कर्नाटक में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शक्ति परीक्षण किया जाना है. इसके लिए शुक्रवार शाम को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया था.
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नई दिल्ली: कर्नाटक में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शक्ति परीक्षण किया जाना है. इसके लिए शुक्रवार शाम को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया था. के. जी. बोपैया को विधानसभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले पर कांग्रेस और जेडीएस ने आपत्ति जताई है. इस मुद्दे को लेकर वे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. कांग्रेस ने मांग की है कि के.जी.बोपैया की जगह नियम अनुसार सबसे वरिष्ठ विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही ये साफ हो सकेगा कि बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहते हैं या नहीं.
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता. इसलिए सबसे पहले विधायक को शपथ दिलाई जाती है. जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. परंपरा के मुताबिक सदन में सबसे वरिष्ठ सदस्य को गवर्नर, प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं.
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प्रोटेम स्पीकर की सबसे बड़ी ताकत होती है कि वो वोट को क्लालिफाई या डिसक्वालिफाई घोषित कर सकता है. इसके साथ ही वोट की गिनती समान होने और टाई की स्थिति आने पर उसके पास निर्णायक वोट करने का अधिकार होता है.
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ये है कांग्रेस की आपत्ति
आवेदन में, गठबंधन ने भाजपा विधायक बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह परंपरा के विपरीत है क्योंकि परंपरा के अनुसार इस पद पर आम तौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किया जाता है. आवेदन में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा एक कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक कदम है. आवदेन में यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल निर्देश की मांग की गई कि शक्ति परीक्षण स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो.