Zee जानकारी : अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर दिल्ली में जारी है अनलिमिटेड ड्रामा
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Zee जानकारी : अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर दिल्ली में जारी है अनलिमिटेड ड्रामा

कहते हैं कि ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीके होते हैं। पहला ये, कि जो हो रहा है, उसे होने दो, बर्दाश्त करते जाओ और दूसरा तरीका ये है कि ज़िम्मेदारी उठाओ, और माहौल को बदलो। हम इस दूसरे तरीके को ही अपनी पत्रकारिता का मूल मंत्र मानते हैं और आज भी हम देश की सोच में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। आज सबसे पहले मैं, एक सैनिक का आक्रोश आपको दिखाना हूं। आज हमारे पास एक ऐसा वीडियो है जो मेनस्ट्रीम मीडिया में नहीं दिखाया गया और उसे किसी ने सोशल मीडिया पर वाइरल भी नहीं किया है। इस वीडियो में दिखाई दे रहे जवान ने खराब भोजन की शिकायत नहीं की, खराब कपड़ों या जूतों की शिकायत नहीं की। इस जवान ने देश के खराब माहौल की शिकायत की है। इस जवान ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा है कि देश के लोग उसे अच्छा माहौल नहीं दे रहे हैं। देश के लोग उसके विश्वास और उसके समर्पण का अपमान कर रहे हैं।

Zee जानकारी : अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर दिल्ली में जारी है अनलिमिटेड ड्रामा

नई दिल्ली : कहते हैं कि ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीके होते हैं। पहला ये, कि जो हो रहा है, उसे होने दो, बर्दाश्त करते जाओ और दूसरा तरीका ये है कि ज़िम्मेदारी उठाओ, और माहौल को बदलो। हम इस दूसरे तरीके को ही अपनी पत्रकारिता का मूल मंत्र मानते हैं और आज भी हम देश की सोच में एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। आज सबसे पहले मैं, एक सैनिक का आक्रोश आपको दिखाना हूं। आज हमारे पास एक ऐसा वीडियो है जो मेनस्ट्रीम मीडिया में नहीं दिखाया गया और उसे किसी ने सोशल मीडिया पर वाइरल भी नहीं किया है। इस वीडियो में दिखाई दे रहे जवान ने खराब भोजन की शिकायत नहीं की, खराब कपड़ों या जूतों की शिकायत नहीं की। इस जवान ने देश के खराब माहौल की शिकायत की है। इस जवान ने चिल्ला-चिल्लाकर कहा है कि देश के लोग उसे अच्छा माहौल नहीं दे रहे हैं। देश के लोग उसके विश्वास और उसके समर्पण का अपमान कर रहे हैं।

ये सैनिक इस बात को लेकर परेशान है, कि भारत में देशविरोधी नारे लगाने वालों और एजेंडा चलाने वालों की भीड़ लग गई है। ये सैनिक इस बात को लेकर नाराज़ है, कि हमारे ही देश में लोग अफज़ल गुरू जैसे आतंकवादी के लिए सहानुभूति दिखाते हैं, और ऐसे लोगों के पीछे हज़ारों की भीड़ खड़ी हो जाती है। जिसमें डिज़ाइनर नेता, डिज़ाइनर पत्रकार, बुद्धीजीवी और साहित्यकार शामिल होते हैं। इस सैनिक का खून इसलिए खौल रहा है, क्योंकि, जिस याकूब मेमन को 1993 के बम धमाकों के लिए फांसी दी गई थी, उसके जनाज़े में हमारे ही देश के हज़ारों लोग शामिल हुए। परेशानी की बात ये है कि जिस बुरहान वानी ने भारत को बर्बाद करने के लिए AK-47 उठाई उसे हमारे ही देश के कुछ लोगों ने एक हेडमास्टर का मासूम बेटा कहा और उसे हीरो बनाने की कोशिश की।

दुख की बात ये है, कि जब आतंकवादी देश के जवानों की हत्या करते हैं और उनके सिर काटते हैं तो कोई कुछ नहीं बोलता। लेकिन जैसे ही भारत के जवान पाकिस्तान में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं तो लोग सबूत मांगने लगते हैं। आज देश के लिए इस सैनिक के गुस्से को समझना ज़रुरी है। ये वीडियो देखने के बाद आपको भी बहुत गुस्सा आएगा और आप आक्रोश से भर जाएंगे।

ये बात आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि देश में माहौल फिर बिगड़ रहा है। एक साल पहले JNU में माहौल खराब हुआ था और अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में माहौल खराब हो गया है। ये माहौल इसलिए खराब हुआ है क्योंकि देश विरोधी नारे लगाने वाले JNU के कुछ छात्रों को रामजस कॉलेज में भाषण देने से रोका गया था।

ये वीडियो 2 महीने पहले आया था लेकिन वायरल नहीं हुआ। यह वीडियो दिसम्बर 2016 का है और इस सैनिक का नाम है श्रीराम गोरडे। हमने श्रीराम गोरडे से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि वो सेना में सिपाही के पद पर तैनात हैं और दिसंबर 2016 में वो गुजरात के राजकोट में एक समारोह में वीपन डिसप्ले के लिए गए थे। लेकिन वहां मौजूद बच्चों को देखकर, इनके भीतर का आक्रोश बाहर आ गया। और इन्होंने हर वो बात कह दी, जो आम तौर पर कोई सैनिक कहता नहीं है। सैनिक भी इंसान होते हैं, उनके सीने में भी दिल होता है और वो भी अपने आस-पास हो रहे घटनाक्रम से दुखी होते हैं। हाल-फिलहाल में हमारे देश में जो कुछ भी देखने को मिला है, उसने कहीं ना कहीं हमारे देश के सैनिकों को बहुत दुखी किया है। JNU में देशविरोधी नारे लगाने की घटना हो या फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी में।

आपने नोट किया होगा कि हमारे देश में अगर कोई जवान, उसे मिलने वाले भोजन की क्वालिटी पर सवाल उठा दे, तो पूरे देश में चर्चाएं शुरू हो जाती हैं। टेलीविजन स्टूडियोज में बड़ी-बड़ी बहसें होने लगती हैं और सोशल मीडिया में ऐसे जवानों के वीडियोज को वायरल कर दिया जाता है। इसमें कोई बुरी बात नहीं है। क्योंकि जवान सेना का हो या फिर अर्धसैनिक बलों का हो, उसे अपनी बात रखने का पूरा हक है। और उसे हर तरह की सुविधा मिलनी चाहिए। लेकिन हमारे देश में ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग सैनिकों की भलाई के लिए नहीं बल्कि एजेंडे को ध्यान में रखकर की जाती हैं और ऐसी रिपोर्टिंग करते हुए सावधानी नहीं बरती जाती।

दुख की बात ये है कि हमारे देश में अगर कोई जवान खराब माहौल और लोगों की दूषित सोच पर सवाल उठाता है तो किसी को फर्क नहीं पड़ता, उसका वीडियो कहीं नहीं दिखाया जाता, और सोशल मीडिया पर भी ऐसे वीडियो वायरल नहीं होते क्योंकि ऐसे वीडियो, डिज़ाइनर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को अच्छे नहीं लगते और ऐसी बातें उनके एजेंडे को सूट नहीं करतीं। अब आप समझ गये होंगे कि ये वीडियो, मेनस्ट्रीम मीडिया में क्यों नहीं दिखाया गया?

अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर पिछले कुछ दिनों से देश की राजधानी दिल्ली में अनलिमिटेड ड्रामा चल रहा है। जिसमें एक तरफ भारत विरोधी सोच रखने वाले लोग हैं, और दूसरी तरफ भारत के हित की बात करने वाले लोग हैं। 22 फरवरी को दिल्ली के रामजस कॉलेज में लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। इस समारोह के लिए JNU में देश-विरोधी नारेबाज़ी के आरोप में जेल जा चुके, उमर ख़ालिद को भी बुलाया गया था। उमर ख़ालिद को वहां पर भाषण देना था। लेकिन ABVP ने इस कार्यक्रम में उमर ख़ालिद के आने का विरोध शुरू कर दिया। इसी बीच ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन यानी AISA के लोग भी ABVP के खिलाफ हंगामा करने लगे।

ABVP का आरोप है कि AISA के लोगों ने आज़ादी के नारे लगाए। इसी बात पर मारपीट हुई, जिसमें एक प्रोफेसर, कई छात्र, छात्राएं और पुलिस वाले भी घायल हुए। उसके बाद AISA की समर्थक छात्रा ने ABVP पर छेड़खानी और रेप करने की धमकी देने के आरोप लगाए। ये लड़की एक शहीद की बेटी है और उसने ट्विटर Twitter पर ये भी लिखा है कि उसके पिता पाकिस्तान की वजह से नहीं बल्कि युद्ध की वजह से मारे गए थे। 

हालांकि, इस लड़की को पूर्व क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग ने ट्विटर पर ही जवाब दिया। सहवाग ने लिखा कि दो ट्रिपल सेंचुरी उन्होंने नहीं बल्कि उनके बैट ने लगाई थीं। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर बहस होने लगी। ABVP की एक छात्रा ने भी AISA के छात्रों पर रेप की धमकी और छेड़खानी का आरोप लगाया है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि आज चर्चा सिर्फ ABVP पर आरोप लगाने वाली छात्रा की ही हो रही है। जिस छात्रा ने AISA के लोगों पर आरोप लगाए हैं, उसकी बात कोई नहीं कर रहा है। ये एक तरह की सेलेक्टिव रिपोर्टिंग है जो एजेंडे के तहत की जाती है। इसी विचारधारा को आज हम बेनकाब करना चाहते हैं। ये मामला अब राजनीतिक हो गया है और इसके साथ जुड़ी राजनीति को समझना भी ज़रूरी है।

1947 से पहले हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए जान देने वालों ने शायद ये कभी नहीं सोचा होगा कि आज़ादी के 70 साल बाद देश में ऐसा माहौल बन जाएगा कि लोग सड़कों पर उतरकर देश के टुकड़े करने की आज़ादी मांगने लगेंगे। आतंकवादियों का समर्थन करने वालों और देश को तोड़ने की बात करने वालों को सबक सिखाने के लिए, अब मैं शब्दों की नहीं, बल्कि एक वीडियो की मदद लूंगा। ये वीडियो अफज़ल प्रेमी गैंग को नैतिक शिक्षा दे सकता है।

अब तक आपको ये महसूस हुआ होगा कि हमारे देश में देशद्रोहियों की कद्र है। देशभक्तों की नहीं। देशद्रोहियों के बारे में हेडलाइन छपती है और देशभक्तों के बारे में एक लाइन की ख़बर तक नहीं छपती। हम आपको एक बार फिर भारतीय सेना के सिपाही श्रीराम गोरडे के आक्रोश से भरा वो वीडियो दिखाना चाहते हैं। ये वीडियो गुजरात के प्रासला के 19वें राष्ट्रकथा शिविर का है। ये शिविर हर साल लगाया जाता है। इसमें 10 हज़ार से ज़्यादा छात्र शामिल होते हैं।

हमारे देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी अब एक वोटबैंक बन गई है और इसके नाम पर खूब राजनीति होती है। अभिव्यक्ति की आज़ादी एक ऐसा शब्द है, जिसका दोहन हर कोई अपने तरीके से करना चाहता है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। दिल्ली के रामजस कॉलेज में देशद्रोह के आरोपियों का साथ देने वाले अब कह रहे हैं कि उन्हें अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलनी चाहिए है। लेकिन जब बात फतह का फतवा होस्ट करने वाले तारिक फतह की आती है, तो ये कथित सेक्यूलर लोग उन पर हमला कर देते हैं। हमारा सवाल ये है कि अगर देशद्रोह के आरोपी उमर खालिद को अभिव्यक्ति की आज़ादी है, तो फिर मुसलमानों के हक की बात करने वाले तारिक फतह को अभिव्यक्ति की आज़ादी क्यों नहीं मिल सकती? 

हमारे देश में कुछ लोगों को अनलिमिटेड फ्रीडम की आदत पड़ चुकी है और कुछ लोग इसका ग़लत फ़ायदा उठाते हैं। ये बहुत तकलीफ की बात है कि हमने अब अपने देश पर मरने-मिटने वाले वीर शहीदों की शहादत का तमाशा बनाकर रख दिया है। ज़रा सोचिए, उन लोगों को ये देखकर कितनी तकलीफ होती होगी कि जिस देश के लिए और जिन लोगों के लिए उन्होंने अपनी जान की कुर्बानी दे दी, उसी देश में कुछ लोग पाकिस्तान के पक्ष में नारेबाज़ी करते हैं और भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देते हैं।

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