ZEE जानकारी: सोशल मीडिया को बच्चे किसी नशे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं
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ZEE जानकारी: सोशल मीडिया को बच्चे किसी नशे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं

Facebook के एक पूर्व Vice President ने एक सेमिनार के दौरान ये बात कही थी कि सोशल मीडिया समाज को तोड़ने का काम कर रहा है.

ZEE जानकारी: सोशल मीडिया को बच्चे किसी नशे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं

DNA एक पारिवारिक शो है... जिसमें हम आपके परिवार से जुड़ी हुई ज़रूरी ख़बरों का विश्लेषण करते हैं. ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद....आपके और आपके परिवार के जीवन में बदलाव और खुशहाली लाना है. अब हम जिस खबर का विश्लेषण करेंगे, वो उन लोगों को ध्यान से देखनी चाहिए.... जो मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट की आकर्षक दुनिया में पूरी तरह डूब गये हैं.. और अपने परिवार से दूर हो गये हैं. ये वो लोग हैं जो WhatsApp, Facebook और Twitter पर तो बहुत सामाजिक हैं लेकिन अपनी पारिवारिक ज़िंदगी में बहुत अकेले हो गये हैं. दिल्ली और NCR में पुलिस के पास कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें सोशल मीडिया की वजह से पति-पत्नी के संबंध खराब हो रहे हैं. नौबत यहां तक पहुंच चुकी है कि परिवारों को ऐसे मामले सुलझाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है.

पुलिस के मुताबिक इस तरह के ज़्यादातर मामलों में ये पाया गया कि पति-पत्नी अपने मोबाइल फोन पर बहुत ज़्यादा समय बिता रहे थे. उन्हें Followers और Likes की फिक्र तो होती है.. लेकिन परिवार और संबंधों की फिक्र नहीं होती. ऐसे मामले आसानी से रिपोर्ट नहीं होते.. लेकिन हमें यकीन है कि ये समस्या पूरे देश में फैली हुई है. वैसे तो पुलिस ऐसे विषयों पर रिसर्च करने वाली एजेंसी नहीं होती.. लेकिन पुलिस के सामने जिस तरह के केस आते हैं.. उनसे समाज के Loopholes पता चलते हैं.. समाज की कमियां उजागर होती हैं. आप पुलिस को एक तरह से समाज का तापमान नापने वाला Thermometer भी कह सकते हैं.

पुलिस के पास कई ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें नौबत झगड़े और मारपीट तक पहुंच जाती है.. और फिर पुलिस इसे Counselling की मदद से सुलझाने की कोशिश करती है. अकसर पति-पत्नी के बीच होने वाले मतभेद, घर-परिवार के बड़े- बुज़ुगों से शेयर किये जाते है लेकिन WhatsApp और FaceBook वाले दौर में परिवार से संवाद करने की प्रथा बहुत कम हो गई है. Mobile Phone और इंटरनेट आपकी और हमारी जिंदगी को आसान बनाने के लिए हैं, लेकिन अगर ये सुविधा..... रिश्तों को ख़त्म करने का कारण बन जाएं तो फिर ये अच्छा Signal नहीं हैं. दुख की बात ये है कि दुनिया के ज़्यादातर देश इस समस्या से परेशान तो हैं लेकिन वो इसे दूर नहीं कर पा रहे हैं.

2017 में दुनिया के 18 देशों में Social Media पर समय बिताने वाले लोगों पर एक सर्वे किया गया था. इस सर्वे में 23 प्रतिशत लोगों ने माना था कि सोशल मीडिया की वजह से उनकी और उनके जीवनसाथी के बीच होने वाली बातचीत कम हो गई है, जबकि 33 प्रतिशत लोगों ने कहा कि Social Sites पर Active रहने के कारण वो अपने बच्चों से बहुत कम बात करते हैं . 23 प्रतिशत लोगों का कहना है कि हमेशा Online रहने वाली आदत की वजह से वो अपने माता-पिता से कम बातचीत करते है. 69 प्रतिशत युवाओं ने ये माना कि उनका अपने दोस्तों से संवाद कम हो गया है क्योंकि वो social media के ज़रिए उनका हालचाल पूछ लेते हैं.

Facebook के एक पूर्व Vice President ने एक सेमिनार के दौरान ये बात कही थी कि सोशल मीडिया समाज को तोड़ने का काम कर रहा है और उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि FaceBook को तैयार करने में उनकी भी भूमिका थी .
हालांकि दुनिया के करोड़ों लोगों को.. प्राश्यचित की ये बातें समझ में नहीं आ रही हैं.

ब्रिटेन की Royal Society for Public Health ने  Social media पर एक सर्वे किया जिसके नतीजे हैरान करने वाले हैं. सर्वे में कहा गया कि Social media एक ख़तरनाक लत है जो सिगरेट और शराब से भी ज़्यादा हानिकारक है. पिछले 25 वर्षों में युवाओं में anxiety and depression के मामलों में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है इनमें से ज़्यादातर मामलों में Social media की बड़ी भूमिका रही है . सबसे ज़्यादा चिंता कि बात ये है कि बच्चे भी.. बड़ों के रास्ते पर चल रहे हैं. 

एक सर्वे के मुताबिक भारत के बच्चे औसतन साढ़े पांच घंटे मोबाइल फोन, TV, Laptop या Tab जैसी Smart Screens पर बिताते हैं. जबकि अमेरिका के बच्चे औसतन 4 घंटे Smart Screens पर बिताते हैं, फ्रांस और जर्मनी में ये आकंड़ा औसतन 3 घंटे का है जबकि चीन के बच्चों के लिए ये आंकड़ा 2 घंटे है. यानी इंटरनेट और सोशल मीडिया का असर पूरे परिवार पर पड़ रहा है. एक तरफ पति पत्नी के बीच झगड़े हो रहे हैं और दूसरी तरफ बच्चे... इंटरनेट और सोशल मीडिया को किसी नशे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

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