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DNA Analysis: वर्ष 1921 में आज ही के दिन भारत के 9वें प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव का जन्म हुआ था. पी.वी नरसिम्हा राव वर्ष 1991 से 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे और उन्होंने वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की शुरुआत की थी. इससे पहले हमारे देश में कोई भी उद्योग या कारोबार शुरू करने के लिए कई तरह के लाइसेंस लेने पड़ते थे. तब इस सिस्टम को Licence राज या Permit Raj कहा जाता था. लेकिन नरसिम्हा राव ने इसे आसान बनाया और आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत कर के भारत के बाजार के द्वार पूरी दुनिया के लिए खोल दिए. जिसके लिए उन्हें 'Father of Indian Economic Reforms' भी कहा जाता है.
कभी नहीं मिला उचित सम्मान
लेकिन इस सबके बावजूद पी.वी. नरसिनम्हा राव को कभी वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे. प्रधानमंत्री रहते हुए और प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा होने के बाद कांग्रेस ने कभी पी.वी. नरसिम्हा राव को वो सम्मान नहीं दिया, जो जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को दिया गया. अगर नरसिम्हा राव नेहरू-गांधी परिवार से होते तो आज कांग्रेस पार्टी जोरशोर से उनकी 101वीं जयंती मना रही होती और कांग्रेस की राज्य सरकारें अखबारों पर पूरे पन्ने का विज्ञापन देतीं और सोनिया गांधी और राहुल गांधी उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि देने जाते और सार्वजनिक बयान भी जारी करते. लेकिन पीवी नरसिम्हा राव के मामले में ऐसा नहीं हुआ. ना तो गांधी परिवार ने उन्हें कोई श्रद्धांजलि दी और ना ही उनके लिए सोशल मीडिया पर कुछ लिखा. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी आज पी.वी. नरसिम्हा राव को याद करना नहीं भूले और उन्होंने अपने एक ट्वीट में उन्हें नमन किया है.
कांग्रेस नहीं करती उन्हें याद
आज नरसिम्हा राव के निधन को 17 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी कांग्रेस नरसिम्हा राव को उनके कार्यों के लिए श्रेय नहीं देती. आज भी कांग्रेस में आर्थिक और Telecom सुधारों के लिए राजीव गांधी को पूरा श्रेय दिया जाता है लेकिन नरसिम्हा राव को कभी इसके लिए नेहरू गांधी परिवार ने याद नहीं किया. लेकिन आज हम आपको पी.वी. नरसिम्हा राव की पांच बड़ी उपलब्धियां बताना चाहते हैं.
- उनकी पहली उपलब्धि ये थी कि उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार से ना होते हुए भी पूरे पांच वर्षों तक आजाद भारत के इतिहास में पहली बार गठबन्धन सरकार चलाई.
- दूसरी उपलब्धि थी आर्थिक क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव लाना. जब पी.वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने थे, तब भारत के पास दो हफ्ते के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा बची थी और पूर्व राजीव गांधी सरकार में दूसरे देशों से लिए गए Loans का भी भुगतान करना था.
- उस समय भारत ने International Monetary Fund यानी IMF से और Loan मांगा लेकिन IMF ने कड़े आर्थिक सुधारों के बिना Loan नहीं देने का फैसला किया. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए. जैसे 1966 के बाद पहली बार वर्ष 1991 में रुपये को विदेशी मुद्रा की तुलना में सस्ता कर दिया गया.
- जुलाई 1991 में नरसिम्हा राव ने नई औद्योगिक नीति भी देश की संसद में पेश की और इस नीति को स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक माना गया.
- इसके तहत तब नेहरू और इंदिरा गांधी की आर्थिक नीतियों को पलट दिया गया और खाद्द पर सब्सिडी 40 प्रतिशत कम कर दी गई. इसके अलावा LPG सिलेंडर्स महंगे हो गए और 34 उद्योगों में Foreign Direct Investment यानी FDI 51 प्रतिशत कर दिया गया और ये बहुत बड़ा कदम था.
- यही वो दौर था जब भारत में पहली बार हवाई यात्रा, Television Industry, Soft Drinks और Mobile Phones Industry में प्राइवेट कम्पनियों की एंट्री हुई. इसी का नतीजा था कि वर्ष 1992 में Zee ने अपने पहले Show का प्रसारण Television पर किया. ये भारत का पहला प्राइवेट चैनल था.
- तीसरी उपलब्धि थी एक Bureaucrat को मंत्री बनाने का प्रयोग करना. नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री बने थे तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उम्मीद थी कि उन्हें ही उनकी सरकार में वित्त मंत्री बनाया जाएगा लेकिन नरसिम्हा राव ने इसके लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह को चुना, जो उस समय University Grants Commission के चेयरमैन थे और RBI के गवर्नर भी रह चुके थे.
- चौथी उपलब्धि थी विदेश नीति में बड़े बदलाव करना. वर्ष 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद नरसिम्हा राव ने भारत के पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों को नई ऊंचाइयां दी. उदाहरण के लिए अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हुए और इजरायल के साथ भारत ने पहली बार राजनयिक रिश्ते स्थापित किए. ये कदम नरसिम्हा राव की दूरदर्शी सोच का परिणाम था क्योंकि इससे 1999 के कारगिल युद्ध में भारत को इजरायल की काफी मदद मिली और इजरायल ने तब भारत को Laser Guided Missile, आधुनिक हथियार और Intelligence Support दिया था.
और पांचवीं उपलब्धि थी प्रधानमंत्री के पद की गरिमा को बनाए रखना. कांग्रेस सरकार के प्रधानमंत्री होते हुए भी नरसिम्हा राव ने कभी भी 10 जनपथ पर सिर नहीं झुकाया.
10 जनपथ पर कभी सिर नहीं झुकाया
पी.वी. नरसिम्हा राव गांधी परिवार को इसलिए भी चुभते थे क्योंकि उन्होंने 10 जनपथ पर कभी सिर नहीं झुकाया और इसे आप 1992 के एक घटनाक्रम से समझ सकते हैं. उस समय दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस द्वारा बोफोर्स घोटाले में दर्ज की गई FIR को खारिज कर दिया था. लेकिन नरसिम्हा राव सरकार ने तय किया कि वो इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करेगी. तब सोनिया गांधी इस फैसले से नाराज हो गई थीं और उस समय के केन्द्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा से उन्होंने पूछा था कि क्या नरसिम्हा राव उन्हें जेल भेजना चाहते हैं. इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि नरसिम्हा राव कभी भी गांधी परिवार की कठपुतली नहीं बने और इसलिए उन्हें कांग्रेस ने कभी सम्मान नहीं दिया.
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#DNA: गांधी परिवार को क्यों चुभते थे नरसिम्हा राव? @irohitr
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— Zee News (@ZeeNews) June 28, 2022