किसी जमाने में आज का कानपुर 'कान्हपुर' हुआ करता था. गंगा किनारे इस शहर में उद्योग-धंधे फले फूले. एक समय दूर राज्यों से लोग यूपी की औद्योगिक राजधानी में नौकरी करने आते थे. हालांकि वक्त के साथ रेस में कानपुर पिछड़ गया. दिल्ली-हावड़ा रेलवे रूट पर कानपुर से होकर लाखों लोग रोज आते जाते हैं. केरल के वर्तमान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान कभी कानपुर से जीतकर संसद पहुंचे थे. 2014 में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी ने ब्राह्मण बहुल कानपुर लोकसभा सीट कांग्रेस से छीन ली. वह प्रयागराज से यहां आकर लड़े थे. उसके बाद 2019 में भी भाजपा ने यह सीट अपने पास रखी. इस समय यहां से भाजपा के सत्यदेव पचौरी सांसद हैं. सबसे ज्यादा 5 लाख से ज्यादा सामान्य वोटरों के बाद कानपुर में ओबीसी, अनुसूचित जाति और मुसलमान वोटर हैं. ओबीसी तीन लाख, अल्पसंख्यक 4 लाख और अनुसूचित जाति के वोटर पौने चार लाख के करीब हैं. मुस्लिम और अनुसूचित जाति का वोट जिस तरफ साथ जाता है, जीत उसी की होती है.
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