Gohana Assembly seat: हरियाणा की गोहाना सीट का इतिहास दिलचस्प है. यहां के मतदाता लहर से अलग चलने वाले मिजाज के लिए जाने जाते हैं. अब तक हुए चुनावों में विधानसभा सीट पर हुए पहले तीन चुनाव में रामधारी गौड़ विधायक बने. बीजेपी का स्कोर अब तक शून्य रहा है. ये वो सीट है जहां BJP की बोहनी तक नहीं हुई है.
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Gohana Assembly Election 2024: हरियाणा बनने के बाद अबतक 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इन चुनावों में एक बार कांग्रेस (congress) हैट्रिक बना चुकी है. बीजेपी (BJP) हैट्रिक बनाना चाहती है. कांग्रेस 7 तो बीजेपी 2 बार अपनी सरकार बना चुकी है. जबकि जनता पार्टी, लोकदल, हविपा और इनेलो के नेतृत्व में भी एक-एक बार सियासी दल प्रदेश में अपनी सरकार बना चुके हैं. हरियाणा चुनाव की विस्तृत कवरेज के दौरान बात गोहाना विधानसभा सीट की, जहां बीजेपी (BJP) अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.
जाट 'सरताज', मलिक 'नंबरदार'
गोहाना सीट जितने अजब-गजब रिकॉर्ड रखती है, उसके मतदाता भी अपने अलग मिजाज के लिए जाने जाते हैं. गोहाना को कांग्रेस का अभेद किला माना जाता है. यहां के लोग लीक छोड़कर जिसकी लहर चल रही होती है उसकी उलटी दिशा में चलते हैं.
2024 के विधानसभा चुनावों में किसका दबदबा होगा ये जनता तय करेगी, लेकिन गोहाना की जनता इस बार भी चौंकाने वाले नतीजे दे सकती हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा 10 बार जाट उम्मीदवार ही जीता है. चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक हरियाणा का जन्म होने के बाद गोहाना सीट पर हुए पहले तीन चुनाव में पंडित रामधारी गौड़ विधायक बने थे.
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उसके बाद से आज तक सिर्फ एक बार गैर जाट जीता है. कुल 10 बार जाट कैंडिडेट ही विधायक बना है. बीजेपी ने यहां से पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को मैदान में उतार जाट-गैर जाट मुकाबला बनाने की कोशिश की है.
कौन है मलिक जिन्हें आज तक हरा नहीं पाई बीजेपी?
गोहाना की बात करें तो यहां मलिक साहब ही सियासी 'मालिक' बने घूम रहे हैं. इस इलाके पर उनकी मजबूत पकड़ है. करीब 30 सालों से तो खुद MLA हैं. कांग्रेसी विधायक जगबीर मलिक गोहाना से कुल 6 चुनाव लड़कर पांच बार विजय पताका फहरा चुके हैं. इस बार नेताजी ने बेटे डॉ. गौरव मलिक के लिए टिकट मांगी थी. लेकिन कांग्रेस ने मना करते हुए उन्हीं पर भरोसा जताया है. मलिक ने शनिवार को एक बार फिर विरोधियों को चुनौती देते हुए कहा- 'दम है तो रोक लो! इस बार भी विधायक आपका भाई बनेगा'.
'लीक से अलग चलते मतदाता'
पॉलिटिक्स यानी सियासी दुनिया में चुनावों के समय बहुत से नेता बस एक ही बात बोलते हैं- 'हम भी खेलेंगे नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे', यानी टिकट नहीं मिला तो बागी बन जाएंगे. इस बार भी जिसे टिकट नहीं मिला, वो अंदर से भरा बैठा है. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. उनको बगावत का डर सता रहा है. कांग्रेस की टिकट चाह रहे हरियाणवी कलाकार हर्ष छिक्कर हों या बीजेपी में मौका तलाश रहे ओलिंपियन योगेश्वर दत्त टिकट न मिलने से सब नाराज चल रहे हैं. योगेश्वर को लग रहा था कि विनेश को उधर से टिकट मिली तो उनका नंबर भी बीजेपी में लग ही जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
यहां के मतदाताओं के मूड की बात करें तो इससे बड़ी बात और क्या होगी कि लहर के विपरीत चलने वाले गोहाना में 1975 में इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में भी जनता पार्टी हार गई और आजाद गंगा राम जीते थे.
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