खीरी लोकसभा सीट कांग्रेस, सपा और बीजेपी के बीच घूमती रही है. इस सीट पर पहली बार चुनाव वर्ष 1957 में हुए थे, जिसमें प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कुशवक्त राय ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1962 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का इस सीट पर शासन रहा. फिर 1980,1984 और 1989 सीट भी कांग्रेस जीती. 1991 में हुए राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी का भाग्य उदय किया और उसने 1991 में पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की. कांग्रेस की ऊषा वर्मा और सपा के रवि प्रकाश वर्मा इस सीट पर सबसे ज्यादा 3-3 बार जीत हासिल करने वाले सांसद रहे हैं. बसपा को यहां के लोगों ने कभी गले नहीं लगाया और वह आज तक इस सीट पर जीत से महरूम है. खीरी लोकसभा सीट में कुल 5 असेंबली सीटें शामिल हैं. इनके नाम लखीमपुर, पलिया, निघासन, गोला गोकर्णनाथ और श्रीनगर (एससी) है. इन सभी सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. खीरी लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख वोटर्स हैं. इनमें से करीब 80 फीसदी हिंदू और 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. यहां पर पिछड़े, दलित वोटर्स की संख्या काफी है. इसके साथ ही ब्राह्मण, राजपूत और वैश्यों की आबादी भी ठीक ठाक है.
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