ZEE जानकारी: EXIT POLLS के मुताबिक गुजरात में छठी बार बीजेपी की सरकार बन सकती है
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ZEE जानकारी: EXIT POLLS के मुताबिक गुजरात में छठी बार बीजेपी की सरकार बन सकती है

देश में GST लागू होने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है. और इन चुनावों में जीत का मतलब है कि GST पर गुजरात ने मुहर लगाई है.

ZEE जानकारी: EXIT POLLS के मुताबिक गुजरात में छठी बार बीजेपी की सरकार बन सकती है

अब आपको महा Exit Poll की बड़ी बातें बता देते हैं. महा Exit Poll के मुताबिक गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है. EXIT POLLS के मुताबिक गुजरात में छठी बार बीजेपी की सरकार बन सकती है. गुजरात में बीजेपी को पूर्ण बहुमत तो मिल सकता है. लेकिन अपने दावे के अनुसार 151 के आंकड़े से वो बहुत पीछे नज़र आ रही है. बीजेपी को 118 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी ये कोई Landslide Victory या ज़बरदस्त जीत नहीं हैं.

देश में GST लागू होने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है. और इन चुनावों में जीत का मतलब है कि GST पर गुजरात ने मुहर लगाई है. यानी कांग्रेस को राहुल गांधी के जबरदस्त प्रचार का फायदा नहीं मिला. गुजरात में पिछली बार 2012 के चुनावों में कांग्रेस को 182 में से 61 सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार उसे 63 सीटें मिलने का अनुमान है. यानी कांग्रेस की स्थिति में ज्यादा फर्क नहीं आया है. 

महा Exit Poll का अनुमान है कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की एक तरफा जीत होगी. यानी कांग्रेस के हाथ से एक राज्य और चला गया. और अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस सिर्फ 5 राज्यों में सिमट कर रह जाएगी. हिमाचल प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं. और बहुमत के लिए 35 सीटें चाहिएं. महा Exit Poll के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 48 सीटें मिल सकती हैं.  जबकि कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिलने का अनुमान है. 

अब आपको गुजरात के महा Exit Poll के नतीजे और उनका मतलब विस्तार से बताते हैं. देश की राजनीति में गुजरात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गुजरात के नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह दोनों ही गुजरात से आते हैं. इसलिए आज सबकी नज़र गुजरात के Exit Poll पर थी

गुजरात... बीजेपी का सबसे पुराना और सबसे मजबूत किला है. वर्ष 1995 में केशू भाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे. तब पहली बार गुजरात में बीजेपी का मुख्यमंत्री बना था और तब से लेकर आज तक 22 वर्ष बीत गए... गुजरात में आज भी बीजेपी का राज है. Exit Polls यही बता रहे हैं कि गुजरात में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनने वाली है.

लेकिन आज इस बात का विश्लेषण करना बहुत जरूरी है कि इन 22 वर्षों में गुजरात के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहा ? इस विश्लेषण से आपको ये भी समझ में आएगा कि आज जो Exit Poll हुए हैं. वो कितने सटीक साबित हो सकते हैं. गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 121 और कांग्रेस को 45 सीटें मिली थीं. वर्ष 1995 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था. लेकिन उस वक्त बीजेपी के दो बड़े नेताओं शंकर सिंह वघेला और केशू भाई पटेल के मतभेदों की वजह से सरकार नहीं चल पाई. 

और 1998 में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें बीजेपी को 117 सीटें मिली और कांग्रेस को 53 सीटें मिलीं. यानी कांग्रेस की सीटों में इज़ाफ़ा हुआ और बीजेपी की सीटों में कमी आई. हालांकि सरकार बीजेपी की ही बनीं और केशू भाई पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए. लेकिन वर्ष 2001 में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केशू भाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बना दिया. 

इसके बाद वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 127 और कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं. आप ये कह सकते हैं कि ये अब तक का बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन था. वर्ष 2002 के बाद 2007 में विधानसभा चुनाव हुए. वर्ष 2007 में बीजेपी को 117 और कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं. आप देख सकते हैं कि वर्ष 2002 के मुकाबले वर्ष 2007 में बीजेपी की 10 सीटें घट गईँ और कांग्रेस की 8 सीटें बढ़ गईं.

इसके बाद वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव हुए. इन चुनावों में भी सरकार बीजेपी की ही बनी. लेकिन इस बार भी बीजेपी की सीटें कम हुईं और कांग्रेस की सीटें बढ़ गईं. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं. यानी बीजेपी की 2 सीटें घट गईँ और कांग्रेस की 2 सीटें बढ़ गईँ. 

अब सवाल ये है कि 18 दिसंबर को जो नतीजे आएंगे.. उनमें गुजरात में बीजेपी की सीटों में कमी आएगी या फिर सीटें बढ़ेगी ? क्योंकि अब गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री नहीं हैं. नरेंद्र मोदी अब देश के प्रधानमंत्री हैं. ये सवाल हमने Game Of Gujarat Conclave में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह से पूछा था. तो उन्होंने दावा किया था कि बीजेपी.. गुजरात में 150 सीटें जीतेगी. हालांकि Exit Polls ने जो संकेत दिए हैं.. उनके मुताबिक बीजेपी को इतनी बड़ी जीत नहीं मिलेगी 

अगर आप गुजरात के Voters के मन को पढ़ना चाहते हैं. तो आपको गुजरात के 22 वर्षों के Vote प्रतिशत के बारे में भी पता होना चाहिए. 

वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 42.51 % और कांग्रेस को 32.86  % वोट मिले थे. 

वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44.81 % और कांग्रेस को 34.85 %  वोट मिले थे. 

वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 49.85% और कांग्रेस को 39.28% वोट मिले थे. 

वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 49.12% और कांग्रेस को 38% वोट मिले. 

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47.90% और कांग्रेस को 38.90% वोट मिले. 

यानी अगर हम ध्यान से देखें तो वर्ष 1995 से लेकर 2012 तक बीजेपी और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में करीब करीब 10 Percent का फर्क रहा है

अगर हम वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कुल मतदान की बात करें.

तो पहले चरण के चुनाव में 66.75 प्रतिशत मतदान हुआ

और दूसरे चरण के चुनाव में 68.7 प्रतिशत मतदान हुआ 

और दोनों चरणों में कुल मिलाकर 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ है. 

जबकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 71.3 प्रतिशत कुल मतदान हुआ था. इसका मतलब ये है कि इस बार मतदान 3.9 प्रतिशत कम हुआ है. 

आप अगर गौर से देखेंगे तो वर्ष 2014 के बाद देश की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आया है. देश में पहली बार केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. वर्ष 2014 के बाद जैसे-जैसे बीजेपी.. अलग अलग राज्यों में जीत दर्ज करती गई. वैसे-वैसे कांग्रेस की राजनीति के तरीके में भी बदलाव आने लगा. बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस ने Soft हिंदुत्व की रणनीति का सहारा लिया. 

कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से पहले केदारनाथ मंदिर में पूजा की थी. और इस बार गुजरात विधानसभा के चुनाव में राहुल गांधी ने 27 मंदिरों का दौरा किया. शायद पहली बार ऐसा हुआ जब किसी एक राज्य के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने इतनी बड़ी संख्या में मंदिरों का दौरा किया. 

दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कुल 5 मंदिरों और आश्रमों के दौरे किए. यहां नोट करने वाली बात ये भी है. कांग्रेस को धीरे-धीरे एंटनी कमेटी की रिपोर्ट को Follow करना पड़ रहा है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस ने हार के कारणों की जांच के लिए एंटनी कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, कि कांग्रेस की छवि हिंदू विरोधी होती जा रही है. जो हार की एक बहुत बड़ी वजह है. इसका मतलब ये है कि कांग्रेस अब अपनी भूल सुधारने की कोशिश कर रही है. 

अगर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की रैलियों की बात करें. तो गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल 34 रैलियां की हैं. जबकि राहुल गांधी ने 85 रैलियां की हैं. यानी ये कहा जा सकता है कि बीजेपी को हराने के लिए राहुल गांधी ने काफी मेहनत की है. हालांकि Exit Poll के अनुमान को देखकर ऐसा ही लगता है कि राहुल गांधी की उम्मीदें पूरी होना मुश्किल है.

इन चुनावों के दूसरे सबसे बड़े किरदार राहुल गांधी हैं. जो निर्विरोध रूप से कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. लेकिन Exit Polls के अनुमान बता रहे हैं कि इसका राहुल गांधी को कोई फायदा नहीं हुआ है. गुजरात में तो राहुल गांधी ने खूब ज़ोर लगाया. पाटीदार नेताओं से भी हाथ मिलाया. लेकिन शायद ये सब काम नहीं आया. 

उपाध्यक्ष बनने से लेकर अब तक राहुल गांधी 27 बड़े चुनाव हार चुके हैं. और अगर Exit Polls के अनुमानों पर विश्वास किया जाए, तो ये आंकड़ा 29 चुनाव हारने का हो जाएगा. यानी अध्यक्ष बनने के बाद भी राहुल गांधी और उनकी पार्टी के अच्छे दिन नहीं आए हैं. कांग्रेस की ये हार बीजेपी के मनोबल को और बढ़ा देगी. और फिर 2019 में कांग्रेस का रास्ता और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाएगा 

अब हम आपको देश का बदला हुआ राजनीतिक नक्शा दिखाना चाहते हैं

अगर Exit Polls के अनुमानों के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस हार गई तो उसके पास सिर्फ 5 राज्य रह जाएंगे. जबकि बीजेपी और उसके सहयोगियों की देश के 19 राज्यों में सरकार बन जाएगी. यानी एक तरह से देश का राजनीतिक नक्शा इस वक्त भगवा रंग में नज़र आ रहा है. अगर कांग्रेस इस नक्शे को बदलना चाहती है, तो उसे और कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.

गुजरात चुनाव में चीन का दखल
यहां आपको एक दिलचस्प जानकारी दे देते हैं. गुजरात विधानसभा के नतीजों पर इस बार चीन में भी काफी दिलचस्पी है. और वहां भी बहुत बेसब्री से 18 दिसम्बर यानी नतीजों वाले दिन का इंतज़ार हो रहा है. मेरे हाथ में इस वक्त चीन के अखबार Global Times का एक Article है. इस Article को थोड़ी देर पहले ही Global Times ने अपनी Website पर Upload किया है. लेकिन, इस लेख की सबसे दिलचस्प बात ये है...कि चीन में कई समीक्षक गुजरात के चुनावी नतीजों को काफी क़रीब से देख रहे हैं. क्योंकि, गुजरात के नतीजों से चीन के बहुत सारे हित भी जुड़े हुए हैं. इस लेख में कहा गया है, कि गुजरात के नतीजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर Voters के Attitude का Litmus Test होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भारत के Voters का रवैया.. चीन के लिए काफी चिंता का विषय है. क्योंकि, भारत और चीन के बीच आर्थिक गतिविधियां काफी तेज़ी से बढ़ रही हैं. 

इस लेख में इस बात पर चिंता जताई गई है, कि अगर गुजरात में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाती...तो मोदी सरकार के Economic Reforms को बहुत बड़ा झटका लगेगा. लेख में ये भी कहा गया है, कि गुजरात में बीजेपी की हार, दूसरे राज्यों के Voters को प्रभावित करने का काम करेगी. और अगर ऐसा हुआ, तो आर्थिक सुधार की नीतियां बीच रास्ते में ही रुक जाएंगी. 

Article में ये भी कहा गया है, कि अगर बीजेपी गुजरात में जीत जाती है, लेकिन उसे पहले के मुक़ाबले उतनी सीटें नहीं मिलती, तो ये भी आर्थिक सुधारों को लेकर एक झटका ही होगा. इस लेख का एक दिलचस्प पहलू ये भी है, कि इसमें गुजरात मॉडल का ज़िक्र किया गया है. और कहा गया है, कि गुजरात चुनाव के नतीजे भारत सरकार के Reform Agenda को लेकर बनी Public Opinion पर असर डाल सकते हैं. ये असर सकारात्मक भी हो सकते हैं, और नकारात्मक भी हो सकते हैं. कुल मिलाकर Global Times का ये लेख ये बताता है, कि 18 दिसम्बर को आने वाले नतीजों पर, सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की नज़र है.

इस विश्लेषण के अंत में हम अपने दर्शकों को Exit Polls से जुड़ी एक वैधानिक चेतावनी देना चाहते हैं,,, और वो चेतावनी ये है कि आज जो आंकड़े Exit polls ने आपके सामने रखे हैं वो अंतिम नतीजे नहीं हैं.. Exit polls गलत भी साबित हो सकते हैं और इसका एक लंबा इतिहास भी रहा है.. इसलिए पूरे देश को 18 दिसंबर की सुबह का इंतज़ार करना होगा.. वो सुबह Final फैसले की सुबह होगी... और उस दिन आपका समय हमारे साथ सुरक्षित रहेगा... इसलिए 18 दिसंबर का Reminder लगा लीजिए.

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