूज चैनल का Editor in Cheif था. यानी ये आतंकवादी एक पत्रकार बना हुआ था. तीसरा- अपने आपको एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार कहने वाली महिला को जब ED ने मुम्बई एयरपोर्ट पर विदेश जाने से रोक दिया तो पूरे देश के मीडिया में हंगामा मच गया और अखबारों ने इसे हेडलाइन बना दिया. इसलिए एक सवाल ये भी है कि इस महिला को पत्रकार माना जाए या एक अपराधी? इस महिला पर आरोप है कि उसने Charity के नाम पर लोगों से Donation लिया और उस पैसे का FD अपने बैंक अकाउंट में जमा कर लिया.

  1. भारत के खिलाफ हो रहा धर्म और मीडिया का इस्तेमाल
  2. धर्म को आतंकवाद से जोड़ना सही?
  3. गलत कामों में होता है बुर्के का इस्तेमाल

धर्म और मीडिया का हो रहा ऐसा इस्तेमाल

ये तीनों घटनाएं ये बताती हैं कि हमारे देश को कमजोर करने के लिए धर्म और मीडिया का सहारा लिया जा रहा है और अगर यूक्रेन की जगह आज भारत होता तो हमारे देश को विदेशी सेना से पहले अपने ही देश के अंदर मीडिया और देश विरोधी ताकतों से लड़ना पड़ता. क्योंकि आज धर्म के नाम पर भी देश को कमजोर किया जा रहा है और मीडिया का एक बड़ा वर्ग भी देश के खिलाफ दुष्प्रचार करके उसे अस्थिर करने का काम कर रहा है. 

बुर्का पहनी महिला ने फेंका बम

पहली घटना कश्मीर के बारामुला में स्थित सोपोर इलाके की है, जहां एक महिला ने CRPF के बंकर पर पेट्रोल बम से हमला किया था और बड़ी बात ये है कि ये महिला बुर्का पहनी हुई थी. इस हमले का एक सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है, जिसमें ये महिला CRPF के बंकर के सामने खड़ी हुई दिखती है. इसके बाद ये अपने थैले से पेट्रोल बम निकालती है और फिर उसे आग लगा कर CRPF के बंकर की तरफ फेंक देती है और इसके बाद वहां से फरार हो जाती है.

फेक नैरेटिव की खुली पोल

शुरुआत में मीडिया के एक खास वर्ग ने इस वीडियो को दिखाते हुए ये कहा कि इस बुर्के के पीछे कोई महिला नहीं बल्कि एक आतंकवादी था और बहुत सारे लोगों ने इस पर यकीन भी कर लिया. ये कहा जाने लगा कि इस हमले को बुर्के से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. लेकिन कुछ ही घंटों में इस Fake Narrative की पोल खुल गई और जम्मू कश्मीर पुलिस ने अब इस बात की पुष्टि कर दी है कि इस बुर्के के पीछे कोई पुरुष नहीं बल्कि एक महिला ही थी और इस महिला की पहचान हो चुकी है. फिलहाल इसकी तलाशी के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

महिला आतंकी की हुई पुष्टि

ये महिला आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की Over Ground Wroker हो सकती है. Over Ground Wroker का मतलब उन स्थानीय लोगों से है, जो आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों की मदद करते हैं और जरूरत पड़ने पर हमले भी कर सकते हैं और इस मामले में जो महिला बुर्के में हमला करती हुई दिख रही है, अगर आप उसकी तस्वीरें ध्यान से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ये पेट्रोल बम से हमला करने में माहिर थी और इसने इसके लिए सिर्फ 15 सेकेंड का समय लिया.

धर्म को आतंकवाद से जोड़ना सही?

हमारे देश में एक खास विचारधारा के लोग, बुद्धिजीवी, Liberals और मीडिया का एक वर्ग ये कहता है कि आतंकवाद को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए. लेकिन इस मामले में जो महिला है, वो बुर्का पहन कर हमला कर रही है. तो ऐसे में आतंकवाद को धर्म से कैसे ना जोड़ा जाए? ये पहली बार नहीं है, जब बुर्के में कोई आतंकवादी हमला हुआ हो.

गलत कामों में होता है बुर्के का इस्तेमाल

21 जुलाई 2015 को मध्य अफ्रीकी देश Cameroon में दो महिला आतंकवादियों ने आत्मघाती हमले में 13 लोगों की जान ले ली थी और ये दोनों महिलाएं बुर्का पहनी थी. यानी बुर्के का इस्तेमाल Suicide Bombing के लिए होता रहा है. 2015 में ही एक और अफ्रीकी देश Chad (चाड) में 2 आतंकवादियों ने Suicide Bombing में 33 लोगों की हत्या कर दी थी और ये आतंकवादी भी बुर्का पहने हुए थे. इस हमले के बाद वहां की सरकार ने बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था. आज इसी तरह की घटना हमारे देश में हुई है, लेकिन क्या भारत में बुर्के पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? इसका जवाब है हमारे देश में ऐसा करना लगभग नामुमकिन है.

कुछ ऐसे हैं आंकड़े

अमेरिका में हुई एक स्टडी कहती है कि आतंकवादी Suicide Bombing के लिए बुर्के का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि बुर्का पहनने से शरीर पर बंधे बारूद की पहचान करना मुश्किल होता है और यही वजह है कि 2016 से 2020 के बीच, जितनी Suicide Bombings हुई, उनमें से हर पांचवीं Suicide Bombings में आतंकवादियों ने बुर्के का सहारा लिया था और इनमें से 98 प्रतिशत Suicide Bombings, एक धर्म विशेष के लोगों ने की थी. सोचिए, जब आतंकवाद का धर्म नहीं होता. तो आतंकवादी हमलों में बुर्का कहां से आता है?

आतंकी के पास मिला प्रेस आई डी कार्ड

श्रीनगर में मंगलवार को पुलिस को सूचना मिली थी कि वहां एक रिहायशी इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादी छिपे हुए हैं. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबल के जवानों ने एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया और मुठभेड़ में दोनों आंतकवादियों को मार दिया. जब इन आतंकवादियों के सामान की तलाशी ली गई तो इनमें से एक आतंकवादी के पास प्रेस का ID Card मिला. यानी ये आतंकवादी एक पत्रकार बन कर कश्मीर में काम कर रहा था और वहां के एक स्थानीय न्यूज चैनल का Editor In Chief था. ये जानकारी इसके ID Card पर भी लिखी है. इसमें इसका नाम रायीस अहमद भट लिखा है और नीचे ये लिखा है कि ये कार्ड 31 दिसंबर 2021 तक Valid है. ये कितनी खतरनाक बात है कि AK-47 चलाने वाला एक आतंकवादी, कलम का सिपाही बना हुआ था और खुद को पत्रकार बताता था. जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक ये आतंकवादी अनंतनाग का रहने वाला था और कुछ वर्षों पहले लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था.

विदेशी अखबारों की हेडलाइन बनते हैं ये लोग 

एक ये आतंकवादी था, जो पत्रकार बन कर कश्मीर को अस्थिर करने का काम कर रहा था. लेकिन दूसरी तरफ हमारे देश में ऐसे तथाकथित पत्रकार भी हैं, जिनका काम देश को कमजोर करना है. इन्हीं में से एक महिला पत्रकार को जब ED ने मुंबई एयरपोर्ट पर विदेश जाने से रोका तो इस पर हंगामा खड़ा हो गया और हमारे देश का मीडिया भी इस खबर को प्रमुखता से दिखा रहा है. लेकिन हम इस पत्रकार को इतनी जगह नहीं देना चाहते इसलिए हम इसका नाम भी आपको नही बता रहे हैं. ये पत्रकार, Washing Post, New York Times, Time Magazine और The Guardian के लिए लेख लिखती है और ये ब्रिटेन में जिस कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रही थी, उसकी थीम थी, Intimidation of journalist. यानी पत्रकारों को दी जाने वाली धमकी. इन तीनों घटनाओं से जो बड़ी बात आपको समझनी है, वो ये कि हमारे देश मे ऐसी ताकतें सक्रिय हो गई हैं, जो देश को तोड़ कर उसे अस्थिर कर देना चाहती हैं और ये काम धर्म और मीडिया के सहारे हो रहा है.

 

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