कर्नाटक संकट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें स्पीकर
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कर्नाटक संकट: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें स्पीकर

कर्नाटक संकट को लेकर 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें. हालांकि कोर्ट ने इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है. 

सुप्रीम कोर्ट ने इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए कोई समय सीमा नहीं तय की है.

नई दिल्ली: कर्नाटक संकट को लेकर 15 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें. हालांकि कोर्ट ने इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि गुरुवार (18 जुलाई) को ही विश्वासमत हासिल किया जाए यह जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर स्पीकर विधायकों के इस्तीफे पर आज ही फैसला ले लेते हैं तो 18 जुलाई को ही एचडी कुमारस्वामी सरकार को विश्वासमत हासिल करना होगा. कोर्ट ने साफ किया कि विधायकों के इस्तीफे पर  स्पीकर का फैसला आने के बाद ही फ्लोर टेस्ट होगा.

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, 'हमें इस मामले में संवैधानिक बैलेंस कायम करना है.' कोर्ट ने कहा कि स्पीकर 15 बागी विधायकों के इस्तीफों पर अपने अनुसार विचार करें. स्पीकर खुद से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्हें समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. कर्नाटक सरकार को झटका देते हुए CJI ने कहा, '15 बागी विधायकों को भी सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य न किया जाए.'

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स्पीकर के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला स्पीकर पर छोड़ा है. कोर्ट ने कहा कि स्पीकर उचित समय के भीतर फैसला लें, लेकिन उचित समय क्या होगा यह यह स्पीकर को ही तय करना है.

बागी विधायकों के लिए राहत
विधायक विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र हैं. यानी 18 जुलाई को फ्लोर टेस्ट के समय अनुपस्थित रह सकते हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि कुमारास्वामी की सरकार का गिरना तय है.

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इससे पहले, मंगलवार को जब कार्यवाही शुरू हुई तो बागी विधायकों की तरफ से पेश वरिष्‍ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायकों को इस्तीफा देने का मौलिक अधिकार है इसे नहीं रोका जा सकता. संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक इस्तीफा तुरंत स्वीकार करना होगा. जब तक इसपर फैसला नहीं होता तक तक उन्हें सदन में पेशी से छूट दिया जाय. इस पर विधानसभा स्पीकर की तरफ से दलील दी गई कि अयोग्यता और इस्तीफा पर फैसला का अधिकार स्पीकर का है. जब तक स्पीकर अपना फैसला नहीं दे देता तब तक सुप्रीम कोर्ट उसमें दखल नहीं दे सकता.

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सबसे पहले बागी विधायकों की ओर से सबसे पहले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि अब तक क्या कुछ डेवलपमेंट है. रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि 10 विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर को फैसला लेना है जो कि अभी पेंडिंग है, 10 विधायक पहले ही स्पीकर के सामने पेश हो चुके हैं.

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मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर के सामने विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने की मांग का लंबित होना, उन्हें इस्तीफे पर फैसला लेने से नहीं रोकता, ये दोनों अलग अलग मामले हैं. मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करते हैं तो राज्य की सरकार अल्पमत में आ जायेगी, 18 तारीख़ को विश्वासमत है.

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