प्रदर्शन करने वालों के मन में हिंसा के बीज कहां से आते हैं? क्‍या असहमति के नाम पर हिंसा जायज है?
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प्रदर्शन करने वालों के मन में हिंसा के बीज कहां से आते हैं? क्‍या असहमति के नाम पर हिंसा जायज है?

लंदन के Institute of Psychiatry के मुताबिक.. हिंसा का सहारा लेने वाला मनोरोगी दूसरों को पीड़ा में देखकर विचलित नहीं होता है..और उसके चेहरे पर दुख के भाव भी नहीं आते हैं .

प्रदर्शन करने वालों के मन में हिंसा के बीज कहां से आते हैं? क्‍या असहमति के नाम पर हिंसा जायज है?

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मानते थे कि क्रोध और असहनशीलता समझदारी के दुश्मन होते हैं. लेकिन क्रोध और असहनशीलता में अगर हिंसा भी मिल जाए तो ये इंसानी सूझबूझ के साथ साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी खरतनाक हो सकती है. इसलिए नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के नाम पर सड़कों पर तोड़फोड़ और हिंसा करने वाले छात्रों और प्रदर्शनकारियों के संदर्भ में सवाल ये है कि क्या छीन कर आज़ादी लेने वाले, पुलिस पर पत्थर बरसाने वाले, बसों में आग लगाने वाले और पत्रकारों पर हमला करने वाले प्रदर्शनकारियों की मनोस्थिति को स्वस्थ कहा जा सकता है?


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