तीन तलाक के खिलाफ केंद्र सरकार के बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है.
Trending Photos
बेंगलुरु: मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद भी इसके मामले सामने आ रहे हैं. हाल ही में बेंगलुरु की एक मुस्लिम महिला ने अपने पति द्वारा फोन पर ट्रिपल तलाक देने की बात कहकर इस मामले को और गर्मा दिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, महिला ने बताया कि उसके पति ने उसे मैसेज भेजकर तलाक दे दिया है.
Ministry of Women&Child Development on #TripleTalaq on WhatsApp to a woman from Bengaluru by a US-based Indian surgeon: First instance post passing of #TripleTalaqBill, criminalising the act of instant divorce in Muslim community will be dealt with&we'll ensure justice is done https://t.co/y8nh1QnmR7
— ANI (@ANI) December 29, 2018
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मांगी मदद
महिला का कहना है कि उसका पति अमेरिका में सर्जन है. वहा हाल ही में महिला को लेकर भारत आया था. इसके बाद पति ने महिला को उसके घरवालों के पास छोड़ दिया और वापस अमेरिका चला गया. महिला ने बताया कि उसके पति ने उसे व्हाट्सएप पर मैसेज से तीन तलाक दे दिया. महिला ने बताया कि इस बारे में उसने विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेट्री से मुलाकात की थी. उन्हें मेरे मामले की जानकारी है. वहीं, महिला ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मदद मांगी है.
बिल का राज्यसभा में पारित होना बाकी
वहीं, इस मामले पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि तीन तलाक बिल के लोकसभा में पारित होने के बाद यह पहला मामला है. मुस्लिम समाज में जारी तलाक-ए-बिद्दत को अपराध की श्रेणी में शामिल किये जाने के लिए ही सरकार ये बिल लाई है. हम भरोसा दिलाते हैं कि न्याय जरुर होगा. गौरतलब है कि तीन तलाक के पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया था, जो पारित हो गया है. इस बिल में तीन तलाक देने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. अब इसका राज्यसभा में पारित होना बाकी है.
2016 में पीड़िताओं ने लगाई थी सुप्रीम कोर्ट में गुहार
मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा एक साथ तीन बार तलाक बोलकर पति को निकाह खत्म करने का अधिकार देती है. सरकार का मनना है कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है. गौरतलब है कि अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. तीन तलाक की पांच पीड़ित महिलाओं ने 2016 में इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.