Trending Photos
नई दिल्ली. अगर आपने कभी ट्रेन में सफर किया है तो आपने देखा होगा कि उसमें कई तरह के कोच होते हैं, जिसमें AC, स्लीपर, जनरल जैसे कोच होते हैं. आमतौर पर AC कोच ट्रेन के बीच में होते हैं. ज्यादातर ट्रेनों में पहले इंजन, फिर जनरल डिब्बा, फिर कुछ स्लीपर और बीच में एसी डिब्बे उसके बाद फिर से स्लीपर और स्लीपर के बाद एक या दो जनरल डिब्बा और लास्ट में गार्ड रूम होते हैं. अगर किसी ट्रेन में सभी AC कोच हों तो बात अलग है. वरना अमूमन ऐसा ही होता है. लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? आइए बताते हैं.
रेलवे के सीनियर अधिकारी बताते हैं कि ट्रेन में कोच ये डिजाइन सेफ्टी और पैसेंजर की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है. ट्रेनों में इस तरह कोच लगाने का ये क्रम अंग्रेज राज से शुरू हो गया था. अपर क्लास के कोच और लेडीज कंपार्टमेंट ट्रेन के बीच में होते हैं. वहीं, इंजन के एकदम पास लगेज कोच और सेकेंड क्लास के डिब्बे लगाए जाते हैं. इंजन के पास वाले कोच में बीच वाले कोच के मुकाबले ज्यादा झटके महसूस होते हैं.
ये भी पढ़ें: लाउडस्पीकर से अजान पर मस्जिद के इमाम ने किया ऐसा फैसला, आप भी कहेंगे 'वाह'
VIDEO-
आपने देखा होगा कि आमतौर पर सभी रेलवे स्टेशन के एग्जिट गेट स्टेशन के बीच में होते हैं. ऐसे में जब प्लेटफॉर्म पर ट्रेन रुकती है तो AC कोच एग्जिट गेट से काफी पास में होते हैं. ऐसे में AC कोच में यात्रा करने वाले पैसेंजर भीड़ से बचकर कम टाइम में गेट से बाहर निकल सकते हैं. इसलिए AC कोच के पैसेंजर को बेहतर सुविधा के लिहाज से ऐसा किया जाता है.
ये भी पढ़ें: शादी का न्योता न मिलने से भड़के साधु, कह दी ऐसी बात जो सुन नहीं पाएंगे तेजस्वी यादव
बता दें, रेलवे में AC क्लास के डिब्बे बीच में तब लगाए जाने का चलन शुरू हुआ, जब भारत में स्टीम इंजन का बोलबाला था. बाद में डीजल इंजन आए. इन दोनों इंजनों में शोर बहुत होता था. जब ट्रेन चल रही हो तो शोर कुछ ज्यादा ही होता है. इससे AC क्लास के पैसेंजर को कम शोर सुनना पड़े. इस वजह से AC डिब्बा इंजन से थोड़ा दूर लगाया जाता था. हालांकि, अभी ज्यादातर इलेक्ट्रिक इंजन चल रहे हैं, जिनके चलने पर शोर कम से कम होता है.
LIVE TV