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DNA Analysis: आज कल आप बहुत सारे लोगों को ये कहते हुए सुनते होंगे कि जब हम बच्चे थे, तब इतनी गर्मी नहीं होती थी. आपके परिवार में जो बड़े-बुज़ुर्ग हैं, वो भी आपको बताते होंगे कि जिस तरह अब गर्मी पड़ रही है, कुछ वर्षों पहले तक ऐसा नहीं होता था. तो आखिर वो क्या कारण हैं, जिन्होंने भारत के ज्यादातर शहरों को इतना गर्म बना दिया है कि लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वो किसी जलते हुए तंदूर में बैठे हैं.
दो दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने तापमान में एक Concrete की सड़क पर अंडा तक उबाला जा सकता है. यानी इस बार गर्मी ना सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ रही है, बल्कि इसके टॉर्चर ने लोगों को बुरी तरह डरा दिया है और अब लोग ये कह रहे हैं कि जब मई में इतनी भीषण गर्मी पड़ रही है तो जून में क्या होगा?
#DNA: भारत में आजकल इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है? @aditi_tyagi
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— Zee News (@ZeeNews) May 17, 2022
आज दिल्ली के कई इलाको में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगभग 47 डिग्री, राजस्थान के गंगानगर में 45.1 डिग्री, महाराष्ट्र के वर्धा में 45 डिग्री, झांसी में भी 45 डिग्री और मध्य प्रदेश के खुजराहो में 44.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. सोचिए, देश के ज्यादातर इलाके इस समय गर्मी और Heatwave की आग में झुलस रहे हैं. तो सवाल है कि इस बार इतनी गर्मी पड़ क्यों रही है? इसके चार बड़े कारण हैं.
पहला- इस बार गर्मी मार्च के महीने से ही शुरू हो गई थी. क्योंकि सामान्य तौर पर मार्च के अंत में बनने वाला Anti-Cyclone इस बार एक महीने जल्दी बना और इससे थार रेगिस्तान और पाकिस्तान से गर्म हवाएं आनी शुरू हो गई हैं. इसकी वजह से जम्मू, राजस्थान, दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में तापमान सामान्य से ज्यादा हो गया. इसके अलावा इस साल मार्च का महीना 122 वर्षों में सबसे गर्म रहा.
दूसरा- आमतौर पर सर्दी खत्म होने के बाद कई क्षेत्रों में बारिश होती है, जिससे तापमान संतुलित हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. देश के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी बिल्कुल बारिश नहीं हुई और इस वजह से लू और गर्म हवाओं का सिलसिला अब भी जारी है. इस बार मई के महीने में सामान्य से 96 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है.
तीसरा- जलवायु परिवर्तन भी इस गर्मी के पीछे एक बड़ा कारण है. जलवायु परिवर्तन का मतलब है, तापमान और मौसम के पैटर्न में होने वाले असामान्य बदलाव. कोयला, तेल उत्पाद और गैसों का ज्यादा इस्तेमाल इस समस्या के जिम्मेदार हैं. क्योंकि इनसे ग्रीन-हाउस गैसें निकलती हैं, जो वातावरण को नुकसान पहुंचाती हैं और इससे पृथ्वी का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है.
इस गर्मी का चौथा कारण है खुद इंसान- आज भारत के ज्यादातर शहरों का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है. इन शहरों की हरियाली में दिनों-दिन कमी आ रही है. विकास के नाम पर सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं. ऊंची और बड़ी इमारतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. घरों में Air Conditioner यानी AC का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है. पक्की यानी Concrete की सड़कों का विस्तार हो रहा है. गाड़ियों का धुआं और उनकी गर्मी वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और यही वजह है कि इन शहरों में तापमान भी उसी रफ्तार में बढ़ रहा है. ऐसे शहरों को आज कल Urban Heat Island कहते हैं. यानी ऐसा शहर, जहां आबादी ज्यादा है. बड़ी बड़ी इमारतें हैं, पेड़ और हरियाली कम है. Concrete की सड़कें हैं और इस वजह से ऐसी जगहों का तापमान दोपहर के समय सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है.
यानी अगर आप ऐसे शहर में रहते हैं, जहां की आबादी कम है, हरियाली ज्यादा है, आसपास कोई तालाब या पानी का कोई दूसरा स्रोत है. तो आपका शहर उन शहरों की तुलना में ज्यादा ठंडा होगा, जहां ये सब कुछ काफी सीमित है. इसलिए इस गर्मी के लिए केवल जलवायु परिवर्तन को दोष नहीं दिया जा सकता. इसमें विकास एक बड़ा फैक्टर है, जिसकी कीमत आज आप लू के थपेड़े सहकर चुका रहे हैं.
दिल्ली से लेकर यूपी तक, हरियाणा से लेकर राजस्थान तक, भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं. 45 से 50 डिग्री के बीच झुलस रहे उत्तर भारत के लोगों के लिए ये सोचना ही मुश्किल है कि गर्मी से निजात कब और कैसे मिलेगी. इस हफ्ते भी तापमान थोड़ा ऊपर नीचे ही रहने का अनुमान है, यानी गर्मी का सितम जारी रहेगा.