किसान क्रांति पर विपक्ष के घमासान के बीच अब एनडीए में भी फूट पड़ गई है. करीब 22 सालों से एनडीए के साथ रही शिरोमणि अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर ने पहले सरकार का साथ छोड़ा और अब पार्टी ने एनडीए को भी बाय-बाय बोल दिया है.
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नई दिल्ली: किसान क्रांति (Farm Bill) पर विपक्ष के घमासान के बीच अब एनडीए (NDA) में भी फूट पड़ गई है. करीब 22 सालों से एनडीए के साथ रही शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर (Harsimrat Kaur) ने पहले सरकार का साथ छोड़ा और अब पार्टी ने एनडीए को भी बाय-बाय बोल दिया है.
क्या शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस के ट्रैप में फंस गया?
जिस कृषि बिल को मोदी सरकार किसान क्रांति बता रही है. उस बिल पर एनडीए में टूट हो गई है. शिरोमणि अकाली दल ने पहले सरकार का साथ छोड़ा और अब 9 दिन बाद अकाली दल एनडीए के कुनबे से बाहर हो गया.
बड़ा सवाल ये है कि क्या शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस के ट्रैप में फंस गया. किसान बिल को लेकर पंजाब और हरियाणा में ही विरोध है. खास तौर पर पंजाब में किसान आंदोलित हैं और शिरोमणि अकाली दल के लिए ये बड़ी मुसीबत है.
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किसान, अकाली दल का बड़ा जनाधार
किसान अकाली दल का बड़ा जनाधार रहे हैं. किसान बिल पर मोदी सरकार के साथ दिखने से किसानों की नाराजगी का डर था. 2022 के विधान सभा चुनाव में किसान कांग्रेस के पक्ष में जा सकते थे और इसीलिए राजनीति तेज है. कांग्रेस इसे सोची-समझी रणनीति बता रही है.
हालांकि अकाली दल के अलग होने से मोदी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. लोकसभा में बीजेपी के पास खुद का बहुमत है और अकाली दल के लोकसभा में दो और राज्यसभा में तीन सांसद हैं. इसलिए मोदी सरकार के लिए फिलहाल कोई चुनौती नहीं लेकिन अपने पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल के नाता तोड़ लेने से बीजेपी के लिए एक खटका जरूर है.
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