ZEE जानकारी: 'फासीवाद' का डर दिखाने वाली राजनीति को समझना है जरूरी
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ZEE जानकारी: 'फासीवाद' का डर दिखाने वाली राजनीति को समझना है जरूरी

आज हम आपकी अदालत में खड़े हैं. और इंसाफ की उम्मीद में देश की जनता की अदालत में एक ख़बर को लेकर अपना पक्ष रखना चाहते हैं. 

ZEE जानकारी: 'फासीवाद' का डर दिखाने वाली राजनीति को समझना है जरूरी

लोकतंत्र में जनता से ऊपर कोई नहीं है. जनता की अदालत ही सबसे बड़ी अदालत है. और आज हम आपकी अदालत में खड़े हैं. और इंसाफ की उम्मीद में देश की जनता की अदालत में एक ख़बर को लेकर अपना पक्ष रखना चाहते हैं. 

दो दिन पहले हमने TMC की सांसद Mahua Moitra से संबंधित एक ख़बर दिखाई थी. 25 जून को Mahua Moitra ने संसद में नफ़रत से भरा हुआ एक भाषण दिया था. और कहा था कि भारत में फ़ासीवाद आ गया है. डिज़ाइनर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने इस भाषण की बड़ी तारीफ़ की थी. लेकिन 2 जुलाई को विश्लेषण में हमने देश को बताया था, कि Mahua Moitra का भाषण उनके अपने विचार नहीं थे.

बल्कि अपने भाषण के लिए उन्होंने अमेरिका की एक Website की मदद ली थी. और उस Website पर छपे लेख के आधार पर उन्होंने देश में फ़ासीवाद आने के 7 संकेत बताये थे. इस भाषण में अमेरिका में Holocaust Museum में लगे एक पोस्टर का ज़िक्र था. जिसमें किसी भी देश में फासीवाद के प्रवेश के संकेत लिखे हुए थे. 

एक प्रकार से उन्होंने उस लेख से इन शब्दों और विचारों को चुराया...और हूबहू अपने भाषण में शामिल कर लिया. लेकिन जैसे ही हमने वो ख़बर दिखाई, Mahua Moitra और उनके समर्थक हमसे नाराज़ हो गए. हमारे खिलाफ Social Media पर एजेंडा चलाया जाने लगा. हमें Fake News की श्रेणी में डाल दिया गया. जब इतने से मन नहीं भरा. तो आज Mahua Moitra ने मेरे और Zee News के खिलाफ लोकसभा में Breach Of Privilege Motion यानी विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर दिया. सबसे पहले ये देखिए, कि माननीय सांसद Mahua Moitra ने देश भर की सारी समस्याओं को छोड़कर ज़ी न्यूज़ के खिलाफ क्या कहा ? और इसके बाद हम आपकी जनसंसद में उनके खिलाफ Breach Of Privilege Motion लेकर आएंगे. 

देश में विधानसभा, विधानपरिषद और संसद के सदस्यों के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं. ताकि वो प्रभावी ढंग से अपने कर्तव्यों को पूरा कर सके. जब सदन में इन विशेष अधिकारों का हनन होता है या इन अधिकारों के खिलाफ कोई कार्य किया जाता है, तो उसे विशेषाधिकार हनन कहते हैं. विशेष अधिकार हनन प्रस्ताव संसद के किसी सदस्य द्वारा उस वक्त पेश किया जाता है, जब उसे लगता है कि सदन में झूठे तथ्य पेश करके सदन के विशेष अधिकार का उल्लंघन किया गया है या किया जा रहा है.

आज संसद में Mahua Moitra ने हमारे खिलाफ जिस विशेष अधिकार हनन का प्रस्ताव रखा, अब उसकी पृष्ठभूमि समझिए.

25 जून 2019 को लोकसभा में दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर Mahua Moitra का भाषण शुरु हुआ. और 1 बजकर 8 मिनट पर उन्होंने अपना भाषण ख़त्म किया.

टुकड़े-टुकड़े गैंग ने उनके भाषण की खूब तारीफ की. Pseudo Secular बुद्धिजीवियों ने खूब तालियां बजाईं. और इस तरह Mahua Moitra रातों रात अंतरराष्ट्रीय Star बन गईं.

अपने भाषण में उन्होंने जिस पोस्टर का ज़िक्र करते हुए, भारत को फासीवाद से ग्रसित देश बताया था. और 7 अलग-अलग Points के सहारे भारत पर हमला किया था. उसका ज़िक्र उन्होंने अपने भाषण के अंत में किया.. एक Disclaimer की तरह . ये एक बौद्धिक बेईमानी है. 

हमारे ऊपर Mahua Moitra का सबसे बड़ा आरोप ये है, कि 2 जुलाई को विश्लेषण के दौरान हमने ये नहीं बताया, कि उन्होंने अपने भाषण में इस्तेमाल किए गए विचारों के Source को Quote किया था. और बताया था कि ये विचार और भाषा उन्होंने कहां से लिए हैं. हमें ये स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है. कि अपने पिछले विश्लेषण में हमने आपको ये जानकारी नहीं दी थी. और इसका हमें खेद है. लेकिन इसकी एक वजह है. 

आज हम Mahua Moitra से पूछना चाहेंगे, कि उन्होंने अपने भाषण के Source का ज़िक्र शुरुआत में क्यों नहीं किया ? अंत में क्यों किया ?

विरोधाभास ये है, कि इसी भाषण के दौरान उन्होंने तीन अलग-अलग लोगों के विचारों को भी Quote किया था. और ऐसा करते वक्त शुरुआत में हर बार उन्होंने बाकयदा उनका नाम लिया. और फिर उनके विचार पढ़े. हम वो तस्वीरें भी आपको दिखाएंगे. लेकिन उससे पहले कुछ ज़रुरी बात.

क्या किसी और के विचारों को उठाकर, भारत पर थोपने की कोशिश करना, अमर्यादित नहीं है. 

अलग पृष्ठभूमि में लिखे गए लेख और उसमें छपी बातों को भारत से जोड़ना, क्या हमारे देश के लोकतंत्र का अपमान नहीं है ? ? 

संसद में खड़े होकर संवैधानिक संस्थाओं पर हमला किया गया. चुनाव आयोग के बारे में टिप्पणी की गई. मीडिया को कोसा गया.

एक प्रकार से उन्होंने अपनी सांसद के रुप में अपनी शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल किया. क्योंकि सांसद होने के नाते लोकसभा में उन्हें अपने क्षेत्र की बात करनी चाहिए, देश के विकास की बात करनी चाहिए थी. अपने लोगों की समस्याओं को उजागर करना चाहिए था. लेकिन ऐसा लगता है, कि उनका एजेंडा भारत के बारे में दुष्प्रचार करने का था. और इसीलिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने रातों रात उन्हें स्टार बना दिया. भारत का अपमान करने वाला ऐसा भारतीय सांसद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को और कहां मिलेगा.
किसी Source को सही तरीके से Quote ना करना इस पूरी ख़बर का मुख्य पहलू है. 

और इसी को अंग्रेज़ी भाषा में Plagiarism यानी साहित्यिक चोरी कहते हैं. जिसका अर्थ होता है, Failure To Acknowledge Any Idea Or Phrase...यानी भाषण के दौरान किसी विचार या कथन के Source को सही तरीके से श्रेय ना देना. हमने इसके नियमों को समझने की कोशिश की. और उस दौरान हमें अमेरिका में स्थित James Madison University के Communication Center का एक दस्तावेज़ मिला.

ये University एक Public Research University है. जिसके दस्तावेज़ में कहा गया है, कि मौखिक भाषण के दौरान अगर कोई व्यक्ति किसी के विचार का इस्तेमाल अपने भाषण में करता है. तो उसे उस विचार को व्यक्त करने से पहले उस Source को Quote करना चाहिए. अगर ये Source कोई लेख या क़िताब है, तो भाषण देने वाले व्यक्ति को सबसे पहले Author का नाम, उसकी क़िताब या लेख का नाम और उसके छपने की तीथि बतानी चाहिए. यही जानकारी हमें University Of Washington के दस्तावेज़ में भी मिले. मौखिक भाषणों में Source को शुरुआत में Quote किया जाता है. जबकि, लिखित दस्तावेज़ या रिपोर्ट में Source को अंत में लिखा जाता है.

Mahua Moitra ने 25 जून को दिए गए भाषण में अमेरिका के Holocaust Museum में लगे पोस्टर को Quote तो किया. 
लेकिन अपने भाषण के अंत में. और इस वक्त आप उसी पोस्टर की तस्वीर देख रहे हैं.

इसी बीच हमारा ध्यान उनके भाषण के कुछ और हिस्सों पर गया. क्योंकि उस दिन उन्होंने तीन और लोगों को अपने भाषण के दौरान Quote किया था. जिनमें से एक थे, आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद. दूसरे थे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर. और तीसरे थे, शायर राहत इंदौरी. दिलचस्प बात ये थी, कि इन तीनों के विचार Quote करते हुए मोहुआ मोइत्रा ने शुरुआत में ही इनका नाम लिया. सबसे पहले ये देखिए, कि इन्होंने मौलाना आज़ाद के विचार कैसे व्यक्त किए. 
12 बजकर 57 मिनट पर उन्होंने मौलाना आज़ाद के कथन को Quote करना शुरु किया....और 39 सेकेंड में उनकी बात ख़त्म की.

इसके बाद बारी थी रामधारी सिंह दिनकर की. रामधारी सिंह दिनकर की लेखनी की शुरुआत उन्होंने 1 बजकर 5 मिनट पर की...और 22 सेकेंड में उसे ख़त्म किया. इसके बाद 1 बजकर 7 मिनट पर उन्होंने राहत इंदौरी को Quote करते हुए उनकी शायरी सुनाई.

अब आप ये देखिए, कि Mahua Moitra ने भारत में फ़ासीवाद का ज़िक्र करते हुए, अपने भाषण की शुरुआत कैसे की...और फिर उन्होंने अपने Source का ज़िक्र कब किया ? इसमें Timing पर ध्यान देने की ज़रुरत है. 7 अलग-अलग Points की शुरुआत उन्होंने 12 बजकर 58 मिनट पर की. लेकिन Source को Quote किया...क़रीब 8 मिनट के बाद. यानी 1 बजकर 6 मिनट पर.

अब आप एक-एक करके दोनों Clips देखिए.

अभी तक हमने Mahua Moitra का हर Version आपको दिखाया. उन्होंने हमारे खिलाफ Breach Of Privilege Motion का प्रस्ताव दिया, हमने ये भी दिखाया. उन्होंने जिस Source को Quote किया, उसके बारे में भी बताया. लेकिन एक बार फिर, बात वहीं पर आकर रुक जाती है, कि उन्होंने पोस्टर का ज़िक्र भाषण के अंत में क्यों किया ? क्या इससे ये समझा जाए, कि इस Source को शुरुआत में Quote करने को लेकर उनकी नीयत में कोई खोट था. 25 जून को संसद के भीतर क्या हुआ, ये तो आपने देख लिया.

अब आपको ये दिखाते हैं, कि संसद के बाहर कल क्या हुआ ? क्योंकि ज़ी न्यूज़ के विश्लेषण के बाद जिस प्रकार से हमारे खिलाफ एजेंडा चलाया जा रहा था. उसके बाद हमने Mahua Moitra से उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाहिए. लेकिन उनकी भाषा सुनकर आपको एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगेगा, कि वो एक सांसद की तरह व्यवहार कर रही हैं. 

आपने ध्यान दिया होगा, Mahua Moitra बार-बार Martin Longman नाम के एक व्यक्ति की बात कर रही थीं. 

ये वही व्यक्ति है, जिसने Washington Monthly, मैग्ज़ीन के लिए 31 जनवरी 2017 को एक लेख लिखा था. जिसका शीर्षक
था, The 12 Early Warning Signs of Fascism.....और TMC की सांसद इसी व्यक्ति द्वारा लिखे गए लेख को हाथों में लहराकर, ज़ी न्यूज़ को बुरा-भला कह रही थीं. उन्होंने इस व्यक्ति के एक Tweet का भी ज़िक्र किया. 

ये Tweet इसने 2 जुलाई को किया था. जिसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया था. इस Tweet में की गई भाषा की वजह से हम इसका ज़िक्र नहीं करना चाहते थे. लेकिन, इस भाषा में एजेंडा छिपा हुआ है. और जब Mahua Moitra एक सांसद होने के बावजूद, संसद के बाहर खड़े होकर इस व्यक्ति की भाषा को Endorse करती हैं या उसका प्रचार करती हैं, तो उसे देश के सामने लाना आवश्यक हो जाता है.

Martin Longman ने अपने Tweet में लिखा था...
I’m Internet Famous In India Because A Politician Is Being Falsely Accused Of Plagiarizing Me. It’s Kind Of Funny, But Right-Wing Assholes Seem To Be Similar In Every Country.

इस लेखक ने अपने Tweet में जिस Assholes शब्द का ज़िक्र किया है...हम इसका हिन्दी अनुवाद ना करें तो बेहतर होगा. क्योंकि ये बहुत ही अभद्र है. अंग्रेज़ी में इस शब्द का इस्तेमाल एक गाली के तौर पर किया जाता है. ऐसे में आज सवाल ये भी है, कि क्या Mahua Moitra इस व्यक्ति की भाषा से इक्तेफाक रखती हैं. 

क्या इस लेखक की भाषा, Mahua Moitra की भाषा हो गई है ? अपने आप को पत्रकार कहने वाला Martin Longman किस स्तर का पत्रकार है, उसका पता उसकी भाषा से चल जाता है. Twitter पर इसके मुश्किल से 5 हज़ार से थोड़े ज़्यादा Followers हैं. जब हमने इस व्यक्ति के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की. तो हमें पता चला, कि ये व्यक्ति पहले भी विवादों से घिरा रहा है. और पत्रकार के नाते इसे कोई खास सफलता भी नहीं मिली है. Washington Monthly, नाम की मैग्ज़ीन में काम करने से पहले ये एक Political Consultant हुआ करता था. ये अमेरिका के Pennsylvania का रहने वाला था. और इसे आप वहां का Pseudo Intellectual या डिज़ाइनर पत्रकार भी कह सकते हैं.

Mahua Moitra ने संसद में भाषण के दौरान पोस्टर का ज़िक्र तो किया. लेकिन Martin Longman या उसके लेख का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन, जैसे ही इस व्यक्ति ने Mahua Moitra के समर्थन में Tweet किया...उन्हें इस लेख की याद आ गई. और इसी बहाने उन्हें भारत की बात करने वाले लोगों को गाली देने का मौका मिल गया. टुकड़े-टुकड़े गैंग भी खुश हो गया. और भारत की बुराई करने वाले लोग भी ठहाके मारने लगे.

ये सभी लोग Elite Class के हैं. इसमें Blue Tick वाले बुद्धिजीवी हैं. जो पिछले दो दिनों से हमें लगातार Troll कर रहे हैं. अंग्रेज़ी में हमें गालियां दे रहे हैं. और जिस विदेशी पत्रकार ने Tweet किया है, उसे लेकर हमारा मज़ाक उड़ा रहे हैं. जब अंग्रेज़ भारत आए तो उस वक्त यहां के कुछ लोगों ने अपने फायदे और स्वार्थ के लिए अंग्रेज़ों का साथ दिया. पद और पैसों के लालच में देश से समझौता किया. आज ट्विटर पर Blue Tick वाले Verified Account वाले लोग भी बिल्कुल यही काम कर रहे हैं.

विदेशी पत्रकार की बात तो हो गई. अब देसी पत्रकारों की बात करते हैं. मशहूर पत्रकार बरखा दत्त ने एक News चैनल के लिए Mahua Moitra का इंटरव्यू किया है. इंटरव्यू में इनका परिचय ऐसे कराया है, जैसे इन्होंने कोई वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया हो, या भारत का नाम रौशन किया हो. इंटरव्यू में उन्हें बड़े साफ सुथरे अंदाज़ में Introduce किया गया. जबकि सच्चाई ये थी कि Mahua Moitra ने लोकतंत्र के मंदिर में खड़े होकर भारत के संदर्भ में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. अब ये देखिए, कि इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने भाषण को लेकर क्या कहा ?

चूंकि ये पूरी ख़बर Quote पर आधारित है. इसलिए आज हम राहुल गांधी को भी Quote करना चाहेंगे. 

और इसके लिए हम राहुल के इस्तीफे की चिट्ठी को Source के तौर पर इस्तेमाल करेंगे. और आपको ये बताएंगे, कि राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर क्या कहा ? आज उनकी चिट्ठी को Quote करना अनिवार्य है. राहुल ने चिट्ठी में लिखा था, कि प्रधानमंत्री की जीत उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की गंभीरता को कम नहीं करती है. मेरे हाथ में इस वक्त राहुल गांधी की वही चिट्ठी है.

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