ZEE जानकारी: UPA के राज में नियुक्त हुए कई CEC भी कर चुके हैं EVM की पैरवी
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ZEE जानकारी: UPA के राज में नियुक्त हुए कई CEC भी कर चुके हैं EVM की पैरवी

पहले चरण में EVM की जांच  Electronics Corporation of India Limited के  Engineers करते हैं, इस प्रक्रिया में किसी और को शामिल नहीं किया जाता है.

ZEE जानकारी: UPA के राज में नियुक्त हुए कई CEC भी कर चुके हैं EVM की पैरवी

और अब हम एक ऐसा विश्लेषण करेंगे... जिसे देखकर EVM का विरोध करने वाले लोगों का भी भरोसा EVM के प्रति बढ़ जाएगा. हमारा ये DNA टेस्ट देश की उन सभी पार्टियों को ज़रूर देखना चाहिए जो देश को बैलेट पेपर के युग में ले जाना चाहती हैं. वोटिंग में EVM के इस्तेमाल को 33 बार देश की अदालतों में चुनौती दी गई. लेकिन एक भी मामले में EVM पर उठे सवालों को सही नहीं पाया गया. इतना ही नहीं UPA के राज में नियुक्त हुए कई मुख्य चुनाव आयुक्त भी EVM की पैरवी कर चुके हैं. कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी EVM पर उठे सवालों को खारिज किया है. 

EVM से वोटिंग की प्रक्रिया को पूरी तरह से Tamper Proof बनाया गया है. और इससे छेड़छाड़ करना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है. हम आपको बताते हैं कि EVM कितनी सुरक्षित होती है. जब EVM का निर्माण होता है..तो किसी को ये नहीं पता होता कि Ballot Units पर किस पार्टी के उम्मीदवार को कहां जगह मिलेगी. जब उम्मीदवारों की सूची फाइनल हो जाती है..तभी Ballot Units पर प्रत्याशियों के नाम सामने आते हैं. इन EVMs को एक Strong Room में रखा जाता है, जहां तक पहुंचना आसान नहीं है.

पहले चरण में EVM की जांच  Electronics Corporation of India Limited के  Engineers करते हैं, इस प्रक्रिया में किसी और को शामिल नहीं किया जाता है. किसी विधानसभा के लिए Electronic Voting Machines का चुनाव Random तरीके से किया जाता है. यानी किसी विधानसभा में इन मशीनों को किसी Order यानी क्रमांक में नहीं भेजा जाता है. इसके बाद जब ये मशीनें बूथ पर जाती हैं..तो वहां भी इन्हें Random तरीके से ही भेजा जाता है. यानी कोई भी मशीन किसी भी बूथ पर भेजी जा सकती है. 

EVM को लगाने का काम, उम्मीदवारों या उनके Polling Agents की निगरानी में किया जाता है..ताकि बाद में किसी को कोई शक ना हो. Electronic Voting मशीनों को एक Strong Room में रखा जाता है. और अगर उम्मीदवार या उनके Agents चाहें..तो वो इन मशीनों पर अपनी अपनी मुहर भी लगा सकते हैं. EVM की Control Unit और Ballot Unit का एक unique identification number नंबर होता है. ये UID उम्मीदवारों को भी दिया जाता है.  

किसी भी Booth पर वोटिंग शुरू होने से पहले, Presiding Officer एक Mock Poll कराता है. ये Mock Polling सभी उम्मीदवारों या उनके Agents के सामने की जाती है..ताकि सभी को यकीन हो जाए, कि मशीनें ठीक काम कर रही हैं. वोटिंग खत्म होने क बाद इन मशीनों को  उम्मीदवारों के Polling Agents के सामने ही Seal कर दिया जाता है. Polling Agents चाहें तो मशीनों पर अपने हस्ताक्षर भी कर सकते हैं. 

इसके बाद Polling Party मशीनों को एक निश्चित स्थान पर ले जाती है..उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधी चाहें, तो मशीनों को ले जा रहे वाहन के पीछे-पीछे  भी जा सकते हैं. इसके बाद Returning Officer इन मशीनों को Strong Room में रख देता है. और उम्मीदवार चाहें तो Strong Room के ताले पर अपनी अपनी मोहर भी लगा सकते हैं. उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधी चाहें तो चौबीसों घंटे Strong Room पर नज़र रख सकते हैं.

वोटों की गिनती वाले दिन Strong Room की सील..उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों  के सामने ही तोड़ी जाती है. उम्मीदवार चाहें तो Counting Table पर EVM मशीनों की सील की जांच कर सकते हैं.

हर मतदान केद्र में एक Register होता है..जिसमें मतदाताओं के Details होते हैं. Polling Agents और उम्मीदवार इन  Details का मिलान EVM में डाले गए वोटों की संख्या से कर सकते हैं. EVM  लगाए जाने, Strong Room को सील किए जाने और Strong Room को खोले जाने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करवाई जाती है. 

इस विश्लेषण के बाद आपको ये बात आसानी से समझ में आ गई होगी कि EVM को Hack करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. अगर आप गुजरात के चुनाव परिणामों का विश्लेषण करेंगे. तो आपको ये पता चलेगा कि कांग्रेस की जीत को कैसे उसके ही नेताओं के.. विवादित बयानों ने Hack कर लिया ? 

कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर के नीच वाले बयान का असर चुनाव के नतीजों पर भी दिखा है. सूरत की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिशंकर अय्यर के बयान का जवाब दिया था. सूरत में 16 विधानसभा सीटें हैं. यहां 16 में से 15 सीटें बीजेपी ने जीत ली. कांग्रेस... सूरत की सिर्फ एक ही सीट जीत पाई. 

चुनाव प्रचार के दौरान सूरत को लेकर कई तरह की बातें कहीं जा रही थीं. ये कहा गया कि GST की वजह से सूरत के कपड़ा व्यापारी बहुत नाराज़ हैं. कुछ लोग ये भी कह रहे थे कि नोटबंदी की वजह से सूरत में कारोबार को बहुत नुकसान पहुंचा है. इसलिए यहां बीजेपी की हालत खराब है. लेकिन जब नतीजों का विश्लेषण किया गया. तो पता चला कि मणिशंकर अय्यर के नीच वाले बयान की वजह से कांग्रेस वो फायदा नहीं उठा सकी जिसकी उसे उम्मीद थी. 

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