ZEE जानकारी: पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की 'रिमांड यात्रा' का विश्लेषण
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ZEE जानकारी: पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की 'रिमांड यात्रा' का विश्लेषण

अदालत में CBI का पक्ष रखते हुए Solicitor General तुषार मेहता ने बताया, कि पी चिदम्बरम ने पद पर रहते हुए, अपने पद का दुरुपयोग किया. 

ZEE जानकारी: पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की 'रिमांड यात्रा' का विश्लेषण

अब हम UPA के कार्यकाल में सबसे शक्तिशाली मंत्री रहे पी चिदम्बरम की CBI Remand का विश्लेषण करेंगे .
वो अगले 100 घंटे CBI कस्टडी में बिताएंगे . अगर कल की रात पी. चिदम्बरम के लिए बहुत लंबी रात थी. तो आज का दिन उनके लिए ऐसा था, जिसकी कल्पना उन्होंने कभी भी अपने सार्वजनिक जीवन में नहीं की होगी. ये भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत की काली अंधेरी रात के अंत और एक नई सुबह की शुरुआत है. जिसके दूरगामी परिणाम दिखाई देंगे. आज़ादी के बाद से लेकर अब तक भारत ने बहुत तरक्की की है.

नए-नए मुकाम हासिल किए हैं. लेकिन भारत, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई आज तक नहीं जीत पाया था. और ये कहना गलत नहीं होगा, कि भारत में भ्रष्टाचार की एक बड़ी वजह हमारे देश का राजनीतिक सिस्टम भी है. क्योंकि राजनीतिक सिस्टम में मौजूद लोगों ने ही देश को लूटने का काम किया. हालांकि, देर से ही सही अब भ्रष्टाचार वाले कैंसर के खिलाफ युद्ध की शुरुआत हो चुकी है और इसकी पहली झलक कल रात दिखाई दी. जब देश के पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके पी चिदम्बरम को CBI ने, INX Media केस में वित्तीय घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. 

पी चिदम्बरम कल पूरी रात सो नहीं पाए . CBI की टीम ने उनसे घोटाले से संबंधित प्रश्न पूछे. आज उन्हें CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया. जहां पी चिदम्बरम, CBI की विशेष अदालत के जज, अजय कुमार की दांई तरफ मौजूद कटघरे में खड़े थे. अदालत में CBI का पक्ष रखते हुए Solicitor General तुषार मेहता ने बताया, कि पी चिदम्बरम ने पद पर रहते हुए, अपने पद का दुरुपयोग किया. पी. चिदंबरम ने जांच में सहयोग नहीं किया. और वो सवालों के जवाब देने से बचते रहे. और ये पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का एक Classic Case है. 

इस दौरान पी चिदम्बरम के वकीलों ने उन्हें क़ानूनी झंझट से बचाने के लिए खूब प्रयास किए . लेकिन कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की हर दलील का जवाब तथ्यों के साथ दिया गया. इस दौरान पी चिदम्बरम बिल्कुल शांत थे. और वो दोनों पक्षों की दलीलें सुन रहे थे. अदालती कार्रवाई के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया, जब पी चिदम्बरम ने कुछ कहने की कोशिश की. लेकिन, Solicitor General तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताई. और कहा, कि आरोपी व्यक्ति Court Room में नहीं बोल सकता. ज़ोरदार बहस के बीच एक बार फिर पी चिदम्बरम को उनका पक्ष रखने की बात उठी. 

तुषार मेहता ने दोबारा विरोध करते हुए कहा, कि इससे ग़लत उदाहरण पेश होगा. लेकिन अदालत ने चिदम्बरम को उनकी बात रखने की छूट दे दी. और फिर पी चिदम्बरम ने कहा, कि उन्होंने हर उस प्रश्न का उत्तर दिया, जो उनसे पूछे गए. चिदम्बरम ने ये भी कहा, कि पूछताछ के दौरान CBI की टीम ने उनसे पूछा, कि क्या आपका किसी विदेशी बैंक में कोई Account है ? इसके जवाब में चिदम्बरम ने कहा 'नहीं'. 

चिदम्बरम से ये भी पूछा गया, कि क्या उनके बेटे का विदेश में कोई बैंक Account है ? इसके जवाब में पी चिदम्बरम ने कहा, 'हां'...और यही 'हां' इस पूरे मामले का Turning Point हो सकता है. क्योंकि, इस केस में आरोप ही यही है, कि देश का पूर्व वित्त मंत्री होने के नाते पी चिदम्बरम ने अपने कार्यकाल में अपने पद का अनैतिक इस्तेमाल किया. और उनके पुत्र कार्ति चिदंबरम ने, अपने पिता के रसूख और पद का इस्तेमाल करते हुए रिश्वत ली. 

पी चिदम्बरम को 4 दिन की CBI Remand में भेजने के बाद, विशेष अदालत ने कहा, कि पूरे मामले की विस्तृत और गहराई से जांच की ज़रुरत है. अदालत ने ये भी कहा कि पी चिदम्बरम पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं. और पैसों के लेन-देन को साबित करने के लिए आरोपी को Remand पर भेजना ज़रुरी है. अदालत ने ये भी कहा कि CBI कई दस्तावेज़ों का मिलान करना चाहती है. और उसमें पी चिदम्बरम के सहयोग की ज़रुरत है.

आगे बढ़ने से पहले आज की कुछ तस्वीरों का ज़िक्र करना ज़रुरी है. इन तस्वीरों में आपको भ्रष्टतंत्र का अहंकार नज़र
आएगा.

आज दोपहर क़रीब ढाई बजे, जब CBI की टीम पी चिदम्बरम को लेकर विशेष अदालत के लिए निकली. तो गाड़ी में पीछे की सीट पर बीच में बैठे पी चिदम्बरम परेशान या चिंतित नहीं थे. बल्कि वो कैमरे की तरफ हाथ हिलाकर खुशी का इज़हार कर रहे थे. मानो वो ये कहने की कोशिश कर रहे हों, जैसे All Is Well...और कहीं पर भी कोई दिक्कत नहीं है.

इसके बाद जब पी चिदम्बरम CBI की विशेष अदालत के बाहर पहुंचे, उस वक्त भी उनके चेहरे पर मुस्कान दिखाई पड़ी . 

इसके बाद अदालती कार्यवाही के लिए जब वो Court Room के भीतर पहुंचे, तो वहां पर भी उनके हाव-भाव देखकर ऐसा नहीं लगा, कि वो एक आरोपी हैं. वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़े. और वहां मौजूद वकीलों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया. शिष्टाचार के लिहाज़ से इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, प्रश्न ये है, कि जब एक पूर्व वित्त मंत्री पर कथित तौर पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप है, तो वो इतना Relaxed, इतना सहज कैसे रह सकता है ? क्या पी. चिदम्बरम को अभी भी भरोसा है, कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता ?

विशेष अदालत में हुई सुनवाई के बाद जब पी चिदम्बरम बाहर निकले, उस वक्त भी उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं था. और ऐसा प्रतीत हुआ कि वो हल्की मुस्कुराहट के साथ ये संदेश देने की कोशिश कर रहे थे, कि उनपर कोई दबाव नहीं है.

CBI की विशेष अदालत में जाने के वक्त पी चिदम्बरम ने दक्षिण भारत का पारंपरिक परिधान पहन रखा था. वो आम तौर पर इन्हीं कपड़ों में नज़र आते हैं. सफेद रंग सच्चाई, शांति और पवित्रता की निशानी है. 
लेकिन, पी चिदम्बरम पर जिस प्रकार के आरोप लगे हैं, उसे ध्यान में रखते हुए, ये रंग उन्हें Suit नहीं कर रहा. हालांकि, इसका एक पहलू ये भी है, कि उन्हें इसकी आदत नहीं है.

जब पी चिदम्बरम देश के वित्त मंत्री या गृह मंत्री हुआ करते थे, उस वक्त कई मौकों पर उन्हें गाड़ी की आगे वाली सीट पर बैठा देखा गया. लेकिन समय का फेर देखिए, आज उन्हें गाड़ी के पीछे वाली सीट पर बैठना पड़ा. वो भी CBI के दो अधिकारियों के बीच. वित्त मंत्री या गृह मंत्री रहने के दौरान, लोग उनके क़रीब जाने से पहले सौ बार सोचते थे. क्योंकि, उनका व्यक्तितत्व ही ऐसा था. लेकिन, समय का चक्र ऐसा है, कि हिरासत में लिए जाने के वक्त CBI के अधिकारी उन्हें पकड़ कर ले गए. 

यहां हम आपको किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने या गिरफ्तार किए जाने को लेकर एक दिलचस्प जानकारी भी देते हैं. अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है, तो जांच अधिकारी उस व्यक्ति को छूकर बताता है, कि आप हिरासत में हैं. या आपको गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद उसके परिवार या उसके क़रीबी को इसकी सूचना दी जाती है. वैसे पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी ज़ी न्यूज़ के माध्यम से पूरा देश देख रहा था. 

कल रात CBI की बिल्डिंग में पी चिदम्बरम को Ground Floor पर बने Lockup Number 3 में रखा गया था. ये वही Lock Up है, जिसका किसी ज़माने में पी चिदम्बरम ने खुद निरीक्षण किया था. और दिलचस्प बात ये है, कि अप्रैल 2011 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने CBI की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया था. उस वक्त देश का गृह मंत्री होने के नाते पी चिदम्बरम खुद उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 

ये तो तस्वीरों की बात हुई. अब तथ्यों की बात करते हैं. ये मामला इसलिए गंभीर है, क्योंकि वित्त मंत्री होने के नाते अपने कार्यकाल में पी चिदम्बरम पर अपने पद के अनैतिक इस्तेमाल का आरोप है. और ये भी आरोप है, कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता के रसूख और पद का इस्तेमाल, निजी फायदे के लिए किया. 

ये पूरा मामला INX Media Private Limited से जुड़ा हुआ है. जिसमें इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी, दोनों Director हुआ करते थे. ये दोनों इस वक्त अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं. 

इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी ने ये स्वीकार किया था, कि उन दोनों की मुलाकात दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक में पी चिदंबरम से
हुई थी. 

इस मुलाकात में पी चिदम्बरम ने दोनों को कहा, कि वो उनके बेटे यानी कार्ति चिदम्बरम के बिजनेस में मदद करें. और बदले में वो उनकी मदद करेंगे. 

इसके बाद इन दोनों की मुलाकात दिल्ली के एक 5 Star Hotel में कार्ति चिदंबरम से हुई. 

जिसमें कार्ति चिदंबरम की तरफ से 1 मिलियन डॉलर्स की रिश्वत मांगी गई. 

इन दोनों ये भी स्वीकार किया था, कि कार्ति चिदंबरम ने पैसों के लेनदेन के लिए अपनी ही कंपनियों का नाम भी सुझाया था. 

इंद्राणी मुखर्जी ने CrPC की धारा 164 के तहत Magistrate के सामने दिए गए बयान में ये स्वीकार किया था, कि उनकी तरफ से विदेश में कार्ति चिदंबरम को 7 लाख अमेरिकी डॉलर्स की Payment की गई थी. ये चिदम्बरम परिवार के लिए एक बहुत बड़ा झटका था. 

इसके लिए कार्ति चिदंबरम की विदेशी कंपनियों द्वारा 4 फर्ज़ी बिल बनाए गए और इन बिलों के ज़रिये कार्ति चिदंबरम को Payment की गई. 

इन्ही आरोपों के आधार पर CBI ने पिछले 24 घंटों में पी चिदम्बरम से कुछ तीखे प्रश्न पूछे. 

सूत्रों के मुताबिक, CBI ने उनसे पूछा कि 'उनकी इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी से कितनी मुलाकातें हुईं? 

उनसे ये भी पूछा गया, कि आप उन्हें कैसे जानते हैं?

क्या पैसों के लेन-देन को लेकर कोई बात हुई थी?

उनसे पूछा गया कि 'जब INX मीडिया से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले हुए, तो कितने लोग बैठक में थे?

एक प्रश्न ये भी था, कि क्या पी चिदम्बरम ने इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी को अपने बेटे से मिलने को कहा था?

क्या पी चिदम्बरम ने अपने बेटे की कंपनी का ख्याल रखने को कहा था?

चिदंबरम से CBI ने उनके बैंक खाते पर भी सवाल किया. उनसे पूछा गया कि 'आपके कितने बैंक खाते हैं और वो कहां -कहां हैं?

विदेश में उनके द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए, पैसे के स्रोत पर भी प्रश्न पूछे गए ?

CBI ने पूछा- कहां गए और किससे मिले?

इसके अलावा CBI ने उनसे ये भी पूछा, कि, क्या उन्होंने नॉर्थ ब्लॉक में इंद्राणी मुखर्जी से मुलाकात की थी ? और कथित तौर पर क्या चिदंबरम ने उसे कार्ति के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए कहा ? 

इन्हीं प्रश्नों में से एक प्रश्न ये भी था, कि नोटिस दिए जाने के बावजूद पी चिदम्बरम ने समर्पण क्यों नहीं किया?

CBI की विशेष अदालत में पी चिदम्बरम के वकीलों ने ये साबित करने की कोशिश की, कि CBI का पूरा केस इंद्राणी मुखर्जी के बयान और एक केस डायरी पर आधारित है. लेकिन Solicitor General तुषार मेहता की दलीलों के आगे उनकी एक ना चली. 

इस केस में एक अहम किरदार पी चिदम्बरम के बेटे कार्ती चिदम्बरम भी हैं. जो शुरुआत से ही इस केस को राजनीतिक षडयंत्र बता रहे हैं. लेकिन, आज जब ज़ी न्यूज़ की टीम ने उनसे इस घोटाले से जुड़े तीखे सवाल पूछे तो पहले वो पूरी तरह खामोश रहे. और बाद में ये साबित करने की कोशिश की, कि उन्होंने कभी भी पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी से मुलाकात नहीं की है. और ना ही उन्हें FIPB यानी Foreign Investment Promotion Board से संबंधित कोई जानकारी है. आगे बढ़ने से पहले आप ये बयान सुनिए.

कार्ति चिदम्बरम भले ही ये दावा करें, कि उनकी इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी से कभी कोई मुलाकात नहीं हुई. वो भले ही ये कहें, कि उन्हें INX के बारे में कोई जानकारी नहीं है. और FIPB के बारे में कुछ नहीं जानते. लेकिन पर्दे के पीछे का सच कुछ और ही है. आरोपों के मुताबिक, वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2014 के दौरान कार्ती चिदंबरम की संपत्ति लगातार बढ़ती चली गई. इन 8 वर्षों के दौरान कार्ती चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम देश के गृह मंत्री और वित्त मंत्री के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे थे. कई ऐसे दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, जिनसे पता चलता है, कि पी चिदंबरम...उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती चिदंबरम के पास करोड़ों की संपत्ति है.

2013 के प्रधानमंत्री कार्यालय के दस्तावेज़ के मुताबिक, पी चिदंबरम के पास करीब 12 करोड़ 70 लाख रुपये की संपत्ति थी. 

इसमें ज़मीन और गाड़ियों सहित करीब 91 लाख रुपये की अचल संपत्ति का ज़िक्र था.

इसके अलावा इसमें PPF, Bonds और Shares सहित करीब 93 लाख रुपये के निवेश का ज़िक्र था.

इसके अलावा चिदंबरम ने बैंक FD, बचत खाते और नकद राशि के तौर पर अपने पास करीब 5 करोड़ रुपये की रकम घोषित की थी.

इसी दस्तावेज़ में नलिनी चिदंबरम ने अपनी कुल संपत्ति करीब 19 करोड़ 49 लाख रुपये बताई थी.

दिसम्बर 2015 में ED यानी Enforcement Directorate और Aircel-Maxis scam की जांच कर रही Income Tax की Investigation Wing ने चेन्नई में छापेमारी की थी.. और इस छापे के दौरान जो दस्तावेज़ हाथ लगे थे, उनमें बहुत सी हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई थीं. 

इन दस्तावेजों से पता चला था कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम ने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपना बड़ा बिजनेस Network तैयार कर रखा है . 

इसके लिए कार्ति चिदम्बरम ने Real estate में Investment किया और इसके साथ साथ दूसरी बिजनेस गतिविधियों की मदद से London, दुबई, साउथ अफ्रीका, फिलिपीन्स, थाईलैंड, Singapore, मलेशिया, श्रीलंका, British Virgin Islands, फ्रांस, अमेरिका, Switzerland...ग्रीस और स्पेन में अपना Network तैयार किया.

यानी 14 देशों में कार्ति चिदम्बरम ने अपने बिजनेस का साम्राज्य खड़ा कर लिया. आप किसी भी बड़े देश का नाम लीजिए, वहां आपको कार्ति चिदंबरम की प्रॉपर्टी मिलेगी. और ये स्वीकार करना असंभव है, कि इसमें पी चिदम्बरम का कोई Role नहीं था. 
आपने बड़े बड़े बेईमानों को ये कहते सुना होगा, कि हम छोटी-मोटी डील नहीं करते. लेकिन ऐसा लगता है, कि पी चिदंबरम और उनका परिवार सबसे आगे निकल गए. 

अब एक अजीब विडंबना देखिए. जिस वक्त CBI की विशेष अदालत ने पी चिदम्बरम को चार दिन की Remand पर भेजने का फैसला सुनाया. ठीक उसी वक्त सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद इंदिरा गांधी Indoor स्टेडियम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं. इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 75वीं सालगिरह के दो दिन बाद किया गया था. 

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी की सरकार का नाम तो नहीं लिया. लेकिन, राजीव गांधी का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने ये ज़रुर कहा, कि वर्ष 1984 में भारी बहुमत से जीत कर आने के बावजूद, राजीव गांधी ने अपनी ताकत का इस्तेमाल, भय का माहौल बनाने और डराने-धमकाने के लिए नहीं किया. और ना ही उन्होंने संस्थानों की स्वतंत्रता को नष्ट करने की दिशा में कोई कदम उठाया. यानी भाषण में ज़िक्र राजीव गांधी का था. लेकिन हमला नरेंद्र मोदी की सरकार पर था. 

वैसे ये भी एक संयोग है, कि घोटालों के आरोप में फंसे पी चिदम्बरम को पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाने वाले व्यक्ति राजीव गांधी ही थे . राजीव गांधी अक्सर कहा करते थे.. कि जब दिल्ली से एक रुपया चलता है तो जनता तक सिर्फ 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं . उस दौर को आप खाओ और खाने दो वाला युग कह सकते हैं . लेकिन बदले हुए भारत में..अब नया नारा है...ना खाऊंगा..ना खाने दूंगा . 

पिछले 72 वर्षों में भ्रष्टाचार एक बीमारी बन गया और VIP कल्चर में बदल गया . काले धन को प्रतिष्ठा से जोड़ दिया गया...और इसे जमा करने वाले लोग VIP कल्चर का सबसे बड़ा चेहरा बन गए .....इसलिए आज कांग्रेस से ये सवाल ज़रूर पूछा जाना चाहिए, कि करप्शन के इस VIP कल्चर के लिए जिम्मेदार कौन है ? 

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