Zee जानकारी : डोकलाम गतिरोध पर झूठ बोल रहा चीन
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Zee जानकारी : डोकलाम गतिरोध पर झूठ बोल रहा चीन

चीन का दावा है कि 18 जून को 270 भारतीय जवान हथियारों और दो बुल्डोजर्स के साथ डोकलाम में उसकी ज़मीन में घुस गए, और चीन द्वारा सड़क बनाने का विरोध किया। और भारतीय जवानों की इसी हरकत की वजह से इस पूरे इलाके में तनाव है। चीन ने आरोप लगाया है कि बाद में इस इलाके में और भी भारतीय सैनिक आ गए और उनकी संख्या 400 हो गई। और उन्होंने चीन की सीमा के 180 मीटर अंदर तीन टेंट  भी लगा दिए हैं। इस बयान में चीन की तरफ से ये भी कहा गया है कि जुलाई के अंत तक अब इस इलाके में भारत के 40 सैनिक और 1 बुल्डोजर मौजूद हैं। 

Zee जानकारी : डोकलाम गतिरोध पर झूठ बोल रहा चीन

नई दिल्ली : चीन का दावा है कि 18 जून को 270 भारतीय जवान हथियारों और दो बुल्डोजर्स के साथ डोकलाम में उसकी ज़मीन में घुस गए, और चीन द्वारा सड़क बनाने का विरोध किया। और भारतीय जवानों की इसी हरकत की वजह से इस पूरे इलाके में तनाव है। चीन ने आरोप लगाया है कि बाद में इस इलाके में और भी भारतीय सैनिक आ गए और उनकी संख्या 400 हो गई। और उन्होंने चीन की सीमा के 180 मीटर अंदर तीन टेंट  भी लगा दिए हैं। इस बयान में चीन की तरफ से ये भी कहा गया है कि जुलाई के अंत तक अब इस इलाके में भारत के 40 सैनिक और 1 बुल्डोजर मौजूद हैं। 

ये चीन के झूठे आरोप हैं, जबकि हकीकत ये है कि डोकलाम भूटान का वो इलाक़ा है जिसे चीन हड़पना चाहता है और यहां पर वो ज़बरदस्ती सड़क बना रहा था।  चीन ने ये दावा किया है कि भारत के सैनिकों की संख्या डेढ़ महीने में कम हो गई है.. जबकि सच्चाई ये है कि भारत ने इस इलाके से अपने सैनिकों का तादाद कम नहीं की है। डोकलाम में भारत के सैनिक उतने ही हैं, जितने पहले थे। 

चीन ने ये भी कहा है कि ये इलाका चीन का हिस्सा है। और भारतीय सैनिकों ने गलत तरीके से सीमा पार की है। 

जबकि सच्चाई ये है कि 29 जून को भूटान की सरकार ने एक बयान जारी किया था। जिसमें ये कहा गया था कि भूटान की सीमा के अंदर चीन जो कुछ भी कर रहा है, वो सीधे तौर पर 1988 और 1998 के समझौतों का उल्लंघन है। भूटान के साथ हुए समझौतों मुताबिक इस इलाके में चीन को मार्च 1959 के पहले की यथास्थिति बरकरार रखनी होगी। 

चीन ने ये भी कहा है कि चीन और भूटान के बीच का सीमा विवाद उनका आपसी विवाद है, और भारत को इसमें पड़ने की ज़रूरत नहीं है। चीन ने इस मामले में भारत को थर्ड पार्टी बताया है। और कहा है कि भारत ने ऐसा करके चीन और भूटान की संप्रभुता को चुनौती दी है। 

चीन के साथ समस्या ये है कि उसे जब किसी देश की ज़मीन पर कब्ज़ा करना होता है, तो वो पुराने सारे समझौते भूल जाता है। चीन ये भूल गया कि 2012 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके मुताबिक ट्राइ-जंक्शन यानी इस इलाके में जो भी सीमा विवाद होंगे वो भारत, चीन और संबंधित देश की सलाह के बिना नहीं सुलझाए जा सकते। इसका सीधा सा मतलब ये है कि इस केस में भारत थर्ड पार्टी नहीं है। 

इस बयान में चीन ने ये दावा भी किया है कि उसके भूटान के साथ अच्छे संबंध हैं। 

जबकि सच्चाई ये है कि चीन भूटान पर कब्ज़ा करना चाहता है। और चीन ने भूटान के साथ किसी तरह कूटनीतिक रिश्ते नहीं रखे हैं। 

चीन की विस्तारवादी नीति से डरकर भूटान ने 1949 में ही भारत के साथ मित्रता की संधि कर ली थी, उस संधि के तहत.. भूटान को अपनी विदेश नीति में कोई बदलाव करने के लिए भारत की सलाह लेनी होगी। 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्ज़े के बाद भूटान की बेचैनी और बढ़ गई और वो चीन को बौद्ध संप्रदाय के शत्रु के तौर पर देखने लगा। 

भारत भूटान को अच्छी खासी वित्तीय मदद देता है। भूटान को मिलने वाली कुल विदेशी वित्तीय मदद का 66% हिस्सा भारत देता है. ये आंकड़े बताते हैं कि भारत भूटान का एक मित्र देश है। 

चीन का एक और झूठ आपको बताते हैं। इस लिखित बयान में चीन ने कहा है कि इस पूरे इलाके में भारत ने बहुत बड़ा इंफ्रस्ट्रक्चर तैयार कर लिया है। जबकि चीन ने किसी भी तरह के विकास कार्य नहीं किए हैं। चीन का कहना है कि वो इस इलाके में रहने वाली आबादी के लिए सड़क बनाना चाहता है। 

लेकिन सच्चाई इससे एकदम उलटी है। चीन साफ तौर पर झूठ बोल रहा है। वो बहुत लंबे अरसे से तिब्बत में सड़कों और रेलवे लाइंस का जाल बिछा रहा है। चुंबी वैली में यादुंग तक उसकी दो बहुत अच्छी सड़कें बनी हुई हैं। और ये सारा इंफ्रा-स्ट्रक्चर जनता की भलाई के लिए नहीं है, क्योंकि यहां बहुत कम लोग रहते हैं। विशेषज्ञ ये मानते हैं कि चीन इस इलाके में सिर्फ सेना की पहुंच के लिए ही सड़क बना रहा है और उसका मुख्य मकसद है सिलीगुड़ी कॉरिडोर से भारत को काटना।

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