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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मुंबई दौरे से दो बड़ी बातें निकलकर आई हैं. पहली ये कि उन्होंने कहा है कि यूपीए का अब कोई अस्तित्व नहीं है जिसका मतलब ये हुआ कि वो विपक्ष में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की लीडरशीप को सीधे चुनौती दे रही हैं और दूसरा उन्होंने आज सिविल सोसाइटी के नुमाइंदो की एक बैठक बुलाई जिसमें मोदी विरोधी लोग थे और उन्होंने ममता बनर्जी को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश की. सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी अब मोदी के खिलाफ विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बन चुकी हैं? और अगले लोक सभा तुनाव में क्या वही प्रधानमंत्री पद की दावेदार भी बनेंगी और अगर ऐसा हुआ तो अगला चुनाव मोदी Vs ममता के नाम पर लड़ा जाएगा.
ममता बनर्जी ने बुदवार को NCP प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. वैसे तो महाराष्ट्र में कांग्रेस, NCP और शिवसेना तीनों पार्टियों की गठबन्धन सरकार है लेकिन इस बैठक में और ममता बनर्जी के दौरे से कांग्रेस को पूरी तरह दूर रखा गया. इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नया फ्रंट बनाने पर चर्चा हुई और इस चर्चा के दौरान ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और NCP नेता प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद रहे. इस बैठक के बाद ममता बनर्जी ने UPA का अस्तित्व खत्म होने की भी बात कही और इशारों में राहुल गांधी को उनकी विदेश यात्राओं के लिए निशाने पर लिया. इसके अलावा शरद पवार ने भी ममता बनर्जी के साथ मजबूत फ्रंट बनाने की बात कही है. ये भारत की राजनीति में एक बहुत बड़ा शिफ्ट है.
अब तक आप NDA के खिलाफ विपक्ष में UPA को ही देखते थे और इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी होती थीं लेकिन आज ये गठबंधन अनौपचारिक रूप से टूट गया है और तृणमूल कांग्रेस ने इसमें सेंध लगा दी है, जो पहले UPA का ही हिस्सा होती थी. ये एक नई तरह की राजनीति है, जिसमें 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक नया मोर्चा बनाया जा रहा है, जिसे ममता बनर्जी लीड करते हुए दिख सकती हैं. इसके दो बड़े मायने हैं. पहला ये कि आज की TMC एक तरह से नई कांग्रेस बन गई है, जिसमें उसने विपक्ष से कांग्रेस को लगभग साफ कर दिया है और खुद उसकी जगह ले ली है. दूसरी बात ममता बनर्जी के इस कदम से विपक्षी राजनीति में कांग्रेस की प्रासंगिकता और गांधी परिवार का कद पहले से घट गया है. हो सकता है कि 2024 का लोक सभा चुनाव मोदी Vs. ममता के बीच हो हालांकि यहां सवाल उन पार्टियों का भी है, जिनके साथ मिल कर ममता बनर्जी नया फ्रंट बना रही हैं.
वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में जब यही पार्टियां UPA का हिस्सा थीं, तब UPA को लोक सभा की 543 में से केवल 92 सीटों पर जीत मिली थी और इनमें से भी आधी से ज्यादा 52 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. उस समय UPA की 10 पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली थी और 9 पार्टियों को 5 या उससे भी कम लोक सभा सीटों पर जीत मिली थी. यानी ममता बनर्जी TMC को नई कांग्रेस बना कर UPA जैसा मोर्चा तो बना सकती हैं, लेकिन इस मोर्चे में लगभग वही पार्टियां होंगी, जिन्होंने 2019 के लोक सभा में बड़ी हार देखी थी. हालांकि ममता बनर्जी की इन कोशिशों से कांग्रेस बुरी तरह परेशान हो गई है और इसे पागलपन करार दिया.
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ममता बनर्जी ने सिविल सोसाइटी के नुमाइंदों के साथ भी एक बैठक की, जिसमें मोदी विरोधी लोग थे और उन्होंने ममता बनर्जी को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश की. इस बैठक में बेरोजगार नेताओं से लेकर बेरोजगार अभिनेता, फिल्मकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए थे. इनमें शत्रुघ्न सिन्हां भी दिखाई दिए जो किसी जमाने में NDA की सरकार में मंत्री हुआ करते थे लेकिन आज वो तीसरी पंक्ति में बैठने पर मजबूर थे. आप कह सकते हैं कि ये राजनीति का एक रोजगार मेला था जिसमें तमाम लोग अपने-अपने लिए संभावनाएं तलाशने आए थे इस बीच इन सभी लोगों ने ममता बनर्जी की तारीफ की और उन्हें देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया.
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