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नई दिल्ली: गाजीपुर लैंडफिल पर लगभग 140 लाख टन पर कूड़ा इकट्ठा है. इसके लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने पुराने मॉडल की ट्रोमल मशीनों को हटाकर नए मॉडल की हाई स्पीड वाली ट्रोमल मशीनें लगाना शुरू कर दी हैं. इन मशीनों को दो शिफ्ट्स में चलाया जाएगा. इस तरह निगम की कूड़ा निष्पादन की कुल क्षमता 3 लाख टन प्रति माह हो जाएगी.
अभी तक वहां जो ट्रोमल मशीनें इस्तेमाल हो रही हैं, उनकी क्षमता कम है और वो ज्यादा जगह घेर रही हैं. इस समय अनुमानित 1.20 लाख टन प्रति माह के हिसाब से कूड़े का निष्पादन (Execution) हो रहा है. इसके अलावा निगम ने 50 लाख टन कूड़े को संशोधित करने के लिए टेंडर भी मंगवाए हैं. जिनका मूल्यांकन (Evaluation) किया जा रहा है. जल्द ही काम का ऑर्डर जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है.
इससे पहले सोमवार को गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लग गई थी. जिसके बाद मौके पर दमकल की गाड़ियां पहुंचीं. आग को तो कंट्रोल कर लिया गया है लेकिन कई घंटों तक वहां हालात ये थे कि दूर-दूर तक धुंए के गुब्बारे देखने को मिल रहे थे. आस पास रह रहे लोगों को लगातार सांस लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
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दिल्ली के तीनो लैंडफिल साइट्स पर लगभग 250 लाख टन से अधिक कचरा इकट्ठा है. दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगभग 131 लाख टन कचरा जमा है, भलस्वा लैंडफिल साइट पर लगभग 80 लाख टन और ओखला लैंडफिल साइट पर लगभग 55 लाख टन कचरा जमा है. तीनो लैंडफिल साइट्स की ऊंचाई भी लगभग 50 मीटर से अधिक है. साल 2017 में दिल्ली के गाजीपुर पर कचरे के पहाड़ के गिरने से दो लोगो की मौत हो गई थी. जिसके बाद इस साइट को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था लेकिन कचरा जमा करने के लिए कोई और जमीन न मिलने के कारण इसे दोबारा शुरू कर दिया गया.
गौरतलब है कि दिल्ली के तीनो निगमों द्वारा लैंडफिल साइट्स के निपटारे के लिए एक समय सीमा तय की गई है.
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले भलस्वा लैंडफिल साइट के निपटारे के लिए 2022 तक की समय सीमा तय की गई है.
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले गाजीपुर लैंडफिल साइट के निपटारे के लिए 2024 तक की समय सीमा तय की गई है.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले ओखला लैंडफिल साइट के निपटारे के लिए 2023 तक की समय सीमा तय की गई है.
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