ZEE जानकारी: मार्च के महीने में मई का अहसास, अच्छा नहीं लग रहा ना!
Advertisement

ZEE जानकारी: मार्च के महीने में मई का अहसास, अच्छा नहीं लग रहा ना!

मौसम विभाग का कहना है कि इस साल मार्च से मई तक का तापमान, पिछले 50 साल की तुलना में सामान्य से 1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा होगा. 

ZEE जानकारी: मार्च के महीने में मई का अहसास, अच्छा नहीं लग रहा ना!

क्या आपने ठंड के मौसम में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़ों को Pack करके रख दिया है? क्या आप स्वेटर और जैकेट्स छोड़कर, अब गर्मी के कपड़े पहनने लगे हैं? क्या आपको आजकल पहले के मुकाबले कुछ ज़्यादा ही गर्मी महसूस हो रही है ? अगर इन सवालों का जवाब हां है, तो ये विश्लेषण आपके लिए है. वैसे इसे विश्लेषण कहना सही नहीं होगा, आप इसे एक Warning यानी चेतावनी भी कह सकते हैं. और ये Warning हमने नहीं, बल्कि मौसम विभाग ने दी है.

मौसम विभाग के मुताबिक, 28 फरवरी 2018 को यानी कल देश के कई हिस्सों में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके, कर्नाटक के कुछ हिस्से, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और ओडिशा में सबसे ज़्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया. ठीक इसी तरह, पश्चिमी राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और मध्यप्रदेश के पश्चिमी हिस्से में आज का तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा था. 

मौसम विभाग का कहना है कि इस साल मार्च से मई तक का तापमान, पिछले 50 साल की तुलना में सामान्य से 1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा होगा. वैसे तो इस दौरान, देशभर में तापमान काफी ज़्यादा रहने की आशंका है. लेकिन इन महीनों में उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप सबसे ज्यादा होगा. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में तापमान, सामान्य से डेढ़ डिग्री सेल्सियस ज़्यादा हो सकता है. जबकि, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में भी तापमान, सामान्य से 2.3 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा रहने की आशंका है. इसके अलावा दक्षिण भारत में भी मार्च से मई का तापमान सामान्य से आधा डिग्री ज़्यादा रह सकता है. यानी आपको आने वाले दिनों में भीषण गर्मी के लिए तैयार हो जाना चाहिए, फिर चाहे आप देश के किसी भी हिस्से में क्यों ना रहते हों. अब ये भी देख लीजिए कि ऐसा क्यों हो रहा है.

Inter-Governmental Panel on Climate Change की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1880 से 2012 के बीच धरती का तापमान करीब 0.85 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. सरल शब्दों में कहें, तो 1870 की औद्योगिक क्रांति के बाद से अब तक, धरती का तापमान करीब 1 डिग्री बढ़ा है . अब तक के 14 सबसे गर्म वर्षों में से 13 वर्ष, 21वीं सदी के दौरान..यानी सन 2000 के बाद सामने आए हैं.

The Energy and Resources Institute के मुताबिक दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में पिछले 16 वर्षों में तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है. जबकि NASA के Satellite से हासिल हुई तस्वीरों का विश्लेषण बताता है कि गर्मी की रातों में शहरों का तापमान ग्रामीण इलाकों के मुकाबले 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है. ये अपने आप में Global Warming का सबसे बड़ा संकेत है. आप इसे धरती का Viral Fever भी कह सकते हैं. और ये बुखार हर बीतते वर्ष के साथ बढ़ता जा रहा है.

Global Warming पर बड़ी-बड़ी बातें और परिभाषाएं आपने सुनी होंगी. लेकिन पृथ्वी का तापमान बढ़ने का सीधा सा मतलब है, आपके और हमारे जीवन पर बुरा असर पड़ना. जब धरती का तापमान बढ़ता है, तो बेमौसम बरसात होती है और सभी ऋतुओं पर इसका असर होता है. यानी मौसम का चक्र बदल जाता है, गर्मी समय से पहले आ जाती है. सर्दी देर से आती है और बारिश कम होती है. Global Warming की वजह से मौसम मिज़ाज बदल रहा है... और इसके बहुत ख़तरनाक नतीजे देखने को मिल रहे हैं. इस वक्त, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी मौसम का Torture लगातार जारी है.

आप किसी भी देश का नाम ले लीजिए. Ukraine, Britain, Spain, China, Italy, Bolivia, America या Ireland. हर देश को कुदरत की सज़ा मिल रही है. कहीं भारी बर्फबारी हो रही है, तो कहीं भीषण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. यूरोप में बर्फीले तूफान ने भारी तबाही मचाई है. वहां पर झील, नदियां और समुद्र के किनारे तक जम गए हैं. सड़कों पर बर्फ की चादर बिछ गई है. बर्फीले तूफान से अभी तक 48 लोगों की मौत हुई है. पूरे Arctic Region का तापमान सामान्य के मुक़ाबले 20 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा हो गया है. Arctic Blast की वजह से यूरोप के कई देश.. बर्फ की चादर में दब गए हैं. आपको बता दें, कि Arctic में Low Pressure Zone बनने की वजह से धरती के ध्रुवों यानी Poles से ठंडी हवाएं यूरोप की तरफ बह रही हैं. इसे Arctic Blast कहा जाता है.

इस वक्त दुनिया के 15 देश ऐसे हैं, जहां का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंच चुका है. यानी एक तरफ भारत गर्मी झेल रहा है, तो दूसरी तरफ दुनिया के कई देशों के लोग, भीषण ठंड की वजह से, सांस तक नहीं ले पा रहे हैं. और इसकी सिर्फ और सिर्फ एक वजह है, और वो है जलवायु परिवर्तन.
 
मशहूर अमेरिकी कहानीकार उटा फिलिप्स (utah philips) ने, जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में एक बार कहा था, कि धरती मर नहीं रही, बल्कि धरती को मारा जा रहा है और इसके कातिलों का नाम, पता और चेहरा सबके सामने है, इसके बावजूद सब चुपचाप तमाशा देख रहे हैं. और ये बात एकदम सही है. चिंता की बात ये है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से, पूरी दुनिया में सबसे बड़ा नुकसान एशिया को ही होगा, क्योंकि एशिया में सबसे ज़्यादा आबादी है. इसलिए, इस ख़तरे को हल्के में लेना एक बहुत बड़ी भूल होगी.

हमारे देश में पर्यावरण के बारे में कोई नहीं सोचता, और इसे लगातार नजरअंदाज़ करने की परंपरा पिछले कई दशकों से चली आ रही है. चिंताजनक बात ये है, कि तमाम न्यूज़ चैनल्स और मीडिया के दूसरे हिस्सों में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी ख़बरें दिखाना फैशन में नहीं है. हालांकि ज़ी न्यूज़ ने आपको लगातार पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी Reports, पूरी जानकारी के साथ दिखाई हैं. और आज भी हमने यही कोशिश की.

Trending news