आज हम मन की शक्ति और विज्ञान की मदद से हुए इस चमत्कार का DNA टेस्ट करेंगे. फ्रांस के रहने वाले 30 साल के Thibault (थीबो) के साथ चार वर्ष पहले एक हादसा हुआ था. जिसके बाद वो लकवे का शिकार हो गए थे.
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आपने सुना होगा मन के हारे... हार है और मन के जीते जीत विज्ञान की मदद और मजबूत इच्छाशक्ति से फ्रांस के एक युवक ने इसी की एक मिसाल कायम की है . आज हम मन की शक्ति और विज्ञान की मदद से हुए इस चमत्कार का DNA टेस्ट करेंगे. फ्रांस के रहने वाले 30 साल के Thibault (थीबो) के साथ चार वर्ष पहले एक हादसा हुआ था. जिसके बाद वो लकवे का शिकार हो गए थे. हादसे की वजह से लकवे का शिकार होने वाले लोगों को Tetraplegic ( टेट्राप्लेजिक ) कहा जाता है. अब Thibault (थीबो) ने दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहऱण पेश किया है. और वो चलने फिरने लगे हैं.
ऐसा वो दिमाग से नियंत्रित होने वाले एक तरह के Robot Suit की मदद कर रहे हैं . इस सूट को मरीज अपने दिमाग से नियंत्रित करता है. अभी इस तकनीक का परीक्षण चल रहा है. इस रोबोट सूट का वजन 65 किलो है. इसका इस्तेमाल करने से पहले दिमाग के पास दो यंत्र लगाए जाते हैं. जो मस्तिष्क के उन हिस्सों को ढक लेते हैं .
जो शरीर के अंगों को नियंत्रित करते हैं . इन यंत्रों में 64 इलेक्ट्रोड हैं, जो मस्तिष्क की गतिविधियां पढ़कर कंप्यूटर को भेजते हैं.कंप्यूटर सॉफ्टवेयर BRAINWAVES यानी मस्तिष्क की तरंगों को पढ़ता है. औरये रोबो सूट हरकत करने लगता है .Thibault ( थिबो ) के सामने यहीं सबसे बड़ी चुनौती थी कि उन्हें Exoskeleton (एक्जोस्केलेटन) इस सूट को अपने दिमाग से नियंत्रित करना था.
दो वर्षों की अथक मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति की वजह सेThibault ( थिबो) चलने फिरने लगे हैं. ये इस बात का प्रमाण है कि व्यक्ति के जीवन में कुछ भी असंभव नहीं. व्यक्ति अगर चाहे तो जिंदगी की बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार कर सकता है. आपको Thibault ( थिबो) से सबक सीखना चाहिए कि जीवन में कभी हार ना मानें.