Zee जानकारी : ...जब पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के मोबाइल फोन्स में लगाई सेंध
Advertisement

Zee जानकारी : ...जब पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के मोबाइल फोन्स में लगाई सेंध

Zee जानकारी : ...जब पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के मोबाइल फोन्स में लगाई सेंध

पाकिस्तान कभी भी बॉर्डर पर भारत से युद्ध नहीं जीत सकता और ये बात पाकिस्तान को अच्छी तरह पता है इसलिए वो भारत को कमज़ोर करने के लिए ऐसे तरीके अपनाता रहता है जिससे वो बिना लड़े ही भारत को नुकसान पहुंचा सके। ज़ी न्यूज़ ने सबसे पहले 5 नंवबर 2015 को अपने दर्शकों को बताया था कि कैसे पाकिस्तान भारतीय सैनिकों के मोबाइल फोन्स में सेंध लगाने में कामयाब रहा है। 

तब ज़ी न्यूज ने ही सबसे पहले ये खुलासा किया था कि कैसे पाकिस्तानी हैकर्स इंडिया डिफेंस न्यूज़ जैसी फर्ज़ी वेबसाइट बनाकर भारतीय सैनिकों के मोबाइल फोन्स को हैक कर रहे हैं। ज़ी न्यूज़ के इस खुलासे के बाद ये साइट तो बंद कर दी गईं लेकिन पाकिस्तान ने अपनी अगली चाल चलते हुए एक और वेबसाइट बना दी जिसका एड्रेस हमारे पास है लेकिन हम ये एड्रेस आपको नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि अगर आप इस लिंक पर गलती से भी क्लिक करेंगे तो आपका मोबाइल भी हैक हो जाएगा।

इस बीच पाकिस्तानी हैकर्स ने स्मेश एप नाम की एक एप्लिकेशन बनाई है। स्मेश एप बनाने वाले पाकिस्तानी का नाम साजिद राणा है और ज़ी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक वो कराची और लाहौर से स्मेश एप को होस्ट कर रहा था। 

स्मेश एप, ह्वाट्सएप और टेलीग्राम की तरह ही एक चैटिंग एप्लिकेशन है जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी हैकर्स भारतीय सैनिकों की जानकारियां जुटाने के लिए कर रहे थे। सबसे पहले पाकिस्तान ने फेसबुक पर सैनिकों को फंसाने के लिए कुछ हनीट्रैप एकाउंट्स बनाए। 

इन हनी ट्रैप एकाउंट्स की फ्रेंड लिस्ट में ज्यादा से ज्यादा रिटायर्ड सैनिकों को दिखाने की कोशिश की गई ताकि ये फेसबुक एकाउंट्स बिल्कुल असली लगें।

-हनीट्रैप अकाउंट्स से दोस्ती करने वाले सैनिकों को स्मेश एप डाउनलोड करने के लिए कहा जाता था। 
-जैसे ही सैनिक स्मेश एप अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड करते थे, सैनिकों के मोबाइल फोन की सभी जानकारियां कराची और लाहौर में बैठे हैकर्स तक पहुंचने लगती थी। आपको बता दें कि स्मेश एप का सर्वर जर्मनी के म्यूनिख में है। जबकि इस साइट का डाटा पाकिस्तान में स्टोर किया जा रहा था।

ज़ी न्यूज़ ने आपको 5 महीने पहले ही बता दिया था कि कैसे अप्लिकेशन डाउनलोड करने के बाद जैसे ही आप परमिशन को एक्सेप्ट करते हैं आपके मोबाइल फोन में मौजूद सभी जानकारियों तक जासूसों की पहुंच हो जाती है इन जानकारियों में आपके कॉन्टैक्ट डिटेल्स, एसएमएस, फोटो गैलरी, वीडियोज, लोकेशन और यहां तक कि ऑडियो भी शामिल होता है।

सैन्य अधिकारियों के सैंकड़ो मोबाइल फोन्स हुए थे हैक

भारतीय एथिकल हैकर्स के समिट ग्राउंड ज़ीरो 2015 में इस बात का खुलासा हुआ था कि कैसे पाकिस्तान से रची गई एक खतरनाक साजिश के तहत भारतीय सैन्य अधिकारियों के सैंकड़ो मोबाइल फोन्स को हैक कर लिया गया। 

पाकिस्तान के हैकर्स ने भारतीय सेना की खुफिया जानकारी जुटाने के इरादे से इस हरकत को अंजाम दिया औऱ पाकिस्तानी हैकर्स इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे। दरअसल भारतीय सेना से जुड़ी कुछ वेबसाइट्स बनायी गईं और इन्हे इंडिया आर्मी न्यूज़ और इंडिया डिफेंस न्यूज़ जैसे नाम दिए गए। इसके लिए इन वेबसाइट्स पर बाकायदा अच्छा कंटेंट भी डाला गया। 

कई सैन्य अधिकारियों ने भारतीय सेना के अपडेट्स जानने के इरादे से साइट पर बताई गई एपलिकेशन्स को डाउनलोड कर लिया। मोबाइल एपलिकेशन की मदद से सैन्य अधिकारियों के मोबाइल फोन हैक कर लिए गए सैनिकों के मोबाइल फोन से कॉन्टेक्ट डिटेल, एसएमएस, फोटो, वीडियो, ऑडियो और लोकेशन की जानकारी हासिल की गई।

इतना ही नहीं जिन वायरस का इस्तेमाल किया गया वो आसपास की आवाज़ रिकॉर्ड करने, चुपचाप वीडियो और तस्वीरें खींचना, रिमोट लोकेशन से फ्रंट और रियर कैमरे का इस्तेमालकरने में सक्षम थे। ये वाकया पिछले साल का है। ग्राउंड ज़ीरो के हैकर्स को जैसे ही इसकी जानकारी मिली तुरंत भारतीय सेना और खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को ये बात बताई गई। जिसके बाद करीब 500 सैन्य अधिकारियों के फोन्स को सेनेटाइज़ यानी वायरस रहित किया गया।

Trending news